Chhath Puja 2020: व्रतियों ने छठी माई की आराधना कर मनाया खरना, 36 घंटे बाद शनिवार को खोलेंगे व्रत
Chhath Puja 2020 सूर्यदेव की आराधना और संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए मनाया जाने वाला चार दिवसीय छठ पर्व नहाय-खाय के साथ बुधवार से शुरू हो गया। कोरोना के चलते शहर में कोई बड़ा आयोजन तो नहीं हो सका।
देहरादून, जेएनएन। Chhath Puja 2020 छठ पर्व के दूसरे दिन व्रतियों ने खरना कर छठी माई की आराधना की। सूर्यास्त के समय सूर्य को बाद रसियाव रोटी खाकर व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत धारण कर लिया है। अब शनिवार सुबह सूर्योदय के समय सूर्य को अघ्र्य देने के एवं भोग चढ़ाने के बाद यह व्रत तोड़ा जाएगा। इस पूरे समय व्रती अपने संतान के सुख एवं समृद्धि के लिए छठ माई से कामना करेंगे। व्रत का महत्व व्रतियों के लिए भी कम नहीं, माना जाता है कि व्रत रखने वालों को इस व्रत से शारीरिक एवं मानसिक शुद्धता मिलती है।
गुरुवार को सुबह से ही खरना के लिए लोग ने तैयारी शुरू कर दी थी। सुबह खरने का प्रसाद तैयार करने के लिए व्रती बाजार पहुंचे। दोपहर में पलटन बाजार, झंडा बाजार, धामावाला में व्रतियों की खूब भीड़ रही। झंडा बाजार में सुबह सवा 11 करीब भीड़ और गाडिय़ों के चलते भारी जाम भी लग गया। इससे करीब आधे घंटे आवाजाही प्रभावित रही। मौके पर पुलिस को पहुंच कर जाम हटवाना पड़ा। शाम को व्रतियों ने रसियाव यानि गुड़ एवं गाय के दूध से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर छठी माई एवं अपने कुल देव को भोग चढ़ाया। साथ ही सूर्यदेव को भोग एवं अघ्र्य चढ़ाकर निर्जला व्रत धारण किया। बिहारी महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह ने बताया कि कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर खरना होता है। छठ पर्व में खरना के दिन व्रत किया जाता है और व्रती अपने कुल देवता और छठी माई की आराधना करते हैं। खरना का मतलब है शुद्धिकरण, जो व्यक्ति छठ का व्रत करता है उसे इस पर्व के पहले दिन यानी खरना वाले दिन उपवास रखना होता है। इस दिन केवल एक ही समय भोजन किया जाता है। यह शरीर से लेकर मन तक सभी को शुद्ध करने का प्रयास होता है। इसकी पूर्णता अगले दिन होती है।
आज शाम 5 बजकर 26 मिनट पर अर्घ्य
बिहारी महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह ने बताया कि आज शुक्रवार को षष्टी तिथि छठ महापर्व का सबसे खास दिन होता है। इस दिन व्रती महिलाएं ढलते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट है। इस समय सूर्य को अघ्र्य देना शुभ मना जाता है। शनिवार को सूर्योदय का समय सुबह छह बजकर 48 मिनट रहेगा। इसी समय सूर्य को अघ्र्य देकर व्रत तोड़ा जाएगा।
पूर्वा मंच की ओर से एक घाट पर आयोजन
पूर्वा सांस्कृतिक मंच की ओर से हर साल दून में 18 घाटों पर सार्वजनिक छठ पूजा का आयोजन किया जाता है। लेकिन कोरोना को देखते हुए इस साल मंच ने कोई भी सार्वजनिक आयोजन ना करने का फैसला लिया है। मंच के महासचिव सुभाष झा ने बताया कि मात्र लक्खी बाग श्मशान में रहने वाली 67 वर्षीय लक्ष्मी को घाट बनाने की अनुमति होगी। वह अकेले ही यहां छट मना सकेंगी, उनके पूरे आयोजन का खर्च भी मंच ही उठाएगा। झा ने बताया कि गुरुवार को मंच के पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई तैयार करने पर सहमति बनी।
बाजार में खरीदारी को उमड़ रही भीड़
छठ पूजा का बिहार, झारखंड के साथ पूर्व उत्तर प्रदेश में काफी महत्व है। दून में भी हर साल छठ के त्योहार पर खूब रौनक रहती है। छठ पर्व शुरू होते ही बाजार में भी खरीदारी के लिए भीड़ उमड़ने लगी है। खासतौर पर कपड़ा बाजार में खूब रौनक हो गई है। इसके अलावा लोग पूजा के लिए फूल एवं अन्य सामग्री खरीदने भी पहुंच रहे हैं।
छठ आयोजन से दूर रहेगा पूर्वा मंच
राजधानी दून समेत उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में रहने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के प्रवासियों का संगठन पूर्वा सांस्कृतिक मंच ने इस बार छठ पूजा के किसी भी आयोजन से खुद को दूर रखने का निर्णय लिया है। मंच के महासचिव सुभाष झा ने बताया कि मंच ने यह फैसला कोरोना संक्रमण को रोकने के मद्देनजर सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के पालन के तहत लिया है। उन्होंने बताया कि सभी छठ घाटों के प्रभारियों को प्रशासन द्वारा छठ के लिहाज से जारी गाइडलाइन की जानकारी दे दी गई है। अगर निजी तौर पर कोई भी आयोजन होता है तो उन्हें शारीरिक दूरी का पालन करने, मास्क अनिवार्य रूप से पहनने समेत अन्य जरूरी निर्देश दे दिए गए हैं।
नदी-नहर किनारे एकत्र होकर सूर्य को अर्घ्य देने पर प्रतिबंध
छठ का महापर्व नहाय-खाय के साथ बुधवार से शुरू हो गया है। पर्व की खुशियों पर कोरोना संक्रमण का साया न मंडरा पाए, इसको लेकर जिला प्रशासन भी अलर्ट मोड में आ गया है। छठ पर नदी, नहरों किनारे, घाट आदि पर बड़ी संख्या में लोग एकजुट होकर सूर्य को अर्घ् देते हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण बढ़ सकता है। लिहाजा, प्रशासन ने सार्वजनिक स्थल पर एकजुट होकर अघ्र्य देने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
बुधवार को जारी आदेश में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) बीर सिंह बुदियाल ने कहा कि सभी लोग अपने-अपने घरों पर रहकर ही पूजन करेंगे। घरों के आसपास भी लोग सीमित संख्या में एकत्रित होंगे और शारीरिक दूरी के नियमों का पालन कर अनिवार्य रूप से मास्क पहनेंगे। इसके अलावा 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का पूजा के दौरान उचित ध्यान रखने और 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को पूजन से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी गई है। आदेश में यह भी कहा गया है कि कंटेनमेंट जोन में पूजा का आयोजन प्रतिबंधित रहेगा। किसी भी तरह के नियम के उल्लंघन पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।