छठ में बिखरेगी सेवा और भक्ति की छटा, जानिए कैसे करें पूजा
राजधानी देहरादून मेंं छठ पूजा के लिए तैयारियांं जोरों पर हैं। बाजारों में महिलाओं की भीड़ देखने को मिल रही है। आपको बता दें कि छठ पर्व 24 अक्टूबर से शुरू हो रहा है।
देहरादून, [जेएनएन]: दीपोत्सव खत्म होने के साथ ही द्रोणनगरी में छठ पूजा का उल्लास बिखरने लगा है। छठ पूजा का आरंभ 24 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ होगा और 27 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही समापन। यह लोकपर्व है। छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी, पवित्रता और लोकपक्ष है। भक्ति और अध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व के लिए न विशाल पंडाल की जरूरत होती है और न ही भव्य सजे मंदिर और मूर्तियों की। यह एक कठिन तपस्या है, इसमें न कोई पंडित होता है और न कोई जात-पात। इसमें छठी माता के साथ ही होती है प्रकृति (सूर्य) की अनुपम आराधना। पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री भी प्राकृतिक होती हैं। उल्लास से भरे इस पर्व में सेवा और भक्ति भाव का विराट स्वरूप साकार होता है। बाजार में महिलाओं ने छठ पूजन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की खरीददारी भी की।
देहरादून में पूर्वांचल के लोग बड़ी संख्या में बसे हैं, तो यहां भी छठ का विशेष उल्लास रहता है। बिहारी महासभा के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने बताया कि यह पर्व बांस निर्मित सूप व टोकरी, मिट्टी के बर्तनों और गन्ना के रस, गुड, चावल, गेहूं से निर्मित प्रसाद और सुमधुर लोकगीतों से युक्त होकर लोक जीवन की मिठास को बयां करता है। इस पर्व का केंद्र किसान और ग्रामीण जीवन होता है। सभी कृतज्ञतापूर्वक सहर्ष सेवा को तैयार रहते हैं और कोई भेदभाव नहीं दिखता।
छठ पूजा में कब क्या
24 अक्टूबर: नहाय खाय
इस दिन व्रतियां सुबह स्नान कर लौकी और चावल से बने प्रसाद को ग्रहण करती हैं।
25 अक्टूबर: खरना
खरना के दिन उपवास शुरू होता है और परिवार की श्रेष्ठ महिला 12 घंटे का निर्जला उपवास करती हैं। शाम के वक्त छठी माता को बूर वाली खीर और रोटी से बना प्रसाद चढ़ाया जाता है। साथ ही मौसम के तमाम फल छठी मां को अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद बूर वाली खीर और रोटी के प्रसाद से महिलाएं निवृत होती हैं। व्रत को श्रेष्ठ महिला के अलावा अन्य महिलाएं व पुरुष भी कर सकते हैं।
26 अक्टूबर: संध्या अर्घ्य(पहला अर्घ्य)
खरना का उपवास खोलते ही महिलाएं 36 घंटे के लिए निर्जला उपवास ग्रहण करती हैं। पहले अर्घ्य के दिन बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है। शाम के वक्त व्रतियां नदी किनारे घाट पर एकत्र होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
27 अक्टूबर: उषा अर्घ्य (दूसरा अर्घ्य)
इस दिन सूर्य उदय से पहले ही व्रतियां घाट पर एकत्र हो जाती हैं और उगते सूरज को अर्घ्य देकर छठ व्रत का पारण करती हैं। अर्घ्य देने के बाद महिलाएं कच्चे दूध का शरबत पीती हैं।
12 घाटों पर होगी छठ पूजा
पूर्वा सांस्कृतिक मंच ने छठ पूजा की तैयारी शुरू कर दी है। पूजा के लिए शहर में 12 घाटों का चयन किया है और इनकी साफ-सफाई भी शुरू हो चुकी है। मंच ने निर्बाध पानी आपूर्ति करना का सिंचाई विभाग से अनुरोध किया है। जल्दी ही संस्था का प्रतिनिधि मंडल इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी मिलेगा। मंच के महासचिव सुभाष झा ने बताया कि तैयारी को लेकर हुई बैठक में पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंप दी गई है।
यह भी पढ़ें: केदारपुरी के डिजायन और शिल्प पर होगी पीएम मोदी की नजर
यह भी पढ़ें: शीतकाल के लिए केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद