लॉकडाउन में घर में चित्रकारी करके हुनर को निखार रहे बच्चे, पढ़िए पूरी खबर
लॉकडाउन में कई बच्चे ऐसे भी हैं जो स्कूल और कॉलेज के समय में चित्रकारी के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे लेकिन इन दिनों वह अपना यह हुनर खूब दिखा रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। लॉकडाउन में कुछ लोग परिवार के साथ रहकर अपने-अपने तरीके से समय व्यतीत कर रहे हैं। कई बच्चे ऐसे भी हैं, जो स्कूल और कॉलेज के समय में चित्रकारी के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे, लेकिन इन दिनों वह अपना यह हुनर खूब दिखा रहे हैं। बच्चे घरों में चित्रकारी करने के साथ लूडो, सांप सीढ़ी खेल रहे हैं।
बुजुर्ग-बच्चे खेल रहे लूडो
पटेलनगर निवासी पुष्पा रावत व तरुण वर्मा ने बताया कि समय बिताने के लिए इन दिनों बच्चों के साथ लूडो व सांप सीढ़ी खेल रहे हैं। लॉक डाउन में घर में रहकर पुरानी चीजों को उपयोग हो रहा है। सहस्रधारा निवासी आरिफ खान ने बताया कि उनके बच्चे ईशान व अलियाह को शुरू से ही चित्रकारी का शौक है। स्कूल में उनकी चित्रकारी की प्रदर्शनी भी कई बार लग चुकी है। अब खाली दिनों में घर पर रहकर अपने हुनर को तराश रहे हैं। लॉकडाउन का समय बच्चों को अपने हुनर और शौक पूरा करने में लगाना चाहिए। अन्य बच्चों की तरह टीवी पर अपना समय खराब करने के बजाय उन्हें चित्रकारी करने में मजा आता है।
पुराने कप और बाउल पर चित्रकारी कर सजाया
ब्राइटलैंड्स स्कूल की कक्षा तीन की छात्र विभाति सती ने लॉकडाउन के इन दिनों में घर में तेल के प्लास्टिक के डिब्बों को काटकर विशेष आकृति देते हुए उनको गमले का रूप दिया। साथ ही पुराने कप और बाउल के बाहर चित्रकारी करते हुए उनमें प्लांट लगाए। सभी को लाइन से सजाकर घर के बाहर रख दिए। इसके अलावा स्कॉलर्स होम स्कूल के छठवीं कक्षा के छात्र नमन ठाकुर ने कागज के क्राफ्ट बना रहे हैं।
लॉकडाउन में 10 से ज्यादा मिट्टी की पेंटिंग व काटरून बनाए
मिट्टी की पेंटिंग बनाते पता ही नहीं चल रहा लॉकडाउन में आज का दिन कब गुजर गया। कुछ इसी अंदाज में छात्र आयुष बिष्ट घर पर मिट्टी की पेंटिंग बना रहे हैं। पेंटिंग से डिप्लोमा कर रहे आयुष बिष्ट ने लॉकडाउन में अब तक उत्तराखंडी संस्कृति को दर्शाती हुई 10 से ज्यादा पेंटिंग बनाई हैं, जबकि चार पेंसिल काटरून बनाएं हैं। मूल रूप से कर्णप्रयाग के ग्राम तोलसेन निवासी आयुष जोगीवाला में किराये पर रहते हैं। आयुष ने बताया कि कॉलेज में उन्होंने इतने कम समय में पेंटिंग नहीं बनाई। लेकिन, इन दिनों घर में एकांत में मन लगाकर 10 से ज्यादा पेंटिंग बनाई हैं। सुबह नाश्ते के बाद पेंटिंग बनाते पता ही नहीं चलता कि दिन के खाने का समय हो गया।
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कहानियां सुनाकर आता है मजा
विद्या विहार निवासी नारायण दत्त बताते हैं कि जब वह किसी कहानी या पुराने समय की बातें करते हैं तो नाती पोते ध्यान से सुनते हैं। इतना ही नहीं, वे दिन में कई बार दूसरी कहानी सुनाने के लिए कमरे में पहुंच जाते हैं। कभी कभी बच्चों के साथ लूडो भी खेल रहे हैं। वे खुद ही घर की चाहरदीवारी से गली में निकलने वालों को टोकते रहते हैं।