बच्चों ने जलाया बुराई के प्रतीक रावण का पुतला
विकासनगर कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी गाइडलाइंस के अनुपालन में समितियों ने इस बार दशहरा मेले का आयोजन व रावण का पुतला नहीं फूंका हालांकि बच्चों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी। सभी ने बुराई के प्रतीक रावण का पुतला फूंकर विरोध जताया।
संवाद सहयोगी, विकासनगर: कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी गाइडलाइंस के अनुपालन में पछवादून में इस बार रामलीला समितियों ने दशहरे पर रावण, मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतले जलाने से परहेज किया, लेकिन पर्व को लेकर बच्चों के उत्साह में कोई कमी देखने को नहीं मिली। बच्चों की टोलियों ने गली-मुहल्लों में पूरे दिन पूर्व का पूरा आनंद लिया और बुराई के प्रतीक रावण के पुतला जलाया।
संक्रमण के मौजूदा समय में सभी पर्व-त्योहार व्यापक स्तर पर प्रभावित हुए हैं। इसी कारण मेला व रामलीला समितियों ने रावण के पुतले नहीं बनाए। इस बार असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक दशहरे की रंगत भी फीकी रही। पछवादून के हरबर्टपुर, विकासनगर व डाकपत्थर में इस बार न तो रामलीला का आयोजन किया गया और न ही दशहरे पर रावण, मेघनाथ, कुंभकर्ण के पुतलों के दहन का नजारा देखने को मिला। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार के माध्यम से जारी की गई गाइडलाइंस में अत्यधिक भीड़ वाले आयोजनों पर पाबंदी लगा दी गई है। हालांकि सीमित संख्या में भीड़ के इकट्ठा होने पर गाइड लाइंस में छूट दी गई थी। परंतु रामलीला कमेटियों ने संक्रमण के मामले में किसी प्रकार का जोखिम नहीं उठाने में ही भलाई समझते हुए आयोजनों को रद कर दिया। विकासनगर की रामलीला समिति संरक्षक प्रदीप महावर, हरबर्टपुर के समिति पदाधिकारी जितेंद्र रावत, डाकपत्थर के नीरज चौहान, ऋषि, पूर्व ग्राम प्रधान सुबोध गोयल, अटकफार्म समिति के सुखदेव फर्सवाण के मुताबिक कोरोना संक्रमण के समाप्त हो जाने के बाद रामलीलाओं का आयोजन व दशहरे का पर्व अगले वर्ष पूरी धूमधाम से मनाया जाएगा। उधर, रामलीला समितियों के किसी भी ऐसे निर्णय का बच्चों के उत्साह पर कोई असर दिखाई नहीं दिया। नगर के विभिन्न क्षेत्रों में बच्चे प्रत्येक वर्ष की तरह टोली बनाकर सुबह से ही रावण के पुतले के निर्माण में जुट गए। नगर के सैयद रोड स्थित एक मैदान में नंदिनी गुप्ता, संयम गुप्ता, आयुष वर्मा, दक्ष पटेल, ऐशलीम लाइमिग, अंशी गुसाईं, सेजन वर्मा आदि ने कागज, बांस, आर्ट कलर आदि से रावण का पुतला तैयार किया। जिसे रात में बच्चों ने बुराई के प्रतीक रावण के पुतले को बच्चों ने दहन किया। कोरोना ने जहां बड़ों के हौंसलों को पस्त किया, वहीं बच्चों के उत्साह को संक्रमण का खतरा रती भर भी डरा नहीं पाया।