Move to Jagran APP

स्कूलों में साफ सफाई की व्यवस्था चिंताजनक

प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। इंटरमीडिएट स्तर के कॉलेजों में तो प्रधानाचार्य उपनल अथवा पीआरडी से आउटसोर्सिग के जरिये सफाई कर्मचारी रख सकते हैं लेकिन प्राथमिक विद्यालयों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 09:59 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 09:59 PM (IST)
स्कूलों में साफ सफाई की व्यवस्था चिंताजनक
स्कूलों में साफ सफाई की व्यवस्था चिंताजनक

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। इंटरमीडिएट स्तर के कॉलेजों में तो प्रधानाचार्य उपनल अथवा पीआरडी से आउटसोर्सिग के जरिये सफाई कर्मचारी रख सकते हैं लेकिन प्राथमिक विद्यालयों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यहां तक कि कई इंटरमीडिएट और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शौचालय विहीन हैं। सदन में स्कूलों की सफाई व्यवस्था पर हुई चर्चा के दौरान यह बात सामने आई। सरकार का कहना है कि स्कूलों के परिसर में बच्चों द्वारा श्रमदान के माध्यम से साफ-सफाई कराई जा सकती है।

loksabha election banner

गुरुवार को सदन में विधायक भरत चौधरी ने स्कूलों में साफ सफाई का मसला उठाया। उन्होंने पूछा कि स्कूलों में सफाई कर्मचारियों के कितने पद हैं और सभी विद्यालयों में सरकार की सफाई कर्मचारियों को नियुक्त करने की क्या योजना है। जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि प्रदेश में कुल 1764 विद्यालयों में सफाई कर्मियों के पद सृजित हैं। इसके सापेक्ष अभी 392 पदों पर ही सफाई कर्मचारी हैं। अब समूह घ के पद मृत संवर्ग में आ गए हैं इस कारण इनमें नियमित नियुक्ति नहीं की जा सकती। आवश्यकता पड़ने पर प्रधानाचार्य आउटसोर्सिग के माध्यम से इनकी नियुक्ति कर सकते हैं। उन्होंने बच्चों के श्रमदान के माध्यम से सफाई करवाने की बात कही तो सदन में आवाज उठी कि क्या शौचालय भी। इस पर मंत्री ने तुरंत स्पष्ट किया कि वह परिसर की बात कर रहे हैं। वहीं अनुपूरक प्रश्न के माध्यम से विधायक ममता राकेश ने प्राथमिक स्कूलों का मसला उठाया। उन्होंने कहा कि वह स्वयं प्राथमिक स्कूल में प्रधानाध्यापक रह चुकी हैं। यह देखा गया है कि प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों से ही साफ सफाई का काम कराया जाता है। प्राथमिक स्कूलों में आउटसोर्सिग बंद है। ऐसे में यहां शौचालय व परिसर की साफ सफाई में खासी दिक्कतें आती हैं। इस पर सरकार कोई उचित व्यवस्था दे। हालांकि विभागीय मंत्री फिर से प्रधानाध्यापक के जरिये ही आउटसोर्सिग कर्मचारियों की तैनाती का जवाब देकर बैठ गए। मंत्री के इस जवाब से विधायक भरत चौधरी व ममता राकेश असंतुष्ट नजर आए। बेहतर नहीं हैं राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों के हालात

प्रदेश में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। कई जगह ये विद्यालय एक कमरे में चलाए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर इन्हें दुरुस्त किया जाएगा। गुरुवार को सदन में विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने नवोदय विद्यालयों का मसला उठाया। जवाब में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने बताया कि चमोली, ऊधमसिंह नगर, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर व उत्तरकाशी में नवोदय विद्यालयों के लिए जमीन मिल गई है। गैरसैंण में नवोदय विद्यालय बनाने का काम शुरू हो रहा है। कई स्कूल एक कमरे में संचालित हो रहे हैं। वित्तीय संसाधन उपलब्ध होते ही इन स्थानों पर भवन निर्माण कर दिया जाएगा। दूरी के आधार पर बंद होने वाले स्कूलों का परीक्षण

एक किमी के दायरे में प्राथमिक स्कूल व तीन किमी के दायरे में उच्च प्राथमिक स्कूल के नियम का पालन कई विधानसभा क्षेत्रों में नहीं हो पा रहा है। इसके कारण बच्चों को दूरदराज पढ़ने जाना पड़ रहा है। विधायक प्रीतम पंवार व प्रीतम सिंह द्वारा यह मसला रखने के बाद सरकार ने इसका परीक्षण की बात कही है। आदर्श विद्यालयों के मामले में भी सरकार ने शीघ्र प्रवक्ताओं की नियुक्त करने की बात कही। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना था कि आदर्श विद्यालयों में अध्यापकों की कमी को दूर करने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं। नियमित शिक्षक न होने की स्थिति में अस्थायी शिक्षकों से अध्यापन कार्य कराया जा रहा है। ड्रॉप आउट की संख्या में आ रही कमी

प्रदेश सरकार का दावा है कि प्रदेश में ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या में कमी आ रही है। गुरुवार को सदन में विधायक प्रीतम पंवार के सवाल का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिन छात्रों के अभिभावक रोजगार की तलाश में उत्तराखंड आते हैं और फिर चले जाते हैं, वही छात्र ड्रॉपआउट की श्रेणी में आते हैं। सरकार सरकार अपने प्रयायों और एनजीओ की मदद से ऐसे छात्रों को वापस शिक्षा दिलाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बीते वर्षो की तुलना में प्राथमिक विद्यालय में 2.37 और माध्यमिक विद्यालयों में 3.47 प्रतिशत की कमी आई है। प्रबंधन सरकार के हाथ लेने पर होगा विचार

सदन में विधायक भरत सिंह चौधरी ने अशासकीय विद्यालयों का मसला उठाया। उन्होने कहा कि जब अशासकीय विद्यालयों के रखरखाव और पूरे स्टाफ को वेतन देने की जिम्मेदारी सरकार पर है तो फिर प्रबंधन क्यों इनमें अपने स्तर पर ही भर्ती प्रक्रिया व अन्य कार्य कराते हैं। जब पूरा खर्च सरकार को देना है तो वह इनका प्रबंधन अपने हाथ में क्यों नहीं ले लेती। इन स्कूलों में निश्चित छात्र संख्या कम होने पर क्यों इन्हें बंद करने की दिशा में कदम नहीं उठाए जा सकते। जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि अशासकीय स्कूलों को एक निर्धारित प्रक्रिया पूरी करने के बाद सरकार द्वारा मान्यता दी जाती है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन के संबंध में दिए गए सुझाव पर विचार किया जाएगा। बालिका इंटर कॉलेज गैरसैंण में विज्ञान विषय अगले सत्र से

प्रदेश सरकार बालिका इंटर कॉलेज गैरसैंण में विज्ञान विषय पर कक्षाएं अगले शैक्षणिक सत्र से शुरू कर देगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी के सवाल का जवाब देते हुए यह आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि अन्य बालिका इंटर कॉलेजों में जहां विज्ञान विषय नहीं है वहां छात्रो की संख्या और वित्तीय संसाधन की उपलब्धता पर पद सृजित किए जाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.