Move to Jagran APP

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले सीएम रावत, इन्वेस्टर्स समिट के लिए किया आमंत्रित

नई दिल्ली में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट कर उन्हें देहरादून में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट के लिए आमंत्रित किया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 05:03 PM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 05:03 PM (IST)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले सीएम रावत, इन्वेस्टर्स समिट के लिए किया आमंत्रित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले सीएम रावत, इन्वेस्टर्स समिट के लिए किया आमंत्रित

देहरादून, [जेएनएन]: प्रधानमंत्री मोदी आगामी 7 अक्टूबर को देहरादून में इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन करेंगे। उत्तराखंड डेस्टिनेशन इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन देहरादून में 7 व 8 अक्तूबर को होगा।

loksabha election banner

गुरुवार को नई दिल्ली में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट कर उन्हें देहरादून में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने इस पर अपनी स्वीकृति प्रदान की। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से भेंट के दौरान पर्यावरणीय सेवाओं के एवज में उत्तराखंड को प्रति वर्ष 5 हजार करोड़ रुपये का ग्रीन बोनस प्रदान करने, ग्रीन एकाउंटिंग प्रणाली बनाए जाने, विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं में आवश्यक स्वीकृतियां प्रदान करने, चरेख डांडा, कोटद्वार में केंद्रीय आयुष अनुसंधान एवं शोध संस्थान की स्थापना करने, जनवरी से अप्रैल 2021 में होने जा रहे हरिद्वार महाकुम्भ के लिए विशेष केंद्रीय सहायता प्रदान करने, पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा प्रभावितों को राहत के लिए एसडीआरएफ के मानक राशि में वृद्धि करने व संवेदनशील गांवों के विस्थापन के लिए विशेष केंद्रीय सहायता दिए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को राज्य से संबंधित विभिन्न विषयों के स्ंबंध में पत्र सौंपते हुए आवश्यक कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया। 

भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, भोपाल के सहयोग से किए गए एक अध्ययन के अनुसार उत्तराखण्ड प्रति वर्ष मात्र वन क्षेत्र से ही 95,112 करोड़ रुपये की पर्यावरणीय सेवाएं प्रदान कर रहा है। परंतु पर्यावरणीय कारणों से उत्तराखंड में विकास कार्यों में बाधाएं उत्पन्न होती हैं। राज्य की अनेक जलविद्युत परियोजनाएं रूकी पड़ी हैं। इससे कुल ऊर्जा आवश्यकता का 65 प्रतिशत अंश खरीदना पड़ रहा है।

इसलिए राज्य द्वारा प्रदान की जा रही पर्यावरणीय सेवाओं को नेशनल एकाउंटिंग सिस्टम में शामिल किया जाए। इस प्रणाली के तहत ग्रीन डेफिसिट राज्यों से धनराशि एकत्र कर एक नेशनल एक्सचेंज का सृजन किया जाना चाहिए। इससे हरित आच्छादन के अनुसार संबंधित राज्यों को धनराशि का आवंटन किया जाए। जब तक यह प्रणाली नहीं बनती है तब तक उत्तराखंड को कम से कम 5 हजार करोड़ रूपये प्रति वर्ष ग्रीन बोनस के रूप में उपलब्ध करवाया जाए।

मुख्यमंत्री ने राज्य में जलविद्युत उत्पादन की सम्भावनाओं व विभिन्न परियोजनाओं के बारे में अवगत कराते हुए 300 मेगावाट की लखवाड़ परियोजना की स्वीकृति आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से जल्द करवाने का आग्रह किया। उन्होंने 660 मेगावाट की किशाऊ परियोजना के ऊर्जा घटक का उचित वित्त पोषण व केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा 300 मेगावाट की बावला नन्दप्रयाग जल विद्युत परियोजना की तकनीकी आर्थिक स्वीकृति शीघ्र करवाए जाने के साथ ही पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से बावला नंदप्रयाग व 100 मेगावाट की नंदप्रयाग लंगासू परियोजना के लिए नए आवश्यक अतिरिक्त अध्ययन के लिए टर्म ऑफ रेफरेंसेज जारी करवाने का अनुरोध भी किया।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए उत्तराखण्ड को वित्तीय प्रोत्साहन सुविधाएं पूर्वोत्तर राज्यों के लिए स्वीकृत पैकेज के अनुरूप ही किए जाने का अनुरोध किया। उत्तराखण्ड में आयुष व आयुष से संबंधित शोध कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए आयुष मंत्रालय भारत सरकार के अधीन केंद्रीय आयुष अनुसंधान एवं शोध संस्थान की स्थापना की जा सकती है। इसके लिए चरेख डांडा, कोटद्वार में प्रदेश के आयुष विभाग के पास भूमि भी उपलब्ध है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनवरी से अप्रेल 2021 तक हरिद्वार में महाकुम्भ का आयोजन होना है। उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य के वित्तीय संसाधन सीमित होने के कारण महाकुम्भ की व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराने के लिए विशेष केंद्रीय सहायता के रूप में धनराशि आवंटित कराए जाने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के उपरांत प्रभावितों को एसडीआरएफ से दी जाने वाली राहत के मानक पर्वतीय क्षेत्रों के अनुरूप नहीं हैं। इसलिए पर्वतीय क्षेत्रों के लिए एसडीआरएफ से देय राहत राशि के मानकों में वृद्धि की जाए। प्रदेश के 350 से अधिक गांव आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील हैं। इन्हें अन्यत्र सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित करने के लिए विशेष केंद्रीय सहायता उपलब्ध करवाई जाए। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से गौरीकुण्ड-केदारनाथ रोपवे को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने व नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाटर स्पोर्ट्स का क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र टिहरी में खोले जाने का भी अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम के लिए श्रद्धालुओं द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 123 (हरबर्टपुर से बड़कोट) लम्बाई 111 किमी व राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 119 (कोटद्वार से श्रीनगर) लम्बाई 137 किमी का भी प्रयोग किया जाता है। इसलिए इन मार्गों को भी चारधाम ऑलवेदर रोड परियोजना से जोड़ना आवश्यक है। हरिद्वार में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या से यातायात जाम की समस्या के निजात के लिए गंगा नदी पर कनखल से नीचे जगजीतपुर के निकट 2 किमी 500 मीटर लम्बाई के 4-लेन सेतु का निर्माण भी जरूरी है। 

