Move to Jagran APP

Coronavirus: उत्तराखंड में कम हुआ कोरोना वायरस का खौफ, 112 पर शिकायतें भी घटी

Coronavirus प्रदेश में कोरोना वायरस का खौफ कम होने के साथ ही डायल 112 पर शिकायतें भी घटी हैं। एक माह में ही 112 पर कोरोना से संबंधित फोन कॉल में चार सौ फीसद की कमी आई है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 09:34 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 09:34 AM (IST)
Coronavirus: उत्तराखंड में कम हुआ कोरोना वायरस का खौफ, 112 पर शिकायतें भी घटी
Coronavirus: उत्तराखंड में कम हुआ कोरोना वायरस का खौफ, 112 पर शिकायतें भी घटी

देहरादून, सोबन सिंह गुसाईं। उत्तराखंड में कोरोना का रिकवरी रेट जैसे-जैसे बढ़ रहा है, लोगों में इस बीमारी के प्रति खौफ वैसे-वैसे कम हो रहा है। डायल 112 के आंकड़े तो यही बयां कर रहे हैं। एक माह में ही 112 पर कोरोना से संबंधित फोन कॉल में चार सौ फीसद की कमी आई है। एक माह पहले जहां कोरोना से संबंधित औसतन 500 फोन कॉल रोजाना आ रही थीं। वहीं, अब इनकी संख्या घटकर 99 रह गई है। 

loksabha election banner

दून से सबसे ज्यादा शिकायतें

मई में कोरोना संबंधी सबसे अधिक प्रतिदिन 186 शिकायतें देहरादून जिले से आईं। इसके बाद 104 शिकायतों के साथ हरिद्वार दूसरे और 80 शिकायतों के साथ ऊधमसिंह नगर तीसरे स्थान पर रहा। वहीं, जून में शिकायतों के आंकड़े में भारी कमी आई। आइजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि कोरोना को लेकर अब लोग धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं। मई में आवाजाही अधिक होने के कारण क्वारंटाइन होने वाले लोगों की संख्या भी अधिक थी। ऐसे में लोग शिकायतें भी कर रहे थे। अब क्वारंटाइन होने वाले लोग खुद ही नियमों का पालन कर रहे हैं। इसलिए शिकायतें भी कम हो गई हैं।

डी-डिमर टेस्ट भी कोरोना के उपचार में बना सहारा

कोरोना वायरस को शुरुआत में रेस्पिरेटरी वायरस माना गया, जिससे संक्रमित व्यक्ति को फेफड़ों में गंभीर समस्या होने से सांस लेने में परेशानी होने लगती है। लेकिन, अब कोविड-19 के मरीजों में रक्त के थक्के बनने की समस्या का भी पता लगा है। विशेषज्ञों के मुताबिक खून के यह थक्के मरीज की मौत का कारण भी बन सकते हैं। ऐसे में डी-डिमर टेस्ट काफी मददगार साबित हो रहा है।

डी-डिमर टेस्ट ब्लड वेसल में बन रहे आसामान्य खून के थक्कों का पता लगाता है। खासकर कार्डियक, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से पीड़ित मरीजों के लिए यह टेस्ट वरदान है। चिकित्सकों के अनुसार, कोरोना संक्रमित जिन मरीजों को छाती, मांसपेशियों और पैरों में दर्द, सीवियर कफ और अचानक बेहाश होने की समस्या हो रही है, उनमें रक्त के थक्के बनने की आशंका ज्यादा है। ऐसे मरीजों का डी-डिमर टेस्ट किया जा रहा है। जिससे उन्हें समय पर उपचार दिया जा सके। शुरुआत में यह टेस्ट केवल एम्स में किया जा रहा था, लेकिन अब दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में भी इसकी जांच हो रही है।

प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि इस टेस्ट से खून में हाई फाइब्रिन डिग्रेडेशन प्रोडक्ट का पता चलता है। जिसके बाद मरीजों को संबंधित दवाई शुरू कर दी जाती हैं। जिससे कार्डियक अरेस्ट और ब्रेन स्ट्रोक जैसी इमरजेंसी से बचा जा सके। यह टेस्ट आइसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक कराया जा रहा है। दून चिकित्सालय में अब तक दो सौ मरीजों का यह टेस्ट किया जा चुका है।

रिकवरी और डबलिंग रेट में लगातार सुधार

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में सैंपल टेस्टिंग में लगातार वृद्धि हो रही है। रिकवरी रेट व डबलिंग रेट भी राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर है और इनमें लगातार सुधार हो रहा है। जिस तरह से राज्य में सतर्कता बरती जा रही, उम्मीद है कि हम जल्द ही हालात पर नियंत्रण पा लेंगे। रविवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोरोना को लेकर सर्विलांस, कांटेक्ट ट्रेसिंग, सैंपल टेस्टिंग, क्लिनिकल मैनेजमेंट और जन जागरूकता, इन पांच बातों पर विशेष जोर दिया जा रहा है। राज्य में टेस्टिंग लैब, आईसीयू, वेंटिलेटर, पीपीई किट, एन 95 मास्क, आक्सीजन सपोर्ट की पर्याप्त व्यवस्था मौजूद है। नियमित सर्विलांस सुनिश्चित किया जा रहा है। घर-घर जाकर कोरोना के संदिग्ध लक्षणों वाले लोगों का पता लगाया जा रहा है। लगभग सभी जिलों में सर्विलांस का एक राउंड पूरा किया जा चुका है। कई जिलों में दूसरा तो कुछ में तीसरा राउंड चल रहा है।

उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के शुरू होने के समय राज्य में एक भी टेस्टिंग लेब नहीं थी। अब प्रदेश में पांच सरकारी और दो प्राईवेट लेब में सैंपल की जांच की जा रही है। इसके अतिरिक्त एनसीडीसी दिल्ली व पीजीआई चंडीगढ़ में भी सैंपल टेस्टिंग के लिए भेजे जा रहे हैं। अभी प्रति 10 लाख जनसंख्या पर 6408 सेम्पल लिए जा रहे हैं। जल्द ही इसे देश के औसत के बराबर कर लिया जाएगा। 

यह भी पढ़ें: Coronavirus: टिहरी ने 'पांच के पंच' से किया कोरोना को पस्त

वर्तमान में राज्य में 325 कोविड केयर सेंटर स्थापित हैं। इनमें कुल बेड क्षमता 22890 है, जिनमें से 289 बेड उपयोगरत हैं जबकि 22601 बेड रिक्त हैं। इस प्रकार कोविड केयर सेंटर में पर्याप्त संख्या में बेड की उपलब्धता है। उच्च स्तर से भी लगातार निगरानी की जा रही है। जहां कमियां पाई जाती हैं, उन्हें तत्काल दूर किया जाता है। इन लगभग चार माह में प्राप्त अनुभव से प्रशासनिक क्षमता में वृद्धि हुई है। 

यह भी पढ़ें: Coronavirus: सर्विलांस से पकड़े गए कोरोना के 17 फीसद मामले


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.