चार एजेंसी की कसरत, अधर में 38 सीसीटीवी कैमरों की हसरत Dehradun News
38 सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय ने झटपट कसरत तो की लेकिन बजट का जिक्र होते ही अधिकारियों की सारी फुर्ती गायब हो गई।
देहरादून, जेएनएन। सीसीटीवी कैमरे शहर की सुरक्षा व्यवस्था में अहम योगदान रखते हैं। त्यागी रोड के रेस्ट कैंप क्षेत्र में 38 सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय ने झटपट कसरत तो की, लेकिन बजट का जिक्र होते ही अधिकारियों की सारी फुर्ती गायब हो गई। इन कैमरों को लगाने में तकरीबन 27.39 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। इसके बाद जिलाधिकारी कार्यालय ने प्रकरण को एमडीडीए और नगर निगम के पाले में सरकाकर यह योजना ठंडे बस्ते में डाल दी।
मोहल्ला कल्याण समिति, त्यागी रोड ने क्षेत्र में आपराधिक वारदात पर अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर यहां सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की थी। काफी समय बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो समिति के महासचिव डॉ. अखिलेश कुमार भटनागर ने जुलाई 2019 में जिलाधिकारी कार्यालय से आरटीआइ में जानकारी मांगी। गंभीर यह कि लोक सूचनाधिकारी ने उचित जानकारी दी ही नहीं। जब विभागीय अपीलीय अधिकारी/जिलाधिकारी स्तर से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो डॉ. भटनागर को सूचना आयोग में अपील करनी पड़ी।
राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल के समक्ष हुई सुनवाई में स्पष्ट हुआ कि जिलाधिकारी कार्यालय ने यह प्रकरण एसएसपी कार्यालय को भेजा था। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों को लेकर बाकायदा क्षेत्र का निरीक्षण भी किया। पाया गया कि 13 प्रमुख स्थानों पर 38 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं और इसके लिए 27 लाख 39 हजार 14 रुपये की जरूरत पड़ेगी।
प्रस्ताव एमडीडीए व नगर निगम भेजकर की औपचारिकता
पुलिस की ओर से सीसीटीवी कैमरों का आकलन किए जाने के बाद जिलाधिकारी कार्यालय ने प्रस्ताव को यह कहते हुए 18 नवंबर 2019 को एमडीडीए व नगर निगम को भेज दिया कि इस पर आवश्यक कार्रवाई करें। हालांकि, इसके बाद क्या हुआ कुछ पता नहीं।
नगर आयुक्त और एमडीडीए सचिव को जिम्मा
इस प्रकरण में अब सूचना आयोग ने मोहल्ला कल्याण समिति के महासचिव डॉ. भटनागर से अपेक्षा की है कि वह सीसीटीवी कैमरों को लेकर एमडीडीए व नगर निगम में पैरवी करें। वहीं, नगर आयुक्त और एमडीडीए सचिव को निर्देश दिए गए हैं कि वह प्रकरण में आवश्यक कार्रवाई अमल में लाएं।
आवासीय संगठन करते रहते हैं कैमरों की मांग
दून रेजीडेंट्स वेलफेयर फ्रंट के बैनर तले दून के तमाम आवासीय संगठन अंदरूनी क्षेत्रों में भी सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाने की मांग करते रहते हैं। पूर्व में पुलिस के समक्ष कई बार यह मांग रखी जा चुकी है। इसके अलावा भी प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाने की मांग उठती रही है।
इसलिए जरूरी है कैमरों का पुख्ता जाल
पुलिस ने शहर में बड़ी संख्या में कैमरे लगाए हैं, मगर शहर की चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के लिए ये नाकाफी हैं। शहर में सीसीटीवी कैमरों का पुख्ता जाल बनाने की इसलिए भी जरूरत है कि जहां भी कैमरे होते हैं, वहां आपराधिक वारदातें कम देखने को मिलती हैं। अगर वारदात हो भी जाए तो अपराधियों पर शिकंजा कसना आसान हो जाता है। यदि वह शहर के भीतर कहीं छिपना चाहें तो उन्हें आसानी से पकड़ा जा सकता है।
700 नए कैमरों का इंतजार
स्मार्ट सिटी के तहत दून के प्रमुख स्थानों पर करीब 700 सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है। इन्हें आइटी पार्क स्थित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से जोड़ा जाएगा। हालांकि, यह उम्मीद कब पूरी हो पाएगी, पुख्ता रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। पुलिस के 40-50 कैमरे जरूर सेंटर से जुड़ चुके हैं और शेष प्रक्रिया में हैं। यदि शहर में कैमरों का अच्छा खासा नेटवर्क बन जाए और उन्हें कमांड कंट्रोल सेंटर से जोड़ दिया जाए तो एक वक्त पर और एक स्थल से पूरे शहर की निगरानी संभव है।
शहर में लगे कैमरों पर एक नजर
- कोतवाली नगर, 33
- डालनवाला, 5
- पटेलनगर, 7
- रायपुर, 7
- राजपुर, 3
- प्रेमनगर, 1
- कैंट, 4
- मसूरी, 4
- वसंत विहार, 1
- क्लेमेनटाउन, 3
- नेहरू कॉलोनी, 3
- ऋषिकेश, 11
- सहसपुर, 10
- विकासनगर, 9
- ट्रैफिक, 42
- आरएलवीडी कैमरे (रेड लाइट जंप पकड़ने वाले), 7
- एएनपीआर कैमरे (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर), 28
- स्पीड रडार कैमरे, 7
- इसके अतिरिक्त प्रत्येक थाने में चार-चार कुल 80 कैमरे लगे हैं।
लोनिवि सड़क किनारे खंभों पर लगाएगा रिफ्लेक्टिव टेप
रात के समय होने पर वाली सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए लोनिवि ने सड़कों के किनारे बिजली, टेलीफोन के खंभों आदि पर रेट्रो रिफ्लेक्टिव व हैजार्ड रिफ्लेक्टिव टेप लगाने का निर्णय लिया है। इसको लेकर सभी अधीक्षण अभियंताओं समेत सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया गया है।
लोनिवि के विभागाध्यक्ष प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा की तरफ से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि रात के समय रिफ्लेक्टिव टेप के बिना बिजली, टेलीफोन के खंभे, कूड़ेदान, पैराफिट, क्रैश बैरियर आदि ढंग से नहीं दिख पाते हैं। इसके चलते कई दफा हादसे हो जाते हैं। लिहाजा, सभी अधिकारी अपने-अपने खंडों में रिफ्लेक्टिव टेप लगाने की व्यवस्था कर लें। यदि बजट की कमी हो तो क्षेत्रीय मुख्य अभियंता (तकनीकी) के माध्यम से तत्काल डीपीआर मुहैया कराएं। इस काम में बजट की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। सड़क सुरक्षा को लेकर परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक प्रस्तावित है। बैठक से पहले सुरक्षा संबंधी कार्यों को पूरा किया जाना आवश्यक है।
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सुप्रीम कोर्ट को भेजा जाएगा अपडेट
लोनिवि विभागाध्यक्ष के पत्र में यह भी कहा गया है कि सड़क सुरक्षा को लेकर किए जा रहे काम की जानकारी सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा समिति को भी भेजी जाएगी। लिहाजा, इस काम में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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