राज्य सरकार करेगी आधुनिक और भव्य स्मारक का निर्माण
विजय दिवस की 48वीं वर्षगाठ पर देश की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को श्रद्धाजलि अर्पित की गई।
जागरण संवाददाता, देहरादून: विजय दिवस की 48वीं वर्षगाठ पर देश की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को श्रद्धाजलि अर्पित की गई। गाधी पार्क में शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर विदेश राज्य मंत्री जनरल वीकेसिंह व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शहीदों को नमन किया। डिफेंस कॉलोनी में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने वीरता पदक प्राप्त सैनिकों व वीर नारियों को सम्मानित किया। साथ ही निबंध प्रतियोगिता के विजेता छात्र-छात्राओं को भी पुरस्कृत किया गया।
भातखंडे व डीएवी पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दिन आने वाली कई पीढि़यों को प्रेरणा देता रहेगा। यह कोई सामान्य जीत नहीं थी, बल्कि इस दिन इतिहास बनाया और बदला गया। अगर आज पूर्वी पाकिस्तान होता तो देश के सामने किस तरह की सामरिक चुनौतिया होती इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से दो देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती है। यहां के लोगों की रग-रग में देशभक्ति व राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव है। वह न सिर्फ अग्रिम पंक्ति में खड़े रहकर देश की हिफाजत कर रहे हैं बल्कि राज्य में कभी भी किसी गैर राष्ट्रवादी सोच को उन्होंने पनपने नहीं दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के वीरों की शौर्य गाथा सदियों तक भावी पीढ़ी को प्रेरणा देती रहे इसके लिए राज्य सरकार एक आधुनिक और भव्य स्मारक बनाना चाहती है। इसके लिए भूमि तलाश की जा रही है। यहा भारतीय सेना का गौरवशाली इतिहास प्रदर्शित होगा। युवा देखेंगे कि हमारे सैनिकों ने कैसे युद्ध लड़े और देश को सम्मान दिलाया। सीएम ने कहा कि स्कूल-कॉलेजों में भारतीय सेना के शौर्य, त्याग व बलिदान के बारे में बताया जाना चाहिए। अगले वर्ष से स्कूलों में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रार्थना सभा में बच्चों को भारतीय सेना के स्वर्णिम इतिहास से रूबरू कराया जाएगा।
कार्यक्रम में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, सासद माला राज्य लक्ष्मी शाह, विधायक उमेश शर्मा काऊ, विनोद चमोली, महापौर सुनील उनियाल गामा, ले. जनरल ओपी कौशिक (सेनि), ले. जनरल आनंद स्वरूप (सेनि) आदि उपस्थित रहे।
बिखराव के दौर से गुजर रहा देश
विदेश राज्य मंत्री ने कहा, अपनी ताकत को पहचान एकजुट होने का समय
देहरादून: जनरल वीकेसिंह (सेनि) ने कहा कि विजय दिवस उस विजय की याद दिलाता है जो दुनिया में सबसे बड़ी और ऐतिहासिक जीत है। यह इसलिए भी संभव हुआ क्योंकि हम राजनीतिक, राजनयिक, सामरिक, कूटनीतिक और राष्ट्रीय एकता के मोर्चे पर एक थे। आज भी देश के दुश्मन प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से देश के खिलाफ काम कर रहे हैं। जबकि देश बिखराव के दौर से गुजर रहा है। हम जाति, समुदाय और मजहब के नाम पर बंटे हैं। ऐसे में विजय दिवस अपनी ताकत को पहचानने और एकजुट होने का समय है। ताकि दुश्मनों के मंसूबे कभी कामयाब न होने पाएं। उन्होंने कहा कि सीमाओं की निगेहबानी के साथ ही सेना देश को भी जोड़े रखती है। सेना में कोई धर्म या जाति नहीं बल्कि भारतीयता का भाव होता है। देश की अखंडता व एकता के लिए यह जरूरी भी है। उन्होंने कहा कि जिस देश में सैनिकों का सम्मान नहीं होता, उसका पतन हो जाता है।
वह एक गौरवशाली क्षण था
उस दौरान हम तीनों भाई मोर्चे पर थे। मैं बाग्लादेश में था और भाई कश्मीर में तैनात थे। पिता का तब देहांत हो चुका था। उस मां की दशा सोचिए जिसके तीनों बेटे रण में हों। पर हरेक भावना से बड़ा देशभक्ति का भाव है। आज मेरा बेटा और नाती भी फौज में अफसर हैं। सैनिकों के प्रोत्साहन के लिए देश और समाज को उनके पीछे खड़ा रहना चाहिए। इससे उनका मनोबल बढ़ता है।
ले. जनरल ओपी कौशिक (सेनि)
-------------------
मैं उस दौरान ब्रिगेड कमांडर था। 1971 की जंग के अलग ही मायने हैं। यह पहली बार था जब हम रिएक्ट नहीं एक्ट कर रहे थे। इस जंग में सेना के साथ ही तमाम अन्य एजेंसियों ने भी कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। राजनीतिक, राजनयिक, सामरिक, और कूटनीतिक मोर्चे पर हम एक थे। केवल 13 दिनों में इतनी बड़ी जीत हासिल करना और एक अलग देश बना देना, निश्चित तौर पर देश के लिए गौरवशाली क्षण था।
ले. जनरल आनंद स्वरूप (सेनि)