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मानसून सत्र के दौरान सदन में अनुकूल माहौल ने दी कांग्रेस को धार

सदन में भाजपा के प्रचंड बहुमत के बावजूद कांग्रेस सरकार पर दबाव बनाने का मौका हाथ से जाने देने को तैयार नहीं है। वह मानसून सत्र में सरकार को परेशानी में डालने वाले मुद्दे उठा रही है।

By Edited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 09:51 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 01:11 PM (IST)
मानसून सत्र के दौरान सदन में अनुकूल माहौल ने दी कांग्रेस को धार
मानसून सत्र के दौरान सदन में अनुकूल माहौल ने दी कांग्रेस को धार

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सदन में भाजपा के प्रचंड बहुमत के बावजूद कांग्रेस सरकार पर दबाव बनाने का मौका हाथ से जाने देने को तैयार नहीं है। पार्टी ने महंगाई, अतिक्रमण, कानून व्यवस्था के साथ ही दैवीय आपदा और नए जिलों के गठन जैसे मुद्दे अब तक जिस ढंग से सदन में उठाए हैं, उससे जाहिर है कि विपक्ष सरकार की कमजोर नस दबाने से चूकना नहीं चाहता। ऐसे में तंत्र की हीलाहवाली को लेकर पीठ के सख्त रुख को देखते हुए सदन के भीतर अनुकूल माहौल में विपक्ष खासा संतोष महसूस करता दिख रहा है। 

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विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस अपनी मजबूती से वापसी के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। निकाय चुनाव और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव में दमदार वापसी के लिए पार्टी पूरी ताकत झोंके हुए है। पार्टी अपने सख्त तेवरों से सरकार के माथे पर बल डालने की कोशिश में जुटी है। 

यही वजह है कि मानसून सत्र में पार्टी ऐसे तमाम मुद्दों को उठा रही है, जिससे सरकार को परेशानी में डाला जा सके। इसे ध्यान में रखकर ही विधानसभा सत्र से पहले कांग्रेस विधानमंडल दल की बैठक में मुद्दों के एजेंडे पर काम किया गया। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के साथ ही प्रदेशभर में चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान और कानून व्यवस्था के मुद्दों को उठाकर विपक्ष ने सरकार को भी सदन में ठोस जवाब देने को मजबूर किया। 

हालांकि, इस कोशिश के दौरान ऐसे मौके भी आए, जब कांग्रेस की ताकत बिखरी नजर आई। संवेदनशील मुद्दों को लेकर पर्याप्त होमवर्क की कमी ने सरकार को भी पलटवार का मौका मुहैया करा दिया। हालांकि सदन में अब तक कांग्रेस के तल्ख तेवरों को सत्तारूढ़ दल के सदस्यों के अपने ही मंत्रियों के खिलाफ हमलावर रुख से बल भी मिला। 

विपक्ष से ज्यादा सत्तापक्ष के विधायकों ने अपने मंत्रियों को सवालों के जवाब देते वक्त बगले झांकने को मजबूर कर दिया। सदन में सत्तापक्ष के तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत के बावजूद विपक्ष को अलग-थलग पड़ने का अहसास अब तक नहीं हुआ है। 

पीठ ने मंत्रियों के अधूरे होमवर्क पर उन्हें नसीहत दी तो विधायकों के सम्मान में कोताही को लेकर तंत्र को असंवेदनशील और उदासीन ठहराने में देरी नहीं की। ऐसे में सरकार पर दबाव बनाने को लेकर कांग्रेस अधिक सक्रिय दिख रही है। 

सत्र आगे बढ़ने के साथ ही कांग्रेस विधायकों का सरकार पर एकजुट प्रहार तेज हुआ है। नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि सड़क के बाद अब सदन में सरकार को घेरा जा रहा है।

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