Move to Jagran APP

कृषि कानूनों के बहाने हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर पर नजरें, आंदोलन तेज करने की तैयारी में उत्‍तराखंड कांग्रेस

वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की नजरें हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर पर टिक गई हैं। इन जिलों में अपनी सियासी जमीन पुख्ता करने के लिए पार्टी नए कृषि कानूनों को लेकर अपना आंदोलन और तेज कर सकती है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 03:41 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 03:41 PM (IST)
कृषि कानूनों के बहाने हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर पर नजरें, आंदोलन तेज करने की तैयारी में उत्‍तराखंड कांग्रेस
इन विधेयकों के खिलाफ कांग्रेस हाईकमान मुखर है।

देहरादून, राज्य ब्यूरो।  वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की नजरें हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर पर टिक गई हैं। इन जिलों में अपनी सियासी जमीन पुख्ता करने के लिए पार्टी नए कृषि कानूनों को लेकर अपना आंदोलन और तेज कर सकती है।केंद्र सरकार के कृषि विधेयक संसद में पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब कानून बन चुके हैं। इन विधेयकों के खिलाफ कांग्रेस हाईकमान मुखर है। लिहाजा राज्यों में भी कांग्रेस संगठन इन विधेयकों की मुखालफत कर रहे हैं।

loksabha election banner

उत्तराखंड में इस मुद्दे को लेकर पार्टी के विधायक विधानसभा पर प्रदर्शन कर चुके हैं। इसके बाद प्रदेश संगठन की ओर से राजभवन कूच किया गया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इन विधेयकों के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखने का इरादा जाहिर कर दिया है। दरअसल पार्टी की नजरें हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिलों की विधानसभा सीटों पर है। कृषि विधेयकों के विरोध के जरिये किसानों को लामबंद करने की कोशिश की जा रही है। नौ पर्वतीय जिलों की सियासत पर इन विधेयकों से खास असर नहीं पडऩा है। पार्टी के रणनीतिकार देहरादून और नैनीताल जिले के लिए भी इस मुद्दे को ज्यादा असरकारक नहीं मान रहे हैं। हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिलों में 20 विधानसभा सीटों पर किसानों की सियासत के असर को देखते हुए कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रही है।

पार्टी हाईकमान के निर्देश पर नए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह तो इस मुद्दे को लेकर व्यापक अभियान तेज करने के संकेत दे चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत भी इस मुद्दे पर मुखर हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि विपक्ष के विरोध के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार ने किसान विरोधी विधेयक संसद से पारित कराए। अब इन कानूनों के खिलाफ देशभर में किसान और खेत मजदूर सड़कों पर हैं। कृषि कानूनों को काला कानून करार देते हुए उन्होंने कहा कि इससे मोदी सरकार के सबका साथ सबका विकास का मुखौटा उतर गया है। खेत मजदूरों के शोषण, किसानों को मात देने और पूंजीपतियों के पोषण के लिए केंद्र ने यह कदम उठाया है।

कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव का कहना है कि केंद्र सरकार बहुमत के बलबूते पर लगातार मनमाने फैसले लेती आई है। कोरोना महामारी में देश के करोड़ों प्रवासी मजदूर रोजगार छिनने की वजह से गांवों की ओर पलायन कर गए हैं। वे गुजर-बसर करने के लिए खेती-किसानी में रुचि दिखा रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार किसानों की सुध लेने के बजाय उनकी रोजी-रोटी छीन कर पूंजीपतियों को देने की साजिश रच रही है। विधेयकों के किसान विरोधी होने की वजह से ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में सरकार के घटक अकाली दल की मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में उक्त कृषि कानूनों के विरोध में आम जन और किसानों को लामबंद करने में पार्टी जुटेगी।

 भाजपा ने भी कांग्रेस के विरोध की काट को झोंकी ताकत  

प्रदेश कांग्रेस कमेटी भले ही कृषि कानूनों के खिलाफ मुहिम तेज करने के लिए ताकत झोंके, लेकिन सत्तारुढ़ भाजपा भी कांग्रेस के इस कदम की काट में जुट गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत कृषि कानूनों के फायदे जनता और किसानों को बताने और कांग्रेस के दुष्प्रचार का जवाब देने की रणनीति को धार देने में जुटे हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि किसानों के लिए नई व्यवस्था उनकी आमदनी दोगुना करने में मददगार साबित होगी। साथ ही किसानों को बार-बार कर्ज के जाल में फंसने से निजात मिलेगी।

कृषि कानूनों को लेकर जनसंपर्क में जुटे पंचायतीराज, शिक्षा, खेल व युवा कल्याण मंत्री अरविंद पांडेय ने इस मामले में कांग्रेस को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा बिचौलियों व माफिया का साथ दिया है। इसीवजह से सुनियोजित तरीके से किसानों के लिए महत्वपूर्ण विधेयकों का विरोध किया जा रहा है। 

यह भी पढ़ें: 2022 को मजबूती से काम करें कार्यकर्त्‍ता : कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.