बच्चों पर किया निवेश भारत के भविष्य का निवेश
जागरण संवाददाता ऋषिकेश परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने बाल श्रम निषेध दिवस पर संदेश देते हुए कहा कि बच्चे केवल अपने परिवार का नहीं बल्कि देश का भी भविष्य होते हैं।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने बाल श्रम निषेध दिवस पर संदेश देते हुए कहा कि बच्चे, केवल अपने परिवार का नहीं बल्कि देश का भी भविष्य होते हैं। बच्चों के भविष्य के लिये किए गए फैसलों का बहुआयामी प्रभाव होता है, क्योंकि किसी राष्ट्र के निर्माण में उस राष्ट्र के बच्चों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है।
उन्होंने कहा कि बाल श्रम कानून के तौर पर तो अपराध है ही साथ ही यह नैतिक रूप से भी एक बहुत बड़ा अपराध है। इसे रोकना भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य भी होना चाहिये। बाल श्रम करने वाले बच्चे न केवल शिक्षा से ही वंचित रहते हैं, बल्कि उनका पूरा बचपन ही समाप्त हो जाता है। इससे उन लोगों के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। भारत में आज भी कई लोग समाज में हाशिये पर जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं, ये लोग हमेशा से शोषण एवं उत्पीड़न के शिकार भी रहे हैं। बाल श्रमिक के रूप में कार्य करने वाले ये बच्चे मात्र श्रमिक के रूप में ही नहीं देखे जाते हैं, बल्कि ये अशिक्षा, बेरोजगारी एवं गरीबी के भी जीते-जागते उदाहरण हैं। यही अशिक्षा, बेरोजगारी एवं गरीबी आगे चलकर मानव तस्करी, आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी जैसे गंभीर अपराधों को जन्म देती है। अत: समाज के प्रबुद्ध लोगों का कर्तव्य है कि जहां पर भी बाल श्रमिक दिखें उनसे बात करें तथा उन बच्चों को श्रम कार्य से हटाकर स्कूल भेजने के लिये प्रोत्साहित करें। कहा कि बच्चों के बचपन को बचाना अर्थात देश के भविष्य सुरक्षित करना है।