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छठ महापर्व: उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर किया व्रत का पारायण

जागरण संवाददाता विकासनगर सूर्योपासना का महापर्व छठ शनिवार को उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 07:28 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 07:28 PM (IST)
छठ महापर्व: उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर किया व्रत का पारायण
छठ महापर्व: उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर किया व्रत का पारायण

जागरण संवाददाता, विकासनगर: सूर्योपासना का महापर्व छठ शनिवार को उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। कोरोना महामारी का असर तो वैसे सभी पर्व त्योहारों पर रहा, छठ महापर्व पर भी इसका खास असर दिखा। अधिकांश श्रद्धालुओं ने छठ महापर्व का पूजन अपने घरों पर ही किया। मकान की छत पर वैकल्पिक व्यवस्था कर श्रद्धालुओं ने पोखरनुमा स्थान बनाया और उसमें खड़े होकर पर्व की परंपरा को पूर्ण किया। इस बार गौतम ऋषि की तपस्थली गंगभेवा बावड़ी व नदी के किनारे गिने चुने श्रद्धालु पहुंचे। महिलाओं ने आराध्य देव सूर्य की पूजा कर चार दिन चले इस व्रत अनुष्ठान व्रत का पारायण किया और छठ मइया के गीत गान के साथ प्रसाद भी बांटा।

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कोरोना महामारी के चलते जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए श्रद्धालुओं ने इस बार पछवादून में छठ पर्व पर सूर्य को अ‌र्घ्य देने के लिए छत पर प्लास्टिक डालकर पोखर बनाया। किसी ने पानी से भरे टब में खड़े होकर पूजन किया तो किसी ने अन्य व्यवस्था के साथ महापर्व का अनुष्ठान पूर्ण किया। उत्तर प्रदेश के पूर्वाचल समेत बिहार और झारखंड में मनाए जाने वाले इस महापर्व की परंपरा पछवादून के भी लगभग सभी क्षेत्रों में व्यापक रूप से प्रचलित है। पर्व के अंतिम दिन भोर में महिलाओं ने केरवा के फरेला घवद, ओही पर सुगा मंडराय.., कांच ही बांस के बंहगिया, बंहगी लचकत जाए., अवन सूरज देव भइल अरघ के बेर, सेविले चरण तोहर हे छठी मइआ महिमा तोहर अपार., दिनभर के भूखली तिरीअवा, जलवे मा खरी.. आदि छठ के गीतों से समा बांधा। शुक्रवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देकर सूर्य के उगने का इंतजार करते श्रद्धालुओं का कहना था कि महाभारत काल से यह व्रत शुरू हुआ था। इस व्रत अनुष्ठान में मौसमी फल और सब्जियों का प्रयोग किया जाता है। छठ के दौरान महिलाएं अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए इस कठिन व्रत का पालन करती हैं। नहाए खाए से शुरू हुए व्रत का समापन उगते सूर्य की पहली किरण को अ‌र्घ्य देने के साथ हुआ। विकासनगर में पूर्वांचली परिवारों की रंजना देवी, शोभा, रेनू, कंचन, लालती गुप्ता, कलावती देवी, लालती गुप्ता, गीता, अंजू, रूबी शर्मा, गुरिया शर्मा, मीरा शर्मा, छुमकी देवी, रीना, केके गौतम, लालबाबू गुप्ता, कृष्णा शर्मा, उत्त शर्मा, अनिल शर्मा, देव किशोर शर्मा, ऋषि कुमार, श्रीकांत राय, सेलाकुई में जितेंद्र कुमार गुप्ता, आमल किशोर गुप्ता, हरकेश, भीम सिंह, रानी, विभा, गीता देवी, आशा देवी, रितिक द्विवेदी, बसंत द्विवेदी, हिमांशु, हरिशंकर यादव, आइडी द्विवेदी आदि ने छठ पर्व धूमधाम से मनाया।

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पर्व के पीछे का विज्ञान

विकासनगर: छठ पर्व की परंपरा में गहरा विज्ञान छिपा है। षष्टी तिथि यानि छठ एक विशेष खगोलीय अवसर है। पूर्वांचल नागरिक परिषद के संयोजक एके सिंह बताते हैं कि इस समय सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में आती हैं, सूर्य की पराबैंगनी किरणें कुछ सतह से परिवर्तित व कुछ जलीय अपरिवर्तित होती हैं। सूर्यास्त व सूर्योदय को यह और सघन हो जाती हैं। इससे वातावरण व शरीर के अंदर के कीटाणु मर जाते हैं।


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