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में पेयजल की समस्या के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि पर्वतीय राज्य के संदर्भ में इसका उपाय यही उचित होगा कि विभिन्न बस्तियों के आस-पास से गुजरने वाले छोटी नदियों पर छोटे-छोटे जलाशय बनाए जाएं। इससे जलस्त्रोतों की रिचार्जिंग होगी और गुरूत्व आधारित योजना का निर्माण किया जाए। इसके लिए भारत सरकार के स्तर से लघु जलाशय/नद्य-ताल निर्माण की अलग से केंद्र पोषित योजना बनाई जाए। यदि ऐसा सम्भव न हो तो राज्य सरकार को बाह्य सहायतित परियोजना के लिए स्वीकृति दी जाए। नैनीताल जिले की गौला नदी पर प्रस्तावित जमरानी बांध परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून की नगरीय व उपनगरीय आबादी को पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए शहर से 10 किमी दूर सौंग नदी पर 148.25 मीटर ऊंचा रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट ग्रेविटी बांध बनाया जाना प्रस्तावित है। इससे पेयजल की समस्या दूर होने के साथ ही रिस्पना व बिंदाल नदियों के पुनर्जीविकरण में भी सहायता मिलेगी। इसकी अनुमानित कुल लागत 978 करोड़ रूपए है। मुख्यमंत्री ने सौंग बांध परियोजना का वित्त पोषण भारत सरकार से करवाए जाने का आग्रह किया।

उत्तराखण्ड के सम्पूर्ण पर्वतीय क्षेत्र में वर्तमान में केवल तीन हवाई पट्टियां निर्मित हैं। राज्य के सामरिक महत्व व आपदा की संवेदनशीलता को देखते हुए हवाई सेवाओं की सुविधाओं में विस्तार करना जरूरी है। एक सर्वेक्षण में अल्मोड़ा के चैखुटिया को हवाई पट्टी के निर्माण के लिए उपयुक्त पाया गया है। इसमें केंद्र सरकार से वित्तीय सहयोग की आवश्यकता होगी। 

गढ़वाल मण्डल से लगता सम्पूर्ण भू-भाग उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मण्डल के अधीन आता है जबकि कुमायूं मण्डल का सम्पूर्ण भाग पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मण्डल में आता है। इससे समन्वय की समस्या आती है। इसलिए राज्य के सम्पूर्ण भू-भाग को एक ही रेलवे जोन उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मण्डल के अंतर्गत किया जाना चाहिए।

वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत ऋषिकेश-कर्णप्रयाग  रेलवे लाईन पर कार्यवाही गतिमान है। इसके साथ ही सामरिक व पर्यटन महत्व को देखते हुए टनकपुर-बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेलवे लाईन की स्वीकृति प्रदान की जाए। इसमें टनकपुर-बागेश्वर रेल लाईन का सर्वे किया जा चुका है। 

हरिद्वार में स्थापित उद्योगों द्वारा लॉजिस्टिक कॉस्ट कम करने के लिए एक मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क की मांग की जा रही है। हरिद्वार में बीएचईएल के पास उपलब्ध रिक्त भूमि में से लगभग 35 एकड़ भूमि राज्य सरकार को प्रत्यावर्तित कर दी जाए तो लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना की जा सकती है। इसके लिए भारत सरकार के भारी उद्योग व लोक उद्यम मंत्रालय को अनुरोध किया गया है। इसी प्रकार जनपद नैनीताल के रानीबाग में स्थापित एचएमटी काफी वर्षों से बंद पड़ी है। यदि यह भूमि भी राज्य सरकार को निशुल्क मिल जाती है तो इसका उपयोग राज्य में औद्योगिक निवेश व रोजगार को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: कैबिनेट का फैसलाः उत्तराखंड में जबरन धर्म परिवर्तन कराने वाले नपेंगे

यह भी पढ़ें: एनएच घोटाले की जांच प्रभावित करने का प्रयास कर रही सरकार: प्रीतम सिंह

यह भी पढ़ें: गरीबों की हितैषी नहीं है कांग्रेस, सरकार के काम में डाल रही बाधा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.