पिछले आठ सालों के रिजल्ट से अलग था सीबीएसई रिजल्ट, जानिए क्यों
सीबीएसई ने इस बार सीसीई को हटाने और नए सिरे से बोर्ड परीक्षाएं कराने का फैसला लिया, जिसका असर ओवरऑल रिजल्ट पर भी देखने को मिला।
देहरादून, [जेएनएन]: सीबीएसई की 10वीं बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट पिछले आठ वर्षों के रिजल्ट से अलग था। क्योंकि सीबीएसई ने इस बार कंटीन्यूअस एंड कॉम्प्रिहेंसिव इवैल्यूएशन (सीसीई) को हटाने और नए सिरे से बोर्ड परीक्षाएं कराने का फैसला किया था। जिसके तहत परीक्षा देने वाला यह 10वीं कक्षा का पहला बैच था। इसका असर ओवरऑल रिजल्ट पर भी दिखा है, पास प्रतिशत में ही तकरीबन 15 फीसद का अंतर आ गया है।
छात्र वर्ग के लिए अच्छे अंक लाना हमेशा से ही चुनौती रहा है। उनपर न सिर्फ अभिभावक, बल्कि शिक्षकों का भी दबाव रहता है। ऐसे में छात्र हर मुमकिन कोशिश करता है कि उसके अंक औरों से अच्छे आएं। वर्ष 2009 में सीबीएसई ने ग्रेडिंग सिस्टम लागू कर दिया था। सीसीई के तहत बोर्ड परीक्षा को ऑप्शनल कर दिया गया। ऐसे में अधिकतर छात्र होम परीक्षा का विकल्प चुनते थे। इसमें छात्रों को फेल नहीं किया जाता था।
2017 में बोर्ड ने सीसीई को वापस लेकर बोर्ड परीक्षा अनिवार्य कर दी। बोर्ड ने इस साल पास होने के लिए जरूरी नंबर में बड़ा बदलाव किया। 10वीं के छात्र को अब पास होने के लिए 33 फीसद अंक हासिल करने जरूरी हैं। इंटरनल में 20 और बोर्ड परीक्षा में 80 नंबर मिलाकर 33 फीसद अंक लाने होते हैं। सीसीई के खत्म होने के बाद इस साल देहरादून रीजन में 81.89 प्रतिशत छात्र पास हुए।
जबकि, गत वर्ष यह आंकड़ा 97.27 फीसद था। वहीं छात्रों ने यह माना कि अंकों का कॉन्सेप्ट सबसे आसान है। ग्रेडिंग सिस्टम में यह पता लगाना मुश्किल होता है कि असल में अंक कितने आए हैं। इससे ज्यादा मेहनत करने वाले छात्र और बाकी छात्रों में कुछ फर्क नहीं रह जाता। प्रतिस्पर्धा होती है, तो आगे बढऩे का जज्बा पैदा होता है। क्योंकि भविष्य में किसी भी परीक्षा में प्रतियोगिता का यही तकाजा होगा।
आंकड़ों पर नजर
उत्तराखंड
2016-17,2017-18
कुल पंजीकृत छात्र,38966,40081
गैरहाजिर,84,200
उपस्थिति,38882,39881
पास प्रतिशत,97.04,86.00
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