गुणसूत्रों में असमानताओं की दी जानकारी
संवाद सूत्र, डोईवाला : स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जौलीग्रांट में दो दिवसीय फिश तकनीक पर आ
संवाद सूत्र, डोईवाला : स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जौलीग्रांट में दो दिवसीय फिश तकनीक पर आधारित कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें देश-विदेश से आए विशेषज्ञों ने बताया कि फ्लोरोसेंस इन सीटू हाइब्रिडाइजेशन (फिश) गुणसूत्रों में असमानताओं की पहचान के लिए प्रयोग होने वाली उन्नत तकनीक है।
एसआरएसयू के सभागार में पैथोलॉजी विभाग व कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन डीन एचआइएमएस डॉ. मुश्ताक अहमद, डॉ. सुनील सैनी, डॉ. वाईएस बिष्ट, डॉ. सुरेश झंवर ने डॉ. स्वामी राम ने किया। कार्यशाला में मुख्य वक्ता डॉ. मुश्ताक अहमद ने कहा कि किसी भी बीमारी की पहचान व उसके निदान में पैथोलॉजी जांच महत्वपूर्ण है। जिसके आधार पर सही इलाज किया जाता है। उन्होंने कार्यशाला में आए प्रतिभागियों से अधिक से अधिक लाभ लेने की बात कही। न्यूयार्क अमेरिका से आए डॉ. सुरेश झंवर ने कहा कि फिश की उच्च संवेदनशीलता, विशिष्टता और गति ने इसे एक अहम साइटोजेनेटिक तकनीक बना दिया है। जिसने रक्त संबंधी व ठोस ट्यूमर के अनुसंधान और निदान में मदद की है। विशेषकर कैंसर की पहचान वह इलाज में इस उन्नत तकनीक से बहुत फायदा हुआ है। डॉ. जयराम ने बताया कि मनुष्य के शरीर में मौजूद गुणसूत्रों में असमानताओं के चलते कई प्रकार की बीमारी हो सकती है। जिसका पता इस तकनीक के माध्यम से लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त हांगकांग से डॉ. मॉर्को, न्यूयॉर्क से डॉ. मीना झंवर, साइप्रस से डॉ. फिलीपॉस, टाटा मेमोरियल कैंसर सेंटर कोलकता से आए डॉ. मयूर परिहार ने फिश तकनीक पर व्यख्यान दिए। इसके पश्चात विशेषज्ञों की देखरेख में प्रतिभागियों ने हैंड्स ऑन ट्रे¨नग में भी भाग लिया। आयोजक सचिव डॉ. नीना चौहान ने कहा कि अनुवांशिक और अन्य घातक बीमारी में फिश तकनीक की सटीक जांच व दुष्प्रभाव रहित होने से लाभ हुआ है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में हांगकांग, न्यूयार्क, साइप्रस, केरला, बेंग्लुरु, चैन्नई व हिमालयन इंस्टीट्यूट से 70 प्रतिभागी शामिल हुए। कार्यशाला में डॉ. नीना चौहान, डॉ. अुनराधा कुसुम, डॉ. दुष्यंत गौर, डॉ. नादिया सिराजी, डॉ. विकास श्रीवास्तव ने विशेष सहयोग दिया।