Move to Jagran APP

Chamoli Disaster: चमोली की घटना के बाद संवेदनशील गांवों के नए सिरे से पुनर्वास की जरूरत

Chamoli Disaster चमोली की घटना के बाद संवेदनशील गांवों के पुनर्वास के लिए नए सिरे से ठोस कार्ययोजना बनाने की जरूरत है। यह समझना होगा कि प्रदेश में संवेदनशील गांवों की संख्या लगातार बढ़ सकती है। इन्हें समय रहते विस्थापित न किए जाने से स्थिति और विकट हो सकती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2021 01:19 PM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2021 05:02 PM (IST)
Chamoli Disaster: चमोली की घटना के बाद संवेदनशील गांवों के नए सिरे से पुनर्वास की जरूरत
आपदा आने की सूरत में यहां जान माल का बड़ा नुकसान होने की आशंका

देहरादून, राज्य ब्यूरो। Chamoli Disaster प्रदेश में आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों का अभी तक विस्थापन न हो पाना चिंताजनक है। जिस तरह से प्रदेश में प्राकृतिक आपदाएं कहर बरपाती रहती हैं, उससे इन गांवों को लेकर चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। चमोली में आई आपदा के बाद से तो इस दिशा में गंभीर पहल शुरू किए जाने की जरूरत महसूस हो रही है। दरअसल, प्रदेश में इस समय 395 से अधिक गांव आपदा के प्रति संवेदनशील हैं। इन गांवों पर खतरा सबसे अधिक है। आपदा आने की सूरत में यहां जान माल का बड़ा नुकसान होने की आशंका जताई गई है।

loksabha election banner

प्रदेश सरकार ने इन गांवों की पहचान के दौरान यह कहा था कि जल्द ही इन्हें सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किया जाएगा। इसके लिए बकायदा वर्ष 2011 में पुनर्वास नीति भी बनाई गई। इस नीति में यह स्पष्ट किया गया था कि पुनर्वास किए जाने वाले गांवों को किस तरह विस्थापित किया जाएगा और इन्हें क्या-क्या सुविधाएं दी जाएंगी। इस नीति के बनने के बाद इन गांवों को विस्थापित करने के लिए भूमि की तलाश शुरू की गई।

प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के साथ उचित स्थानों पर सरकारी जमीन न मिलने के कारण इस दिशा में कवायद आगे नहीं बढ़ पाई। कहा गया कि इन गांवों के लोग मैदानी क्षेत्रों में विस्थापित नहीं होना चाहते। इसके अलावा इनके विस्थापन के लिए खासे अच्छे बजट की भी जरूरत है। इसके लिए पूर्व में प्रदेश सरकार केंद्र से अनुरोध कर चुकी है, लेकिन अपेक्षित मदद नहीं मिल पाई है। गांवों का विस्थापन न होने के ये प्रमुख कारण हैं।

बहरहाल, इन सभी विषयों पर चिंता सरकार को करनी है। उचित जगह न मिलने और आर्थिक हालात का हवाला देकर शासन व सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती। सरकार को चाहिए कि वह इन सभी प्रभावित गांवों के विस्थापन को पर्वतीय क्षेत्रों में ही उचित जगह तलाश करे, ताकि ग्रामीणों को एकाएक नए परिवेश और विपरीत परिस्थितियों से जूझना न पड़े। बेहतर होगा कि सरकार इस मुहिम के लिए संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय करनी चाहिए। 

Fact Check: अलास्का के पिघलते ग्लेशियर की तस्वीर उत्तराखंड के नाम पर की जा रही वायरल

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.