आरटीओ देहरादून नाम की वेबसाइट से हुई 49 हजार रुपये की ठगी, पढ़िए पूरी खबर
आरटीओ देहरादून नाम की वेबसाइट से 49 हजार रुपये की ठगी हुई जब दून निवासी पीड़ित ने इस वेबसाइट के जरिये लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए संपर्क किया था।
देहरादून, जेएनएन। आरटीओ देहरादून नाम की वेबसाइट से 13 दिन पहले भी 49 हजार रुपये की ठगी हुई थी। दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करने वाले लूनिया मोहल्ला निवासी पीड़ित ने इस वेबसाइट के जरिये लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए संपर्क किया था। उन्होंने दिए गए मोबाइल नंबर पर बात की तो उन्हें एक लिंक भेजकर उस पर क्लिक करने और यूपीआई लिंक नंबर से पांच रुपये ट्रांसफर करने को कहा था। इतना करते ही उनके खाते से 49 हजार रुपये निकल गए। पीड़ित ने 30 सितंबर को इसकी शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के साइबर सेल को दी थी।
तब पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई करती और लोगों को जागरूक करने की पहल की होती तो वसंत विहार में शुक्रवार को दूसरी घटना न होती। ऋषि सेठी निवासी लूनिया मोहल्ला, नगर कोतवाली दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं। उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है। 28 सितंबर को लर्निंग डीएल बनवाने की प्रक्रिया जानने के लिए उन्होंने गूगल पर आरटीओ देहरादून को सर्च किया। मोबाइल पर आरटीओ देहरादून वेबसाइट खुली, जिस पर एक मोबाइल नंबर भी फ्लैश हो रहा था। ऋषि ने इस नंबर पर कॉल की। फोन उठाने वाले शख्स ने खुद को आरटीओ कर्मचारी बताते हुए कहा कि वह उनका लर्निंग डीएल ऑनलाइन बनवा देगा। इसके लिए वह एक लिंक भेज रहा है, जिस पर क्लिक करने के बाद उन्हें अपने बैंक अकाउंट लिंक मोबाइल नंबर से पांच रुपये उसके नंबर पर ट्रांसफर करने होंगे। तब तक ऋषि को अहसास नहीं हुआ था कि वह साइबर ठग के जाल में फंसने जा रहे हैं। उन्होंने लिंक पर क्लिक करने के बाद पांच रुपये ट्रांसफर कर दिए। उसी दिन शाम को उन्हें बैंक से एसएमएस आया कि उनके खाते से 49 हजार और छह सौ रुपये किसी और बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए गए हैं। ऋषि ने बताया कि उन्होंने तीस सितंबर को एसएसपी आफिस के साइबर सेल को संबोधित शिकायत प्रकोष्ठ को रिसीव करा दी थी, लेकिन मामले में अब तक मुकदमा तक दर्ज नहीं हुआ। ऋषि ने यह भी कहा कि उन्होंने इस संबंध में कोतवाली पुलिस से भी संपर्क किया था, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली। वहीं, इसी बीच ठीक इसी तरह उसी आरटीओ देहरादून की वेबसाइट से वसंत विहार क्षेत्र की नीलम नाम की युवती से 48 हजार 900 रुपये की ठगी कर ली गई।
सरकारी नामों से वेबसाइट बना कर रहे फ्रॉड
आरटीओ देहरादून के नाम से कोई वेबसाइट अस्तित्व में ही नहीं है। परिवहन विभाग की वेबसाइट parivahan.gov.in के नाम से है। यही नहीं, हाल ही में जौलीग्रांट एयरपोर्ट के नाम पर नेहरू कॉलोनी क्षेत्र की एक युवती से ठगी कर ली गई। जालसाज ने नौकरी डॉट कॉम पर एयरपोर्ट में जॉब के लिए विज्ञापन दिया था। यह तो वे मामले हैं, जिनमें पीड़ितों ने शिकायतें दर्ज कराईं। हकीकत यह है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकार और बड़ी निजी कंपनियों के मिलते-जुलते नामों से वेबसाइट इंटरनेट पर सर्च करते समय दिख जाती हैं, लोग भी इन साइटों के झांसे में आकर गाढ़ी कमाई जब गंवा देते हैं, तब वह सही और गलत वेबसाइट का फर्क करने के लिए जागरूक होते हैं।
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ऐसे करें वेबसाइट के असली-फर्जी होने की पहचान
- ई-मेल या वेबसाइट को खोलने से पहले उसमें लिखे गए टेक्स्ट की स्पेलिंग चेक करें। आमतौर पर फर्जी मेल और वेबसाइट में शब्दों की स्पेलिंग गलत लिखी होती हैं। कई बार ग्रामर की भी गलती देखने को मिलती है।
- ई-मेल भेजने वाले के नाम पर भरोसा ना करें। कई बार हैकर्स आपके परिचित के नाम से ई-मेल भेजते हैं और आपको लगता है कि आपके दोस्त ने मेल भेजा है। इसलिए पूरी तरह से चेक करने के बाद ही ई-मेल ओपन करें। ई-मेल एड्रेस (आईडी) भी चेक करें।
- फर्जी वेबसाइट और ई-मेल को पहचानने का एक तरीका यह भी है कि मेल में आए लिंक को खोलने से पहले उस पर माउस ले जाएं। अब आपको पॉपअप के रूप में असली यूआरएल और हाइपरलिंक दिखेगा।
- कई बार ई-मेल, मैसेज और वेबसाइट पर आपकी पर्सनल जानकारी मांगी जाती है। ऐसे में सतर्क हो जाएं। किसी भी सूरत में अपना पासवर्ड, पर्सनल डाटा और डेबिड या क्रेडिट कार्ड की जानकारी ना दें।
- किसी भी अटैचमेंट पर तुरंत क्लिक न करें। खोलने या डाउनलोड करने से पहले जिस मेल से वह आया है, उस आईडी की जांच करें। अगर आप उस ई-मेल आईडी को जानते हैं तो ही अटैचमेंट को ओपन करें, अन्यथा मेल को डिलीट कर दें।
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