समय से चुनाव न होने पर प्रशासकों के हवाले होंगी सहकारी समितियां
राज्य में सहकारी समितियों के चुनाव तय वक्त पर नहीं होने से अब समितियों को प्रशासकों के हवाले करने की तैयारी चल रही है। इस पर करीब-करीब सहमति बन चुकी है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: फिलहाल राज्य में सहकारी समितियों के चुनाव तय वक्त पर कराने की सूरत नहीं बन पा रही है। बहुद्देश्यीय समितियों (पूर्व नाम प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियां यानी पैक्स) के सचिव हड़ताल पर चल रहे हैं तो बदली परिस्थितियों में न निर्वाचन क्षेत्रों (वार्डों) के लिए नए सिरे से परिसीमन हो पाया है और न आरक्षण का निर्धारण ही। इस सबको देखते हुए सरकार अब इन 759 समितियों को प्रशासकों के हवाले करने जा रही है। सूत्रों की मानें तो इस पर करीब-करीब सहमति बन चुकी है।
राज्य में बहुद्देश्यीय समितियों का कार्यकाल 23 मार्च को खत्म हो रहा है। सहकारिता चुनावों की शुरुआत भी इन्हीं से होती है। सहकारिता का ढांचा ऐसा है, जिसमें निचली समितियों से ही डेलीगेट चुनकर शीर्ष संघों तक जाते हैं।
सहकारिता एक्ट के मुताबिक सहकारी समितियों का चुनाव कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले अथवा इसकी तिथि तक संपन्न करा लिए जाएं।
इस लिहाज से देखें तो समय पर चुनाव की संभावना नहीं है। दरअसल, इन समितियों के सचिव पिछले कई दिनों से हड़ताल पर हैं।
इसके अलावा बहुद्देश्यीय समितियों में उच्चीकरण होने के कारण इनके सदस्यों की संख्या 11 की गई है, लेकिन इसके अनुसार समितियों के वार्डों का निर्धारण नहीं हो पाया है। नगर निकायों के सीमा विस्तार के मद्देनजर कई समितियों का पुनर्गठन भी होना है। साथ ही आरक्षण तय होना अभी बाकी है।
ऐसे में सरकार भी फिलहाल सहकारी समितियों के चुनाव के मूड में नहीं दिख रही। सूत्रों के अनुसार फिलहाल चुनाव टालने के मद्देनजर समितियों का कार्यकाल बढ़ाने या फिर इन्हें प्रशासकों के हवाले करने पर मंथन किया गया। सूत्रों की मानें तो समितियों को प्रशासकों के हवाले करने के संबंध में जल्द ही आदेश किए जा सकते हैं।
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