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अनेकता में एकता के रंग बिखेर रही Chardham Yatra, कई प्रांतों से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

Chardham Yatra 2022 चारधाम यात्रा के लिए मन में श्रद्धा और भगवान के दर्शन की अभिलाषा लिए कई प्रांतों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु ऋषिकेश पहुंच गए हैं। इनमें 150 श्रद्धालुओं का एक समूह परिवार की तरह यहां पहुंचा है।

By Edited By: Published: Tue, 17 May 2022 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 08:13 AM (IST)
अनेकता में एकता के रंग बिखेर रही Chardham Yatra, कई प्रांतों से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु
Chardham Yatra 2022: कई प्रांतों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु ऋषिकेश पहुंचे

हरीश तिवारी, ऋषिकेश: Chardham Yatra 2022: मन में श्रद्धा और भगवान के दर्शन की अभिलाषा लिए कई प्रांतों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु ऋषिकेश पहुंच गए हैं। इनमें 150 श्रद्धालुओं का एक समूह परिवार की तरह यहां पहुंचा है। नई व्यवस्था के तहत 21 मई को इन्हें बदरीनाथ धाम के दर्शन होंगे। तब तक यह श्रद्धालु यहीं पर पड़ाव डाले हैं। जालना औरंगाबाद महाराष्ट्र से आए यह श्रद्धालु आज भी सांझा चूल्हा संस्कृति को जीवित रखे हैं।

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भोजन माता चंद्रकला इस परिवार में अन्नपूर्णा के रूप में शामिल हुई है। कोरोना संक्रमण काल के दो वर्ष बाद चारधाम श्रद्धालुओं की भारी आमद से गुलजार हो रहे हैं। आस्था का सैलाब ऐसा उमड़ा है कि शासन और प्रशासन को व्यवस्था बनाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। हजारों किलोमीटर दूर प्रांत से यहां पहुंचे श्रद्धालु यही उम्मीद लेकर आए हैं कि उन्हें अगले रोज यात्रा पर जाने का अवसर प्राप्त होगा।

धामों पर भीड़ को नियंत्रण करने के लिए शासन ने पंजीकरण के साथ स्लाट की व्यवस्था जारी की है। यहां पहुंच कर श्रद्धालुओं को पता चल रहा है कि उन्हें धामों के दर्शन करने में समय लगेगा। अधिसंख्य श्रद्धालु ऐसे हैं जो धामों के दर्शन करके ही यहां से लौटना चाहते हैं। राजस्थान, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि प्रांतों से अलग अलग संस्कृति से जुड़े हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं।

ऋषिकेश का बस टर्मिनल कंपाउंड ऐसे में अनेकता में एकता का संदेश दे रहा है। जालना औरंगाबाद महाराष्ट्र से सोमवार को 150 श्रद्धालुओं का समूह परिवार की तरह ऋषिकेश पहुंचा। यहां सभी लोग बसों से आए हैं। यहां इन्हें नई व्यवस्था के तहत जो स्लाट जारी हुए वह धामों की परंपरागत दर्शन परंपरा के अनुरूप नहीं है। लेकिन हालात को समझते हुए उन्हें नई व्यवस्था भी स्वीकार है।

25 वीं बार यात्रा पर आए हैं तानाजी

यात्रियों के इस परिवार के मुखिया गिरी तानाजी अब तक 24 बार अलग-अलग यात्रियों के समूह को लेकर चारधाम यात्रा पर आ चुके हैं। पिछली मर्तबा वर्ष 2019 को वह यात्रा पर आए थे। इस बार वह 25 वीं बार यात्रा पर आए हैं। उन्होंने बताया कि 21 मई को हमें बदरीनाथ धाम के दर्शन होंगे। उसके बाद हम गंगोत्री फिर केदारनाथ और उसके बाद यमुनोत्री धाम के दर्शन करेंगे। प्रशासन ने एक आश्रम में हमारी व्यवस्था की गई है। अभी सभी लोग बस टर्मिनल कंपाउंड में ही पड़ाव डाले हैं। इस नई व्यवस्था से इन श्रद्धालुओं को कोई शिकायत नहीं है।

उनका कहना है कि दो वर्ष तक इंतजार करने के बाद भगवान का दर्शन के लिए बुलावा आया है। अब यदि भगवान ने दर्शन के लिए इसी तरह की अनुमति दी है तो हम उसका भी पालन करेंगे। यात्रियों के इस परिवार की खास बात यह है कि यह अपना परंपरागत भोजन और रसोई को साथ लेकर चल रहे हैं। सांझा चूल्हा संस्कृति को जीवित रखे इन श्रद्धालुओं के भोजन की जिम्मेदारी 11 महिलाओं के समूह की है। जिसकी मुखिया 60 वर्षीय भोजन माता चंद्रकला ताई के ऊपर है।

150 सदस्यों का भोजन यह 11 लोग खुशी-खुशी तैयार करते हैं। बड़े तवे पर एक साथ तीन ज्वार की रोटियां यह तैयार करते हैं और उसके बाद सभी सदस्यों को एक साथ भोजन परोसा जाता है। भोजन माता के साथ महिलाओं की टोली सभी को भोजन कराने के बाद ही भोजन करती है। महाराष्ट्र के इन श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा कोई कष्ट नहीं बल्कि एक असीम आनंद प्राप्त करने का अवसर है।

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