नगर आयुक्त ने फेंका माइक, हड़ताल पर कर्मचारी
नगर आयुक्त के कार्यालय से बाहर आकर ज्ञापन लेने से इन्कार करने और माइक फेंकने पर नगर निगम के कर्मचारी भड़क गए।
हरिद्वार, [जेएनएन]: नगर आयुक्त के कार्यालय से बाहर आकर ज्ञापन लेने से इन्कार करने और माइक फेंकने पर नगर निगम के कर्मचारी भड़क गए। आक्रोशित कर्मचारियों की इसे लेकर नगर आयुक्त से तीखी नोकझोंक भी हुई। गुस्साए कर्मचारियों ने नगर आयुक्त के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और रविवार से हड़ताल का ऐलान कर दिया।
बायोमैट्रिक हाजिरी की जगह मस्टरोल से हाजिरी की व्यवस्था, मृतक आश्रितों की नियुक्ति, लंबित भुगतान आदि मांगों को लेकर नगर निगम के सफाई कर्मचारी बड़ी संख्या में नगर आयुक्त को ज्ञापन देने के लिए एचआरडीए स्थित उनके कार्यालय के बाहर पहुंचे। कर्मचारियों का आरोप है कि कई देर इंतजार के बावजूद नगर आयुक्त कार्यालय से बाहर नहीं आए।
नगर आयुक्त ने बाहर आकर ज्ञापन लेने से इन्कार कर दिया। इस पर कर्मचारी भड़क गए। हंगामे की आशंका को देखते हुए मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस भी पहुंच गई। बाद में कर्मचारी एक अन्य प्रकरण में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपने पहुंचे। सिटी मजिस्ट्रेट के न होने पर कर्मचारी नेताओं ने सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पर सभा कर रविवार से हड़ताल का ऐलान कर दिया।
अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र तेश्वर और स्वच्छकार कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुनील राजौर ने नगर आयुक्त पर हठधर्मिता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा वे मांगों को लेकर पिछले कई समय से आंदोलित हैं। कई दफा उन्हें ज्ञापन भी दिया गया, लेकिन कर्मचारियों की एक भी मांग नहीं मानी गई।
एक बार फिर संयुक्त मोर्चा मांगों से संबंधित ज्ञापन उन्हें सौंपने पहुंचा था, लेकिन वार्ता के बजाय उन्होंने कर्मचारियों से अभद्रता की और माइक आदि फेंक दिए। धरना प्रदर्शन करने वालों में महिपाल सिंह, रफलपाल सिंह, अशोक कुमार, आशीष राजौर, रफल पाल, राजू खैरवाल, आत्मा राम, आनंद कांगड़ा, राजेश छाछर, प्रवीण तेश्वर, भंवर सिंह, नानक चंद, महिपाल सिंह, रूपचंद आजाद आदि मौजूद रहे।
नगर आयुक्त नितिन भदौरिया का कहना है कि माइक फेंकने जैसे आरोप गलत है। मैं ज्ञापन लेने पहुंचा। करीब दस मिनट धरना स्थल पर खड़ा रहा, लेकिन सफाई कर्मी और श्रमिक नेता नारेबाजी करते रहे। इस पर मैंने कार्यालय आकर ज्ञापन देने को कहा। सफाईकर्मियों की मांगों में बायोमैट्रिक हाजिरी की व्यवस्था खत्म करने की मांग जायज नहीं है। हाजिरी की यह व्यवस्था प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री स्तर से लागू है।
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