एक अक्टूबर से ऑनलाइन बनेंगे जाति प्रमाण-पत्र
अब तहसील में लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा, क्योंकि एक अक्टूबर से जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होने जा रही है। इससे प्रमाण पत्र बनाने में समय कम लगेगा और प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी। प्रमाण पत्र देरी से बनने पर अधिकारियों की जवाबदेही भी तय हो पाएगी।
जागरण संवाददाता, देहरादून: अब तहसील में लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा, क्योंकि एक अक्टूबर से जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होने जा रही है। इससे प्रमाण पत्र बनाने में समय कम लगेगा और प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी। प्रमाण पत्र देरी से बनने पर अधिकारियों की जवाबदेही भी तय हो पाएगी।
इन दिनों तहसील में जाति प्रमाण पत्र समेत अन्य कार्यो को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया चल रही है। ऑनलाइन व्यवस्था में इंटरनेट के माध्यम से ही राजस्व उपनिरीक्षक को लोगों के दस्तावेज प्राप्त हो जाएंगे। राजस्व उपनिरीक्षक दस्तावेजों की जांच कर ऑनलाइन सहमति प्रदान करेंगे। इसके बाद प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा। जबकि, कागजी प्रक्रिया में अधिक विलंब होता है। नई व्यवस्था के तहत कक्ष में चार कंप्यूटर भी लगा दिए गए हैं। तहसीलदार सदर मुकेश चंद्र रमोला ने कहा कि व्यवस्था ऑनलाइन होने से आम आदमी को राहत मिलेगी। साथ ही अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होगी।
महीनों तक नहीं मिलते प्रमाण पत्र
तहसील में जाति प्रमाण पत्र बनवाना आम आदमी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। वैसे तो प्रमाण पत्र बनाने की समयावधि 15 दिन निर्धारित है, लेकिन हैरत की बात है कि यहां प्रमाण पत्र बनने में कई बार एक से तीन माह भी लग जाते हैं। कई बार तो लोगों के दस्तावेज भी खो जाते हैं।
डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा
अभी तक लोगों को प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दस्तावेजों की प्रतिलिपि जमा करनी होती थी, लेकिन नई व्यवस्था में वास्तविक दस्तावेजों को स्कैन किया जाएगा। इससे कागजी काम खत्म हो जाएगा और डिजिटाइजेशन को बढ़ावा मिलेगा।