उत्तराखंड के 560 प्राथमिक विद्यालयों में दांव पर बचपन
उत्तराखंज के 560 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में बचपन दांव पर है। इन स्कूलों में भवन जर्जर हाल में हैं।जो कभी भी किसी भी हादसे को दावत दे सकते हैं।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राज्य में 560 सरकारी प्राथमिक विद्यालय भवन जर्जर हाल में हैं। 9478 विद्यालय भवन बूढ़े हो चले हैं। 20 वर्षों से अधिक पुराने इन भवनों की मरम्मत और जर्जर भवनों का पुनर्निर्माण न तो सरकार और न ही माननीयों की प्राथमिकता में है। बानगी देखिए एक प्राथमिक विद्यालय ऐसा है, जिसके पास भवन के नाम पर मात्र एक कक्ष है। कक्षा एक से पांचवीं तक 28 छात्र-छात्राएं एक ही कक्ष में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। वहीं एक इंटर कॉलेज भवन का निर्माण 12 वर्षों के बाद आज तक पूरा नहीं हो सका है।
खास बात ये है कि जिन जीर्ण-शीर्ण प्राथमिक विद्यालय भवनों के दोबारा निर्माण को सर्व शिक्षा अभियान के तहत धन देने का भरोसा केंद्र सरकार ने दिलाया, वह भी नहीं मिल सका। राज्य सरकार के साथ ही स्थानीय विधायकों और सांसदों ने भी असुरक्षित हो चले इन विद्यालय भवनों को दोबारा संवारने की जरूरत तक महसूस नहीं की है। 560 जर्जर विद्यालय भवनों में से 125 विद्यालयों में छात्रसंख्या दस से कम है। लिहाजा इन विद्यालयों का बंद होना तय है। संकटग्रस्त विद्यालय भवनों पर बंदी की तलवार लटकने से राज्य को फिलहाल ये राहत जरूर मिली कि 125 भवनों के निर्माण का दबाव हट गया है। विधायकों की ओर से पूछे गए सवालों के सरकार के जवाब भी आखें खोलने वाले हैं।