कांग्रेस ने निकाय चुनाव के बहाने बिछाई 2019 की बिसात
उत्तराखंड में कांग्रेस ने निकाय चुनाव के बहाने अगले वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भी बिसात बिछा दी है।
देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: प्रदेश में नगर निकायों के नतीजे विधायकों, पूर्व विधायकों के साथ ही भविष्य में लोकसभा और विधानसभा का टिकट चाहने वालों के लिए रिपोर्ट कार्ड साबित होंगे। जी हां, कांग्रेस ने निकाय चुनाव के बहाने अगले वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भी बिसात बिछा दी है। निकायों के टिकट वितरण में अहम भूमिका निभाने वाले विधायकों, पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों व बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को अब निकाय प्रत्याशियों को जीत दिलाने को ताकत झोंकनी पड़ेगी। पार्टी ने चुनाव संचालन समेत तमाम समितियों से लेकर स्टार प्रचारकों में दिग्गज नेताओं के साथ विधानसभा के भावी टिकटार्थियों को झोंक दिया है।
कामयाबी से मिलेगी प्राणवायु
निकाय चुनावों की लड़ाई को कांग्रेस करो या मरो के रूप में ले रही है। पार्टी रणनीति साफ है, शहरों में गठित होने वाली छोटी सरकारों के जरिये सूबे की सियासत में दमदार मौजूदगी का अहसास कराना। निकाय चुनाव में पार्टी जनता के बीच अपनी पकड़ जितना मजबूत साबित कर पाएगी, भविष्य में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए यह प्राणवायु का काम करेगा। दरअसल, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ पराजय ही नहीं मिली, बल्कि भाजपा ने तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत लेकर कांग्रेस के कई परंपरागत किलों को भी ढहा दिया। पार्टी के सामने इस टूटे मनोबल को संबल देने की चुनौती है।
लोकसभा चुनाव के लिए जमीन
निकाय चुनाव की रणनीति में इन्हीं कारणों से प्रदेश संगठन में निचले स्तर से लेकर शीर्ष और चुनावी जंग के महारथियों को एक साथ पिरोया गया है। कांग्रेस ने पहली बार निकायों की चुनावी सियासत में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के सूरमाओं की सक्रिय हिस्सेदारी तय की गई। यह रणनीति कितना कारगर रहेगी, ये तो चुनाव के नतीजे बताएंगे, लेकिन पार्टी फिलहाल एक तीर से दो निशाने की ओर कदम बढ़ा चुकी है। निकाय चुनाव के तुरंत बाद अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। पार्टी रणनीतिकार मिशन 2019 के लिए निकाय चुनाव को दिशासूचक मान रहे हैं। इस चुनाव में कामयाबी का आकार जितना बड़ा होगा, लोकसभा चुनाव में इस रणनीति के साथ सबको एकजुट कर भाजपा को आगे भी चुनौती दी जाएगी। कामयाबी में कसर छूटने की सूरत में कमियों को पाटने के लिए नई रणनीति बनाना पार्टी की मजबूरी बन जाएगी।
टिकट दिलाया तो जिताओ भी
इन चुनौतियों को भांपकर पार्टी ने विधानसभा के जंगजुओं को निकाय चुनाव का हिस्सा बना तो दिया, लेकिन इन जंगजुओं के पैरोकार दिग्गज नेताओं के लिए भी जिम्मेदारी से बचने की राह मुश्किल बना डाली है। निकाय चुनाव में प्रत्याशियों को टिकट दिलाने वालों को अब उन्हें जीत दिलाने में भी ताकत झोंकनी पड़ेगी। निकाय चुनाव में टिकट देने में पार्टी के दरियादिली दिखाने का नतीजा रहा कि विधायक और पूर्व विधायक अपने पुत्रों से लेकर पत्नी को टिकट दिलाने में सफल रहे। टिकट दिलाने के बाद जीत दिलाने में विफलता भविष्य में पार्टी के भीतर उनकी सियासी जमीन के लिए हिचकोले का सबब बन सकती है। वहीं इस संबंध में प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि निकाय चुनाव में आम सहमति बनाकर पूरी ताकत से लड़ने की दिशा में कांग्रेस मजबूती से बढ़ी है। निकाय चुनाव के नतीजे प्रदेश की सियासी तस्वीर को साफ करने जा रहे हैं।
स्टार प्रचारकों की जंबो सूची, हरीश रावत समेत 48 शामिल
कांग्रेस निकाय चुनावों को लेकर मुस्तैद है। पार्टी ने स्टार प्रचारकों की जंबो सूची जारी करने में सत्तारूढ़ दल भाजपा को पीछे छोड़ दिया। प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, मौजूदा सभी विधायक, पूर्व विधायक और विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों समेत 48 वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया है। विधानसभा चुनाव में अमूमन पार्टी तकरीबन 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी करती रही है। इस बार निकाय चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की लंबी सूची तैयार की गई है। 48 नामों की इस सूची के अतिरिक्त प्रदेश में सभी आनुषंगिक संगठनों, विभागों व प्रकोष्ठों के अध्यक्षों को भी इसमें शामिल किया गया है। यानी प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने स्टार प्रचारकों में संगठन से लेकर विधायकों, सांसद, पूर्व विधायकों व पूर्व सांसदों को जिम्मेदारी सौंपने में गुरेज नहीं किया। टॉप टेन स्टार प्रचारकों में प्रदेश प्रभारी, अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश सह प्रभारी राजेश धर्माणी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, राज्य से कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी व काजी निजामुद्दीन के साथ राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा शामिल हैं। स्टार प्रचारकों की सूची में क्षेत्रीय संतुलन भी साधने की कोशिश की गई है। इस जंबो सूची के माध्यम से पार्टी में असंतोष को काबू में रखने की कवायद भी नजर आ रही है।
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