उत्तराखंड : ग्रीन बोनस और विशेष आयुष जोन को मिले केंद्रीय मदद
त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार को केंद्रीय बजट इस बार खास उम्मीदें हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये केंद्रीय बजट निर्माण पर चर्चा के दौरान कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने तीन मांगों पर प्रमुख रूप से जोर दिया।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार को केंद्रीय बजट इस बार खास उम्मीदें हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये केंद्रीय बजट निर्माण पर चर्चा के दौरान कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने तीन मांगों पर प्रमुख रूप से जोर दिया। उत्तराखंड को ग्रीन बोनस के साथ ही विशेष आयुष जोन और पलायन रोकने को सीमांत क्षेत्रों में अवस्थापना विकास के लिए अतिरिक्त मदद की पुरजोर पैरवी की है।
कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने मंगलवार को आनलाइन चर्चा में राज्य के विकास को आयुष, ग्रीन बोनस, सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम, प्रधानमंत्री आवास योजना, ग्रामीण, शहरी विकास, वन एवं पर्यावरण, पर्यटन, उद्योग, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना, समाज कल्याण विभाग से संबंधित प्रस्ताव केंद्रीय वित्त मंत्री के समक्ष विस्तार से रखे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल पर योग को मिल रहे प्रोत्साहन के तहत राज्य में स्पेशल ईकोनोमिक जोन की तर्ज पर नई केंद्र सहायतित योजना के तहत विशेष आयुष जोन विकसित किया जाना चाहिए। इसमें वेलनेस सेंटर, योग विश्वविद्यालय, आध्यात्मिक केंद्र, जड़ी-बूटियां व हर्बल विनिर्माण इकाइयों को शामिल किया जाए।
ग्रीन बोनस की पैरवी करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य का 71 प्रतिशत क्षेत्र वन एवं बुग्यालों व ग्लेशियरों के अंतर्गत है। विकास कार्यों के लिए केवल 29 प्रतिशत भूमि ही उपलब्ध है। पर्यावरण संरक्षण व पारिस्थितिकी सेवाओं में उत्तराखंड के योगदान को देखते हुए ग्रीन बोनस मिलना चाहिए। ग्रीन एकाउंटिंग से संबंधित एक अध्ययन के अनुसार राज्य के वनों से जुड़े 21 ईको सिस्टम सॢवस के फ्लो बेनिफिट का मौद्रिक मूल्य प्रति वर्ष 95000 करोड़ रुपये आंकलित किया गया है। अन्य राज्यों ने जंगलों को नष्ट कर औद्योगिक गतिविधियां बढ़ाईं, ऐसे में राज्य के योगदान को देखते हुए ग्रीन बोनस मिलना चाहिए।
सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत दो देशों नेपाल तथा चीन से सटे अंतर्राष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों में पलायन रोकने को केंद्र सरकार से ज्यादा बजट की मांग की गई। इसीतरह दुर्गम भौगोलिक क्षेत्रों में निर्माण सामग्री ढुलान की अधिक लागत देखते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रति लाभार्थी धनराशि 1.30 लाख से बढ़ाकर दो लाख करने पर जोर दिया गया।
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