कार्यवाही बाधित होने पर सरकार व विपक्ष आमने-सामने
विधानसभा सत्र के तीसरे और अंतिम दिन सदन की कार्यवाही न चलने पर सत्ता पक्ष व विपक्ष ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: विधानसभा सत्र के तीसरे और अंतिम दिन सदन की कार्यवाही न चलने पर सत्ता पक्ष व विपक्ष ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है। सरकार की ओर से कहा गया कि कांग्रेस ने नियमों के विपरीत सदन में चर्चा की मांग की। वहीं, कांग्रेस ने कहा कि जिस स्टिंग की वे बात कर रहे हैं उसमें नेता सदन के करीबियों का नाम सामने आ रहा है। आबकारी नीति पर इसका असर देखा गया।
बुधवार को सदन की कार्यवाही में हुए व्यवधान को लेकर सरकार व कांग्रेस ने एक दूसरे पर निशाना साधा। कार्यकारी संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि विपक्ष के कहने पर ही सदन की अवधि तीन दिन तक बढ़ाई गई थी। विपक्ष ने सदन चलाने व जनहित के प्रश्न लगाने में कोई रुचि नहीं ली और पूरा ध्यान हंगामे पर केंद्रित रखा। अंतिम दिन सदन में ऐसे विषय को लेकर आए जो न्यायालय में विचाराधीन है। कार्यसंचालन नियमावली व विभिन्न परंपराओं को देखते हुए ऐसे विषयों पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने भी इसे स्वीकार किया, लेकिन उनके साथी सदस्यों ने उनकी बात नहीं मानी। विपक्ष एक भी गंभीर मुद्दा लेकर नहीं आया। कानून-व्यवस्था को लेकर बीते रोज सदन में जब विषय रखे जा रहे थे तो विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक सदन से उठ कर चले गए। कार्यकारी संसदीय कार्य मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि असरकारी दिवस पर भी विपक्ष ने एक भी जनहित का मुद्दा नहीं उठाया।
उधर, उप नेता सदन करण माहरा ने कहा कि जब संसदीय कार्य मंत्री ने वीडियो देखा ही नहीं तो फिर वह कैसे कह सकते हैं कि यह मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। यह अलग मसला है। जो स्टिंग उन्होंने सदन में रखा, उसमें मुख्यमंत्री के नजदीकी लोग एक बार मालिक से बार की फीस घटाने के बारे में बात कर रहे हैं। इसके ठीक 22 दिन बाद फीस घटाने के आदेश भी हो जाते हैं। यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार का मामला है, जिस पर चर्चा होनी जरूरी थी। सरकार का काम है कि विपक्ष जो आरोप लगाता है उस पर स्थिति स्पष्ट करे, लेकिन सरकार चर्चा से बचती रही।
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