देहरादून आरटीओ से कार की फाइल गायब, अधिकारी ढुलमुल Dehradun News
जिस कार का रजिस्ट्रेट आरटीओ कार्यालय में कराया गया अब उसकी फाइल नहीं मिल रही है। जब मामला सूचना आयोग पहुंचा तब पता चला कि कार की फाइल ही गायब है।
देहरादून, जेएनएन। जिस कार का रजिस्ट्रेट देहरादून के आरटीओ कार्यालय में 16 फरवरी 2016 को कराया गया, अब उसकी फाइल नहीं मिल रही है। आरटीआइ में कार की जानकारी न मिलने पर जब मामला सूचना आयोग पहुंचा, तब पता चला कि कार की फाइल ही गायब है। इस मामले में राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाईं ने एफआइआर दर्ज करने को कहा है।
देहरादून निवासी नजमा ने 20 मई 2019 को आरटीआइ में आरटीओ से वाहन यूके07बीपी7133 की जानकारी मांगी थी। लोक सूचनाधिकारी/एआरटीओ से सूचना न मिल पाने पर नजमा ने संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) के पास अपील की। आरटीओ के समक्ष सुनवाई तो की गई, मगर निस्तारण आदेश उपलब्ध नहीं कराया गया। हालांकि, बताया गया कि आदेश में भी सूचना देने को लेकर स्पष्टता नहीं है।
इसके बाद जब यह प्रकरण सूचना आयोग में पहुंचा तो आयुक्त जेपी ममगाईं ने कहा कि संबंधित फाइल सरकारी अभिलेख का हिस्सा है और इसके रखरखाव की भी उचित व्यवस्था होती है। लिहाजा, आयोग ने लोक सूचनाधिकारी/एआरटीओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि क्यों न उन पर 25 हजार रुपये का अधिकतम जुर्माना लगा दिया जाए।
सूचना आयुक्त ममगाईं ने इस जवाब पर सवाल उठाए कि पत्रावली के मिलने पर सूचना उपलब्ध करा दी जाएगी। इस जवाब को अनुचित बताते हुए आयोग ने कहा कि पत्रावली के रखरखाव के लिए जिम्मेदार कार्मिक को चिहि्नत करते हुए मामले में एफआइआर दर्ज कराई जाए। साथ ही एफआइआर की प्रति आयोग को भी भेजी जाए।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में विधायक 71 और मंत्री बन गए 67, आरटीआई में हुआ खुलासा
अपीलीय अधिकारी आरटीओ का आदेश निरस्त
सूचना आयुक्त ने प्रथम विभागीय अपील के निस्तारण की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए। आयुक्त ने कहा कि अपील की सुनवाई एक अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया है। यदि अपील का उचित निस्तारण नहीं किया जाता है तो इससे अपीलार्थी के न्याय पाने के अधिकार का हनन होता है। आयोग ने आरटीओ की सुनवाई की 30 जुलाई 2019 की कार्रवाई को निरस्त करते हुए दोबारा से सुनवाई करने को कहा। अब आयोग के समक्ष अगली सुनवाई 23 मार्च को की जाएगी।
यह भी पढ़ें: कैसे हुई 98 आजीवन कैदियों की रिहाई, होगा इसका परीक्षण