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विधानसभा सत्र: प्राधिकरणों में दिक्कतों की जांच करेगी विस की समिति

प्रश्नकाल के दौरान स्थानीय विकास प्राधिकरण को लेकर बीजेपी और कांग्रेस विधायकों ने सरकार को जमकर घेरा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 05:36 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 08:19 PM (IST)
विधानसभा सत्र: प्राधिकरणों में दिक्कतों की जांच करेगी विस की समिति
विधानसभा सत्र: प्राधिकरणों में दिक्कतों की जांच करेगी विस की समिति

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश में गठित जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों में आमजन के समक्ष पेश आ रही कठिनाइयों का मुद्दा बुधवार को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान गूंजा। प्रश्नकाल के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने इस मसले पर सरकार को घेरा। उनका कहना था कि न तो भूमि को लेकर स्पष्ट किया गया है और न ग्रामीण क्षेत्रों में नक्शे ही पास हो पा रहे हैं।

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अलबत्ता, प्राधिकरण की ओर से लगातार नोटिस भेजे जा रहे हैं। इनमें वे भवन भी शामिल हैं, जो 10 साल पहले बन चुके हैं। कुछ विधायकों ने यह भी मांग उठाई कि ग्रामीण क्षेत्रों को प्राधिकरण के दायरे से बाहर रखा जाए। हालांकि, आवास एवं शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि समस्याओं के निदान का रास्ता निकाल लिया जाएगा, मगर सदस्य संतुष्ट नहीं हुए। इस पर पीठ ने व्यवस्था दी कि प्राधिकरणों में इन कठिनाइयों की जांच को विधानसभा की समिति गठित की जाएगी। तमाम मसलों का परीक्षण कर समिति अपनी रिपोर्ट विस को प्रस्तुत करेगी।

प्रश्नकाल के दौरान विधायक देशराज कर्णवाल के सवाल के जवाब में कैबिनेट मंत्री कौशिक ने बताया कि पूर्व में घोषित 21 विनियमित क्षेत्रों के स्थानीय विकास प्राधिकरणों को समाप्त कर इन्हें 11 जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों का हिस्सा बनाया गया है। इसके बाद तो विधायकों की ओर से प्राधिकरणों को लेकर अनुपूरक प्रश्नों की झड़ी लग गई। विधायक पुष्कर धामी ने पट्टेधारकों और गैर जनजाति के लोगों के नक्शे पास न होने की बात कही। विधायक चंदनरामदास ने कहा कि उनके क्षेत्र में भी व्यावसायिक भूमि पर नक्शे पास नहीं हो रहे हैं।

विधायक हरीश धामी ने कहा कि धारचूला, मुनस्यारी क्षेत्र में कई ऐसी जमीनें हैं, जहां परिवार के सदस्यों के आपसी सहमति से निर्माण हुए हैं, मगर भूमि उनके नाम नहीं है। एससी-एसटी की जमीनों के मामले में भी ऐसी ही तस्वीर है। प्राधिकरण में आने से इनके सामने विकट स्थिति पैदा हो गई है। विधायक राजेश शुक्ला ने ऊधमसिंहनगर जिले का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार ने जिन लोगों को बसाया है, उनके नक्शे भी पास नहीं हो रहे। महेंद्र भट्ट ने इसी क्रम में स्टांप पर क्रय भूमि का मसला रखा। विधायक संजय गुप्ता व करन माहरा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों को प्राधिकरण से बाहर रखने पर जोर दिया। सौरभ बहुगुणा सुझाव दिया कि नक्शे पास कराने के लिए एसडीएम स्तर तक अधिकार दिया जाए।

हालांकि, कैबिनेट मंत्री ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि नक्शा पास कराने की एक प्रक्रिया होती है। यदि कहीं भूमि और नक्शे पास कराने में दिक्कतें आ रही हैं तो इन्हें दिखवा लिया जाएगा। डीएम से भूमि की क्लीयरेंस कराकर नक्शा पास कराने की व्यवस्था की जा सकती है। यदि सुधार की जरूरत है तो समिति बनाई जा सकती है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने व्यवस्था दी कि विधानसभा की समिति गठित कर वह इस पूरे मसले के तमाम पहलुओं की जांच कर रिपोर्ट देगी।

भविष्य में है विलय की संभावना

विधायक धन सिंह नेगी के सवाल पर कैबिनेट मंत्री कौशिक ने बताया कि भागीरथी नदी-घाटी विकास प्राधिकरण का फिलहाल विलय नहीं किया गया है। इस बारे में सूचना मांगी गई है और भविष्य में इसकी संभावना है।

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