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आज नहाय-खाय से शुरू होगा छठ का महापर्व

दीपावली के बाद सबसे बड़ा त्योहार आता है छठ पूजा। कार्तिक महीने की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तक मनाया जाने वाला यह त्योहार चार दिनों तक चलता है। इस बार छठ पर्व 11 नवंबर से 14 नवंबर तक मनाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 03:01 AM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 03:01 AM (IST)
आज नहाय-खाय से शुरू होगा छठ का महापर्व
आज नहाय-खाय से शुरू होगा छठ का महापर्व

जागरण संवाददाता, देहरादून: दीपावली के बाद सबसे बड़ा त्योहार आता है छठ पूजा। कार्तिक महीने की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तक मनाया जाने वाला यह त्योहार चार दिनों तक चलता है। इस बार छठ पर्व 11 नवंबर से 14 नवंबर तक मनाया जाएगा। रविवार को नहाय-खाय के साथ पर्व की शुरुआत होगी। इसके लिए दून के घाटों की सफाई शुरू हो गई है। विभिन्न इलाकों में छठ पूजा स्थल तैयार किए जा रहे हैं।

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मुख्य पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी को की जाती है। षष्ठी को अस्त होते सूर्य और सप्तमी को उदय होते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ देवी सूर्य की बहन हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए सूर्य की आराधना की जाती है। इस दिन सूर्य की भी पूजा की जाती है। माना जाता है जो व्यक्ति छठ माता की पूजा करता है, छठ माता उनकी संतानों की रक्षा करती हैं।

क्या है मान्यता

मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, लंकापति रावण के वध के बाद जब कार्तिक माह की अमावस्या को भगवान राम अयोध्या पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों की सलाह से राजसूय यज्ञ किया। इस यज्ञ के लिए अयोध्या में मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया गया। मुग्दल ऋषि ने मां सीता को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने की सलाह दी। इसके बाद मां सीता ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में छह दिनों तक सूर्यदेव की पूजा की थी। इसके बाद से ही यह पर्व मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है।

छठ पूजा को बाजार में सजे सूप और डाला: दून में छठ पूजा की रौनक बाजारों में दिखाई दे रही है। लोग पूजा के लिए सूप, डाला, आम की लकड़ी, हल्दी और अदरक की पौध की खरीददारी कर रहे हैं। वहीं चकोतरा, गन्ना, नारियल, फल, मखाने, सौंफ, इलायची, खाजा मिठाई भी बाजार में बिक रही है। लोग अपने घरों में मिट्टी के चूल्हे भी तैयार कर रहे हैं। मिट्टी के चूल्हे पर ही छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है। बाजार में पीतल के सूप और डाला भी बिक रहे हैं। विक्रेता अनिल कुमार ने बताया कि बांस के बने सूप और डाले बिहार से मंगाए गए हैं, जो 300 रुपये जोड़े और टोकरे 250 रुपये के बिक रहे हैं। छठ मैया को अर्पित करने के लिए साड़ी और श्रृंगार सामग्री की भी खरीददारी की जा रही है।

बिहारी महासभा की ओर से की जा रही विशेष तैयारियां: छठ पूजा के लिए बिहारी महासभा की ओर से देहरादून में विशेष तैयारियां की जा रही हैं। महासभा के अध्यक्ष सतेंद्र कुमार ने बताया कि छठ व्रत का मुख्य आयोजन टपकेश्वर स्थित तमसा नदी में ही होगा। इसके अलावा चंद्रबनी, प्रेमनगर, माल देवता, चाय बागान, रायपुर में भी पूजा-स्थल तैयार किए जा रहे हैं। बताया कि पूजा-स्थलों पर लाइटिंग, कपड़े बदलने की सुविधा दी जाएगी। वहीं व्रतियों के लिए प्रसाद वितरण और मेडिकल की भी विशेष सुविधा है। बताया कि 11 नवंबर को नहाय-खाय के दिन से पर्व की शुरुआत होगी। व्रती महिलाएं अपना व्रत शुरू करेंगी। इस दिन लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल खाया जाता है। 12 को खरना होगा। इस दिन अन्न व जल ग्रहण किए बिना उपवास किया जाता है। शाम को चाव व गुड़ से खीर बनाकर उसका प्रसाद खाया जाएगा। वहीं 13 को षष्ठी होगी। इस दिन चावल के लड्डू बनाए जाते हैं। प्रसाद व फल लेकर बांस की टोकरी में सजाए जाते हैं। टोकरी की पूजा कर सभी व्रती सूर्य को अ‌र्घ्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट आदि पर जाते हैं। जिसके बाद डूबते सूर्य की आराधना की जाती है। पंडित गौरव आर्य ने बताया कि 14 तारीख को षष्ठी की समाप्ति पर उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर खुशहाली की कामना की जाएगी।

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षष्ठी तिथि आरंभ: 13 नवंबर को दोपहर 1:50 बजे से

सूर्यास्त: शाम 5:28 बजे

सप्तमी: 14 नवंबर

सूर्योदय: सुबह 6:39 बजे


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