मसूरी के बोर्डिंग स्कूल में नशा पहुंचने पर बाल आयोग ने उठाए सवाल, पढ़िए पूरी खबर
मसूरी स्थित एक बोर्डिंग स्कूल में छात्र उत्पीड़न मामले की उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सवाल उठाया कि यदि छात्र नशे का सेवन करता था तो उसे प्रताड़ित कर सजा नहीं दी जा सकती।
देहरादून, जेएनएन। मसूरी स्थित एक प्रख्यात बोर्डिंग स्कूल में छात्र उत्पीड़न मामले की उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग जांच कराएगा। आयोग ने सवाल उठाया कि यदि छात्र नशे का सेवन करता था तो उसे प्रताड़ित कर सजा नहीं दी जा सकती है। ऐसे में स्कूल को काउंसिलिंग करानी चाहिए थी। आयोग ने सवाल उठाया कि बोर्डिंग स्कूल में नशे की सामग्री कैसे पहुंची। इसके अलावा छात्र को मांस सेवन कराने के आरोप की भी जांच होगी। वहीं, स्कूल के प्रिंसिपल ब्रदर टॉमी वर्गीज ने अभिभावक के आरोपों को बदले की भावना से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि अभिभावक से छात्र की शिकायत करने पर उन्होंने उल्टा प्रबंधन पर आरोप मढ़ने शुरू किए। अब स्कूल प्रबंधन भी आयोग में तथ्यों के साथ पक्ष रखेगा।
शुक्रवार को बाल संरक्षण आयोग को एक बच्चे के अभिभावक की ओर से लिखित शिकायत मिली थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि मसूरी के सेंट जार्ज स्कूल में पढ़ रहे छात्र को प्रबंधन प्रताड़ित कर रहा है। अब उसे निलंबित कर दिया गया है। शनिवार को बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि अभिभावक की ओर से दी गई शिकायत में आरोप है कि उनके बच्चे को होली व दीपावली में छुट्टी नहीं दी जा रही, जिस पर उन्होंने प्रिंसिपल के समक्ष आपत्ति जताई। आरोप लगाया कि इसके बाद प्रिंसिपल बच्चे को प्रताड़ित कर रहे हैं। इतना ही नहीं, नवरात्र में बच्चे को जबरन मांस खाने के लिए भी मजबूर किया गया।
बाल आयोग की अध्यक्ष के अनुसार दूसरी ओर प्रारंभिक पूछताछ में स्कूल प्रबंधन ने कहा कि बच्चा नशे का आदी थी, इस कारण उसे निलंबित किया गया है। आयोग ने सवाल उठाया कि ऐसी स्थिति में भी छात्र को अनुचित सजा नहीं दी जा सकती, बल्कि काउंसिलिंग की जानी चाहिए। बताया कि स्कूल को नोटिस जारी किया गया है और 26 जून को आयोग में पेश होने के आदेश दिए गए हैं।
उधर, स्कूल के प्रिंसिपल ब्रदर टॉमी वर्गीज ने कहा कि सभी आरोप झूठे हैं। छात्र को नशा करते रंगेहाथ पकड़ा गया था, जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने अभिभावक से शिकायत की थी, लेकिन अभिभावक अपने बच्चे को सुधारने के बजाय उसका पक्ष ले रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने मांस खाने के लिए मजबूर करने के आरोप को नकारते हुए कहा कि स्कूल में वेज व नॉन-वेज की अलग-अलग कैंटीन हैं। सभी छात्र-छात्राएं अपने धर्म व इच्छा के अनुसार स्वतंत्र हैं। किसी को बाध्य नहीं किया जाता है। जांच में सच सामने आ जाएगा।
कब्रिस्तान में बैठाकर दी सजा
आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि शिकायत में यह भी आरोप है कि बच्चे को रात के समय कब्रिस्तान में बैठाकर सजा दी जाती थी, जिससे बच्चा सहमा हुआ था। प्रिंसिपल वर्गीज ने बताया कि यह आरोप गलत है, क्योंकि कब्रिस्तान स्कूल से करीब एक किलोमीटर दूर है।
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