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जानें कृषि सुधार विधेयकों पर क्या कहते हैं उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत और कृषि मंत्री उनियाल

Agriculture Bill 2020 मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने लोकसभा के बाद रविवार को राज्यसभा से भी पारित कृषि सुधार से संबंधित विधेयकों को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि इससेे किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 02:19 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 02:19 PM (IST)
जानें कृषि सुधार विधेयकों पर क्या कहते हैं उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत और कृषि मंत्री उनियाल
सीएम त्रिवेंद्र रावत और कृषि मंत्री सुबोध उनियाल की फाइल फोटो।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। Agriculture Bill 2020 उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने लोकसभा के बाद रविवार को राज्यसभा से भी पारित कृषि सुधार से संबंधित विधेयकों को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि किसानों की उन्नति में ये महत्वपूर्ण कदम है। वहीं, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि यह वन नेशन वन मार्केट की अवधारणा को धरातल पर उतारने की दिशा में कदम है। 

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि किसानों को बिचौलियों से मुक्ति और उपज का उचित मूल्य दिलाने में सहायता मिलेगी। साथ ही किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे। मुख्यमंत्री ने किसानों के हित में कृषि विधेयक लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का आभार प्रकट किया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि अब देश का किसानों कई बंधनों से मुक्त हुआ है। साथ ही उसे बिचौलियों के मकड़जाल से भी मुक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि अब किसान अपनी इच्छा से उपज बेच सकेगा। उन्होंने इन बिलों पर कांग्रेस के विरोध की आलोचना करते हुए कहा कि इससे साफ है कि कांग्रेस किसान विरोधी है।

किसानों के हित में हैं कृषि बिल: उनियाल

संसद में पारित कृषि बिल किसानों के व्यापक हित में हैं। यह वन नेशन वन मार्केट की अवधारणा को धरातल पर उतारने की दिशा में कदम है। यह कहना है राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का। उन्होंने कहा कि कृषि बिलों में यह व्यवस्था दी गई है कि किसान अपने कृषि उत्पाद को कहीं भी बेचने को स्वतंत्र है। यदि वह मंडी जाता है तो वहां उसे मंडी टैक्स से छूट दी गई है। उन्होंने कहा कि संविदा खेती में भी किसान के हितों को सुरक्षित रखा गया है। पहले संविदा खेती के मामले में दाम गिरने पर किसान को नुकसान होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। 

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उनका कहना है कि जो भी कंपनी और फर्म किसान से संविदा खेती को अनुबंध करेगी, उसे दाम की गारंटी देनी होगी। अगर बाजार में दाम बढ़ते हैं तो लाभांश में भी किसान के लिए हिस्सेदारी तय की गई है। अनुबंध करने वाली फर्म व संस्था पैदावार बढ़ाने के मद्देनजर सभी एग्रीकल्चर इनपुट किसान को उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि ये व्यवस्था भी की गई है कि किसान चाहे तो अनाज का भ्डारण कर सकता है और बेहतर दाम मिलने पर बेच सकता है। इसके साथ ही आवश्यक वस्तु अधिनियम से कई कृषि उत्पादों को बाहर किया गया है। इससे किसानों को फायदा होगा। 

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