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निकाय चुनाव: निरस्त मतों और नोटा ने बिगाड़ा जीत का गणित

निकाय चुनाव में पार्षद पद पर जीत का गणित बिगाड़ने में निरस्त मतों और नोटा ( मतों ने भी अहम भूमिका निभाई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 12:38 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 12:38 PM (IST)
निकाय चुनाव: निरस्त मतों और नोटा ने बिगाड़ा जीत का गणित
निकाय चुनाव: निरस्त मतों और नोटा ने बिगाड़ा जीत का गणित

देहरादून, जेएनएन। निकाय चुनाव में पार्षद पद पर जीत का गणित बिगाड़ने में निरस्त मतों और नोटा (नॉट एबॉव दि ऑल/उपरोक्त में से कोई नहीं) मतों ने भी अहम भूमिका निभाई। देर तक की गई 60 वाडरें की मतगणना में सात हजार से अधिक वोट निरस्त किए गए, जबकि 12 सौ मत नोटा के तहत डाले गए। अब तक के परिणाम के अनुसार सात वाडरें में हार-जीत का अंतर कम होने के चलते यहां निरस्त मतों और नोटा ने गणित बिगाड़ने में खासी भूमिका निभाई।

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60 वाडरें में 28 वार्ड ऐसे रहे, जहां 100 से अधिक निरस्त घोषित किए गए। जबकि सात वाडरें में नोटा मतों की संख्या 30 से अधिक रही। जिन वाडरें की जीत का गणित इनसे बिगड़ा, उनकी बात करें तो यहां ऐसे मतों की संख्या जीत-हार के अंतर से अधिक रही। ऐसे वाडरें वाले प्रत्याशी इस बात पर मलाल जरूर कर सकते हैं कि यदि ईवीएम से चुनाव होता तो शायद ऐसी नौबत नहीं आती। जिन वाडरें में नोटा मतों की संख्या अधिक है, उन वाडरें के प्रत्याशियों को इस बात पर जरूर विचार करना चाहिए कि बड़ी संख्या में मतदाताओं ने उन्हें अपने स्तर पर अस्वीकार कैसे करार दे दिया।

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