कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय के भाई सचिन की जमानत मंजूर Dehradun News
सत्र न्यायालय ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के भाई सचिन की जमानत मंजूर कर ली। बांड आदि भरे जाने की औपचारिकता के पूर्ण होने के बाद वह जेल से बाहर आ सकेंगे।
देहरादून, जेएनएन। सत्र न्यायालय ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के भाई सचिन की जमानत मंजूर कर ली। बांड आदि भरे जाने की औपचारिकता के पूर्ण होने के बाद वह जेल से बाहर आ सकेंगे।
कुछ दिन पहले उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यमंत्री किशोर उपाध्याय के भाई सचिन उपाध्याय को पुलिस ने धोखाधड़ी में गिरफ्तार किया था। सचिन पर दिल्ली में कारोबार कर रहे दून के एक व्यक्ति ने मुकदमा दर्ज कराया था। जिस पर अदालत ने उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
मूल रूप से दून ट्रेफलघर अपार्टमेंट धोरणखास निवासी मुकेश जोशी दिल्ली में कारोबार करते हैं। वर्ष 2012 में उन्होंने दिल्ली के एक थाने में ग्राम चालांग, राजपुर निवासी सचिन उपाध्याय के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। मुकेश का आरोप था कि सचिन ने उनके फर्जी हस्ताक्षर कर उनकी संपत्ति खुर्द-बुर्द की है।
इसके बाद दोनों पक्षों में समझौता हो गया। जिसमें तय हुआ कि सचिन, मुकेश को 2.65 करोड़ रुपये देगा। साथ ही यह रकम अदा न करने तक आरोपित की राजपुर रोड स्थित एक संपत्ति पीड़ित के पास बंधक रहेगी। मुकेश जोशी के अनुसार कई बार संपर्क करने के बावजूद आरोपित ने रुपये नहीं लौटाए। इसी बीच उन्हें पता चला कि आरोपित ने समझौते के तहत उनके पास बंधक रखी गई संपत्ति पर बैंक से लोन ले लिया है। इसको लेकर मुकेश ने सचिन से विरोध जताया तो उसने रकम देने से इन्कार कर दिया और धमकियां देने लगा। इस पर 12 मार्च 2017 को पीड़ित ने राजपुर थाने में सचिन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।
स्कूल पर धोखाधड़ी कर लाखों ठगने का आरोप
प्रेमनगर के मांडूवाला स्थित एक स्कूल पर बिहार के पचास से अधिक लोगों ने लाखों रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। मामले के पीड़ितों ने कुछ दिन पहले उच्च शिक्षा मंत्री से भी मुलाकात की थी, जिसके बाद अब प्रेमनगर थाने को तहरीर सौंपी गई है।
एसओ धर्मेंद्र रौतेला ने बताया कि पुलिस को अरविंद कुमार निवासी आनंद विहार, आंबेडकर पथ बेली रोड पटना (बिहार) ने बताया कि मांडूवाला स्थित स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए एक शख्स गत वर्ष बिहार में उनसे मिला। उसने स्कूल की योजना बताई, जिसमें फ्री स्टे, फ्री एजुकेशन और फ्री फूड की सुविधा गिनाई गई।
यह भी बताया कि एक बार में पांच लाख या 6 लाख रुपये तीन किश्तों में जमा करने के बाद जब बच्चा 10वीं पास कर लेगा तो परिजनों को पैसा वापस दे दिया जाएगा। बच्चों को अच्छी शिक्षा का भरोसा देते हुए एडमीशन करा लिए गए। एग्रीमेंट भी साइन कराए गए।
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बाद में 60 हजार रुपये प्रतिवर्ष और मांगे गए। योजना के तहत जिन बच्चों ने एडमिशन लिया, उन्होंने 10वीं पास की तो पैसा वापस नहीं किया गया। आरोप है कि कुछ समय के बाद बच्चों को परेशान किया जाने लगा। रहने व खाने पीने की भी छात्र-छात्राओं को परेशानी होने लगी। इस संबंध में 2018 में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री से शिकायत की गई थी। इसके बाद अधिकारियों के बीच हुए समझौते में एक साल बाद पैसा वापस करने की बात लिखित रूप में दी गई। तीन फरवरी को अभिभावक स्कूल गए तो उन्हें गेट से लौटा दिया गया।
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