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शिक्षा का मकसद रोजगार नहीं चरित्र निर्माण: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार वितरित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि शिक्षा का मकसद रोजगार नहीं चरित्र निर्माण है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 12:17 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 12:17 PM (IST)
शिक्षा का मकसद रोजगार नहीं चरित्र निर्माण: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
शिक्षा का मकसद रोजगार नहीं चरित्र निर्माण: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

देहरादून, जेएनएन। शिक्षा विभाग की ओर से शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए दिए जाने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार वितरित किए गए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने छात्रों व स्कूलों के प्रधानाचार्यों को यह पुरस्कार भेंट किए। साथ ही कार्यक्रम में पौधारोपण में उत्कृष्ट कार्य पर प्रदेश के तीन स्कूलों को तरुश्री सम्मान दिया गया। अपनी मेहनत के लिए प्रोत्साहन पाकर छात्र और प्रधानाचार्यों के चेहरे खिल उठे।

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रिंड रोड स्थित किसान भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा का मकसद रोजगार या नौकरी देना नहीं बल्कि, चरित्र और व्यक्तित्व निर्माण होता है। कहा कि किसी भी शिक्षाविद या समाजशास्त्री से हम शिक्षा का उद्देश्य पूछेंगे तो वह नौकरी नहीं चरित्र निर्माण ही बताएगा। उन्होंने अपने संबोधन में अरविंदो घोष से लेकर कई अन्य शिक्षाविद और महान पुरुषों के उदाहरण और जीवन अनुभव साझा किए।

उन्होंने कहा कि एक स्कूल के लिए लगातार तीन साल सबसे बेहतर परिणाम देना कठिन लक्ष्य है। बावजूद इसके अधिकतर स्कूलों ने इसे कायम रखा, ऐसे स्कूल बधाई के पात्र हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी। उन्होंने कहा कि शिक्षक आम कर्मचारियों से अलग पेशा है, लोग अपेक्षा भी अलग रखते हैं। ऐसे में शिक्षकों को हमेशा समाज की बेहतरी के लिए सोचना चाहिए। 

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने पुरस्कार हासिल करने वाले स्कूलों और छात्रों को बधाई दी। उन्होंने शिक्षा और खेल के क्षेत्र में सरकार की योजनाएं और उपलब्धियां गिनाई। सचिव शिक्षा डॉ. आर.मीनाक्षी सुन्दरम ने कहा कि छात्रों के बौद्धिक व मानसिक विकास के साथ ही उनके भावात्मक पोषण के लिए राज्य में आनंदम पाठ्यचर्या शुरू किया गया है। इस अवसर पर विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी, निदेशक विद्यालयी शिक्षा आरके कुंवर, निदेशक अकादमिक शिक्षा सीमा जौनसारी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

'आनंदम पाठ्यचर्या' लॉन्च

अकादमिक, शोध एवं शिक्षण विभाग द्वारा तैयार किए गए 'आनंदम' पाठ्यचर्या की लॉचिंग भी कार्यक्रम में हुई। मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने पाठ्यक्रम को लॉन्च करने के साथ ही पाठ्यक्रम तैयार करने वाले शिक्षकों व संस्थाओं को बधाई दी। विभाग ने पहली से आठवीं कक्षा तक के लिए आनंदम पाठ्यक्रम तैयार किया है। इस पाठ्यक्रम के तहत छात्रों के दिन की शुरुआत प्रार्थना के बाद पढ़ाई की बजाय ऐसी गतिविधियों और क्रियाकलाप से होगी, जिससे उनमें ऊर्जा का संचार हो।

स्कूलों को मिला नकद पुरस्कार

प्रदेश में पिछले वर्ष इन पुरस्कारों की घोषणा नहीं की जा सकी थी। यही वजह है कि इस बार पिछले वर्ष एवं इस वर्ष के पुरस्कार दिए गए। वर्ष 2018 के इंटरमीडिएट के 50 और इतने ही हाईस्कूलों को पंडित दीन दयाल उपाध्याय उत्कृष्टता पुरस्कार मिला। वहीं वर्ष 2019 के पुरस्कारों में हाईस्कूल के 50 और इतने ही इंटरमीडिएट विद्यालयों को पुरस्कार दिया गया। हाईस्कूल की परीक्षा में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को क्रमश 15 हजार, 11 हजार और आठ हजार रुपये तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। वहीं 12वीं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को क्रमश: 21 हजार, 15 हजार और 11 हजार रुपये की धनराशि, प्रशस्ति पत्र, मुख्यमंत्री ट्राफी तथा 6-6 पुस्तकों का सेट प्रदान किया गया।

इन्हें मिला सम्मान

दसवीं कक्षा में राणा प्रताप इंटर कॉलेज खटीमा की छात्रा काजल प्रजापति, पीपीएसवीएमआइसी रोहित चंद्र जोशी, टीएसएसबीवीएमआइसी काशीपुर के अमरीन मंसूरी, इंटरमीडिएट में आरएलएस चौहान एसवीएमआइसी जसपुर की दिव्यांशी राज, डीएमजीएआइसी खटीमा के सचिन चंद, जीआईसी हलसौन कोरार, नैनीताल के गर्वित कुमार को बोर्ड परीक्षा के सत्र 2017-18 के लिए सम्मान मिला। वहीं बोर्ड परीक्षा 2019 में शीर्ष स्थान हासिल करने के लिए दसवीं कक्षा में एमवीएमआइसी नथुवावाला की अनन्ता सकलानी, एमवीएमआइसी ऋषिकेश के अर्पित, एसवीएम इंटर कालेज सितारगंज की सुरभि गहतोड़ी, इंटरमीडिएट परीक्षा में एसवीएमआइसीएस चिन्यालीसौड़ की शताक्षी तिवारी और सक्षम व केएन उप्रेती राआइका पिथौरागढ़ के हरीश सिंह बोहरा को सम्मानित किया गया।

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इन्हें मिला तरूश्री सम्मान

राइंका वोदनी चमोली, राइंका कठगरिया हल्द्वानी तथा राजकीय जुनियर हाईस्कूल मटीना बागेश्वर को एक-एक लाख की धनराशि भी प्रदान की गई।

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