उत्तराखंड में एरोस्टेट बैलून तकनीक का ट्रायल, बना देश का पहला राज्य
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एरोस्टेट बैलून तकनीक का ट्रायल किया। जिसके बाद उत्तराखंड इसका ट्रायल करने वाला पहला राज्य बन गया है।
देहरादून, [जेएनएन]: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आइटी पार्क में इंटरनेट एरोस्टेट बैलून को लॉन्च किया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बहुत ज्यादा रहती है। जिसमें ये तकनीक बहुत उपयोगी साबित होगी। आपको बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आइटीडीए) ने आइआइटी मुंबई के सहयोग से देश में प्रथम बार एरोस्टेट का अनोखा प्रयोग कर इसे तकनीक के रूप में संभव बनाया है।
दरअसल, आपदा के दौरान संचार सेवा सर्वाधिक प्रभावित होती है। ऐसे में बैलून उड़ाकर सेना, बचाव दल, पुलिस से लेकर फंसे लोगों को कम समय में बेहतर संचार सेवा से जोड़ा जा सकेगा। इसके लिए भारी भरकम तकनीकी संसाधन और लंबे समय का इंतजार नहीं करना होगा।
प्रदेश के 16,870 गांवों में से दुर्गम क्षेत्रों के 680 गांव में मोबाइल इंटरनेट की पहुंच अभी तक नहीं है। इन क्षेत्रों में दूर संचार लाइन बिछाना, टावर लगाने से लेकर दूसरे काम करना नामुमकिन सा है। इस योजना के तहत जिस भी क्षेत्र में संचार की सुविधा देनी है वहां पर बैलून उड़ाया जाएगा। 50 मीटर तक अधिकतम ऊंचाई पर जाने वाले बैलून पर सिग्नल देने के लिए एंटीना लगा होगा। बाकी एंटीना तार के माध्यम से जमीन पर लगे बेस स्टेशन (कंट्रोल पैनल समेत सभी उपकरण) से जुड़ा होगा।
सिग्नल ऑन होते ही मिलेगी कनेक्टिविटी
सिग्नल ऑन होते ही बैलून के माध्यम से 20 से 45 किमी की परिधि में आने वाले क्षेत्र में मोबाइल फोन और इंटरनेट की कनेक्टिविटी मिलने लगेगी। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां बैलून तकनीक का ट्रायल किया गया है। इस प्रोजक्ट से जुडे तकनीकी विशेषज्ञों ने बताया कि बैलून के रख-रखाव में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। 24 से 48 घंटे में बैलून में हीलियम गैस भरने की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए संबंधित क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति को ट्रेनिंग देकर इस काम में लगाया जा सकता है।
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