Move to Jagran APP

Chardham Yatra 2023: घोड़ा-खच्चर संचालकों को दिखानी होगी यह रिपोर्ट, तभी चारधाम यात्रा में हो सकेंगे शामिल

Chardham Yatra 2023 आगामी 22 अप्रैल को यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। चारधाम यात्रा पर बाहर से आने वाले घोड़ा-खच्चर संचालकों को इस बार घोड़ा-खच्चर के संचालन के लिए उनकी ग्लैंडर्स निगेटिव रिपोर्ट भी दिखानी होगी।

By Sumit kumarEdited By: Nirmala BohraPublished: Tue, 21 Mar 2023 09:43 AM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2023 09:43 AM (IST)
Chardham Yatra 2023: घोड़ा-खच्चर संचालकों को दिखानी होगी यह रिपोर्ट, तभी चारधाम यात्रा में हो सकेंगे शामिल
Chardham Yatra 2023: घोड़ा-खच्चर के संचालन के लिए उनकी ग्लैंडर्स निगेटिव रिपोर्ट भी दिखानी होगी।

सुमित थपलियाल, देहरादून: Chardham Yatra 2023: चारधाम यात्रा पर बाहर से आने वाले घोड़ा-खच्चर संचालकों को इस बार घोड़ा-खच्चर के संचालन के लिए उनकी ग्लैंडर्स निगेटिव रिपोर्ट भी दिखानी होगी। इसके बाद ही घोड़ा-खच्चरों को राज्य में प्रवेश करने दिया जाएगा। घोड़ा-खच्चर और रिपोर्ट की जांच के लिए पशुपालन विभाग राज्य के सीमा क्षेत्रों में जल्द पांच निगरानी चौकी स्थापित करने जा रहा है।

loksabha election banner

आगामी 22 अप्रैल को यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। यात्राकाल में खासकर केदारनाथ और यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाले पैदल मार्गों की कठिन चढ़ाई पर घोड़ा-खच्चर ही तीर्थ यात्रियों को राहत देते हैं।

उत्तराखंड के अलावा जम्मू, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद, सहारनपुर व बिजनौर समेत विभिन्न शहरों से संचालक यात्रा के लिए घोड़ा-खच्चर लेकर यहां पहुंचते हैं।

बीते वर्ष चारधाम यात्रा के दौरान राज्य में सैकड़ों घोड़ा-खच्चर की मौत हुई थी। इसी को देखते हुए पशुपालन विभाग ने यात्रा में बाहर से आने वाले घोड़ा-खच्चर के लिए ग्लैंडर्स की रिपोर्ट अनिवार्य की है। यह रिपोर्ट एक माह के भीतर की होनी चाहिए।

निगरानी चौकी में तीन सदस्यीय टीम करेगी जांच

निगरानी चौकी विकासनगर, सुभाषनगर व आशारोड़ी (देहरादून), श्यामपुर (हरिद्वार) और रुड़की में बनाई जाएंगी। प्रत्येक चौकी में पशु चिकित्सक समेत तीन सदस्यीय टीम तैनात रहेगी। जो ग्लैंडर्स की रिपोर्ट के साथ घोड़ा-खच्चर की जांच करेगी। ग्लैंडर्स की रिपोर्ट निगेटिव नहीं होने पर पशु संचालकों को लौटा दिया जाएगा।

यह होता है ग्लैंडर्स

  • ग्लैंडर्स एक संक्रामक बीमारी है, जो अश्व प्रजाति यानी घोड़ा-खच्चर में होती है।
  • इस बीमारी से ग्रसित पशु के शरीर पर गांठ पड़ जाती हैं।
  • मुंह से खून आने के साथ सांस संबंधी तकलीफ बढ़ जाती है और लीवर व गुर्दे खराब हो जाते हैं। अंतत: पशु की मौत हो जाती है।

‘ग्लैंडर्स को लेकर विभाग सतर्क है। इस संबंध में सभी जिलों के चिकित्सकों को भी निर्देश दिए गए हैं। उत्तराखंड से सटे राज्यों से ग्लैंडर्स के मामले आने पर सतर्क रहने और सूचित करने को कहा गया है।’

-डा. विद्यासागर कापड़ी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, देहरादून


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.