सभी विभागों को पलायन रोकने के लिए एक माह में देनी होगी कार्ययोजना
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सभी विभागों को पलायन रोकने के लिए केंद्रीय योजनाओं की कार्ययोजना एक माह के भीतर तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सभी विभागों को पलायन रोकने के लिए केंद्रीय योजनाओं की कार्ययोजना एक माह के भीतर तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने राज्य के चिह्नित ब्लॉकों में पलायन रोकने को योजनाएं संचालित करने को कहा। उन्होंने पलायन रोकने को फंड स्थापित करने व इको टूरिज्म पॉलिसी जल्द से जल्द बनाने के भी निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रोकने के संबंध में बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों पर खास फोकस किया जाए। वहां पलायन को रोकने के लिए योजनाओं में लचीलापन रखा जाए ताकि अधिक से अधिक स्थानीय लोग इसका लाभ ले सकें। उन्होंने पर्यटन विभाग को जल्द से जल्द ईको टूरिज्म नीति बनाने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ईको टूरिज्म के लिए वन विभाग व पर्यटन विभाग आपसी समन्वय से काम करें। होम स्टे को दूसरी पर्यटन गतिविधियों व मार्केट से लिंक किया जाए। एडवेंचर स्पोट्र्स को प्राथमिकता दी जाए। पर्यटन विभाग एक मोबाइल एप बनाए जिसमें जिलावार वहां के वन्यजीवन, वनस्पति, पर्यटन स्थलों, ट्रेकिंग स्थलों, होटल व होम स्टे आदि की जानकारी मौजूद हो।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी पर चिंता जताते हुए इसे दूर करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देना होगा। किसानों की आय दोगुना करने के लिए ऑफ सीजन सब्जियों के उत्पादन, मत्स्य पालन, बकरी पालन व बागवानी अहम हो सकते हैं। एमएसएमइ के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में युवाओं को स्वरोजगार के लिए लघु ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने पलायन से सर्वाधिक प्रभावित गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा आदि रेखीय विभागों को इनका विस्तृत अध्ययन कर इनमें आ रही कमी को दूर करने के निर्देश दिए।
36 विकासखंडों में सबसे अधिक पलायन
बैठक में पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने बताया कि राज्य में 36 ऐसे विकासखंड चिह्नित किए गए हैं जहां पलायन की सबसे अधिक समस्या आ रही है। इसमें अल्मोड़ा के सात, बागेश्वर का एक, चमोली के पांच, पौड़ी के 12 पिथौरागढ़ के पांच, रुद्रप्रयाग का एक और टिहरी के पांच ब्लॉक शामिल हैं। गावों से निकटवर्ती कस्बों में बसने की प्रवृति देखने को मिल रही है। योजनाओं को महिला केंद्रीत करने की जरूरत है।
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भूमि अभिलेखों में महिलाओं का नाम होगा दर्ज
मुख्यमंत्री ने पर्वतीय क्षेत्रों के भू-अभिलेखों में महिलाओं का नाम दर्ज करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकांश महिलाएं ही सारा कार्य देख रही हैं। पुरुष रोजगार के लिए गांव से बाहर हैं। इसी कारण यहां महिलाओं का अनुपात अधिक है। भू-अभिलेख में नाम जोडऩे से उन्हें कृषि, पशुपालन, स्वरोजगार आदि के लिए ऋण मिलने में आसानी होगी। राजस्व विभाग इसके लिए आवश्यक प्रबंध करेगा।
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