एक साल केंद्र से नहीं मिली मदद, फिर भी चेते नहीं अफसर
केंद्र सरकार खुद शासन से योजना बनाने और पूर्व में जारी करीब 10 करोड़ का उपयोग प्रमाण पत्र भेजने को कहा है।
देहरादून, [विकास गुसाई]: प्रदेश सरकार एक ओर अनुसूचि जाति के कल्याण के लिए केंद्रीय योजनाओं को लेकर लगातार प्रचार-प्रसार कर रही है। वहीं संबंधित विभाग केंद्र से मिलने वाली वित्तीय सहायता के प्रति गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। इसका उदाहरण अनुसूचित जाति के लिए विशेष केंद्रीय सहायता की मद में दी जाने वाली राशि के प्रति शासन और विभाग की उदासीनता है।
केंद्र के एक साल तक वित्तीय सहायता पर रोक लगाने के बाद भी अधिकारियों की तंद्रा नहीं टूटी। आलम यह है कि अब केंद्र ने ही शासन से योजना बनाने और पूर्व में जारी 10.4 करोड़ का उपयोग प्रमाण पत्र भेजने को कहा है।
दरअसल, केंद्र की ओर से देश के सभी राज्यों को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले अनुसूचित जाति के लोगों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता के मद में आर्थिक सहायता दी जाती है। इस मद से गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों को आर्थिक सहायता, पेंशन और संबंधित क्षेत्रों में निर्माण कार्य किए जाते हैं। वर्ष 2016-17 में केंद्र ने प्रदेश को विशेष केंद्रीय सहायता के तहत 10.40 करोड़ की सहायता राशि जारी की थी। प्रदेश में इस पैसे का इस्तेमाल तो हुआ लेकिन इसका उपयोग प्रमाण पत्र केंद्र को नहीं भेजा गया। केंद्र की ओर से लगातार पत्राचार के बावजूद संबंधित विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
नतीजतन वर्ष 2017-18 में केंद्र ने इस मद में प्रदेश सरकार को कोई पैसा नहीं दिया। इसके बावजूद अधिकारी नहीं चेते। अब केंद्र ने एक बार फिर शासन का ध्यान इस ओर खींचा है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की सचिव नीलम सावने की ओर से मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। इसमें उन्होंने वर्ष 2016-17 में जारी 10.4 करोड़ रुपये का उपयोग प्रमाणपत्र भेजने और वर्ष 2018-19 की कार्ययोजना केंद्र को भेजने को कहा है। मुख्य सचिव द्वारा इस संबंध में दिए कड़े निर्देशों के बाद अब विभाग इनके उपयोग प्रमाण-पत्र मंगवाने में जुट गया है।
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