उत्तराखंड में अभी थमने से रहा कांग्रेस में घमासान, अन्य असंतुष्ट भी लामबंद
कांग्रेस की नई कार्यकारिणी के बहाने पार्टी के भीतर मचा घमासान आसानी से थमने वाला नहीं है। पहला मोर्चा भले ही विधायक हरीश धामी ने खोला लेकिन अन्य असंतुष्ट भी लामबंद हो रहे हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी के बहाने पार्टी के भीतर मचा घमासान आसानी से थमने वाला नहीं है। पहला मोर्चा भले ही विधायक हरीश धामी ने खोला, लेकिन अन्य असंतुष्ट भी लामबंद हो रहे हैं। ढाई साल इंतजार के बाद टीम जुटाने में कामयाब रहे प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने धामी प्रकरण को जिसतरह राजनीतिक साजिश करार दिया है, उससे कांग्रेस में अंदरूनी जंग और तेज होने के आसार हैं। इसकी लपेट में कई दिग्गज नेता आते दिख रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी का गठन हो चुका है। यह दबाव ही रहा कि पार्टी हाईकमान ने सबको खुश करने की रणनीति के तहत जंबो कार्यकारिणी को ही तरजीह दी। अब एक बार फिर उथल-पुथल मच गई है। प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक उनकी ओर से प्रस्तावित नई कार्यकारिणी सूची में विधायक धामी को अन्य विधायकों की तर्ज पर ही विशेष आमंत्रित सदस्य सूची में 16वें स्थान पर रखा गया था। इस सूची से धामी का नाम काटकर प्रदेश सचिव की सूची में सबसे अंतिम स्थान पर रखा गया। इस पर धामी तो खफा हैं ही, प्रीतम सिंह भी इसे जानबूझकर खलल पैदा करने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं।
प्रदेश प्रभारी पर भी निशाना
इस मामले में प्रीतम और प्रदेश कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता इंदिरा हृदयेश समान धरातल पर खड़े हैं। इन दोनों की जोड़ी ही पार्टी के दूसरे क्षत्रपों और उनके खेमों के निशाने पर है। हरीश धामी ने प्रीतम की तीखी प्रतिक्रिया के बाद अपना रुख कुछ नरम किया है, लेकिन इंदिरा के साथ ही प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह उनके निशाने पर हैं। दरअसल, प्रीतम और इंदिरा को प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह का भी साथ मिलता रहा है। असंतुष्ट खेमों की चिंता बढ़ने की एक वजह ये भी है।
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किशोर की मौजूदगी में बैठक
सोमवार को कांग्रेस नेता रामकुमार वालिया के आवास पर पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय समेत कई नेताओं की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में प्रदेश कार्यकारिणी में पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ सक्रिय चेहरों को जगह देने पर नाराजगी जताई गई। इस खेमे की चिंता कुछ करीबी नेताओं को नई कमेटी में जगह नहीं मिलना भी है। सोशल मीडिया पर पोस्ट में नई कार्यकारिणी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
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