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विधानसभा सत्र : कांग्रेस ने उठाया आपदा का मुद्दा, दो विधायकों का वाकआउट

कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश में 2020 के दौरान प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर आई दैवीय आपदा के प्रभावितों का पुनर्वास 2011 की जनगणना के हिसाब से किया जा रहा है। इस कारण सभी प्रभावितों को पुनर्वास का लाभ न मिलने की आशंका बढ़ रही है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 06:08 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 06:08 PM (IST)
विधानसभा सत्र : कांग्रेस ने उठाया आपदा का मुद्दा, दो विधायकों का वाकआउट
कांग्रेस ने आपदा के मद्देनजर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने और मुआवजे की दरों में संशोधन की मांग की।

राज्य ब्यूरो, गैरसैंण। कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश में 2020 के दौरान प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर आई दैवीय आपदा के प्रभावितों का पुनर्वास 2011 की जनगणना के हिसाब से किया जा रहा है। इस कारण सभी प्रभावितों को पुनर्वास का लाभ न मिलने की आशंका बढ़ रही है। कांग्रेस ने आपदा के मद्देनजर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने और मुआवजे की दरों में संशोधन की मांग की। वहीं, सरकार ने साफ किया कि प्रदेश सरकार आपदा के प्रति संवेदनशीलता से कार्य कर रही है। सरकार ने सभी प्रभावितों को मुआवजा दिया है और प्रभावित गांवों के पुनर्वास का काम भी लगातार कर रही है। सरकार के इस जवाब से असंतुष्‍ट कांग्रेस के विधायक हरीश धामी और राजकुमार ने सदन से वाकआउट भी किया।

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बुधवार को कांग्रेस ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही दैवीय आपदा का मसला उठाया और इस विषय पर नियम 310 के तहत चर्चा की मांग की। बाद में इस विषय को शून्य काल में नियम 58 की ग्राहयता पर सुना गया। धारचूला विधायक हरीश धामी ने कहा कि प्रदेश में 2020 में दैवीय आपदा से पूरा प्रदेश प्रभावित हुआ है। धारचूला व कपकोट क्षेत्र में इसका व्यापक असर पड़ा है। सरकार अभी भी पुनर्वास का कार्य 2011 की जनगणना के हिसाब से कर रही है। इस कारण गांवों में 2011 के बाद बसे प्रभावित परिवार खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। आपदा पुनर्वास के लिए चार लाख रुपये दिए जा रहे हैं, जो मौजूदा स्थिति में काफी कम हैं, इसे बढ़ाया जाए। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि प्रदेश में आई केदारनाथ आपदा से कोई सबक नहीं लिया गया है। उप नेता प्रतिपक्ष करण माहरा ने कहा कि प्रदेश अंतरराष्‍ट्रीय सीमा से लगा हुआ है। यहां संचार व्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ाई हुई है।

चमोली में आई आपदा के दौरान भी टनल में सही तरीके से बचाव कार्य नहीं चलाया जा सका। इसके लिए आधुनिक मशीनों को खरीदा जाना चाहिए। गोविंद सिंह कुंजवाल, आदेश चौहान, ममता राकेश और राजकुमार ने भी इस विषय पर अपने विचार रखे। सरकार का पक्ष रखते हुए संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि प्रदेश में आपदा पूर्व चेतावनी के लिए व्यवस्था की जा रही है। मौसम विभाग समय-समय पर चेतावनी जारी करता है, जिसके आधार पर प्रशासन द्वारा स्थानीय निवासियों को जागरूक किया जाता है। आपदा की जद में आने वाले 345 गांवों का चिह्नीकरण किया गया है।

वर्ष 2012 के बाद 32 गांवों का पुनर्वास किया जा चुका है। इस पर 35.66 करोड़ की धनराशि खर्च की गई है। उत्तराखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां आपदा प्रबंधन विभाग, आइटीआइ रुड़की से समन्वय कर भूंकप पूर्व चेतावनी जारी कर रहा है। डाप्लर राडार समेत अन्य आधुनिक उपकरण लगाए जा रहे हैं।

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