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उत्‍तराखंड को कब मिलेगी कैंपा से 2113 करोड़ की हिस्सेदारी

राज्य सरकार के स्तर से हुई कोशिशों के बाद केंद्र ने पिछले साल 30 सितंबर तक कैंपा की राशि राज्य के खाते में देने पर सहमति जताई थी, लेकिन उत्तराखंड की झोली अभी रीती ही है।

By Edited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 11:37 AM (IST)
उत्‍तराखंड को कब मिलेगी कैंपा से 2113 करोड़ की हिस्सेदारी
उत्‍तराखंड को कब मिलेगी कैंपा से 2113 करोड़ की हिस्सेदारी

देहरादून, राज्य ब्यूरो। लंबे इंतजार के बाद उम्मीद बंधी मगर अब यह धड़ाम होती दिख रही है। क्षतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (कैंपा) की निधि में जमा 2113 करोड़ रुपये की राशि उत्तराखंड को हस्तांतरित होने के मामले में तस्वीर ऐसी ही है। राज्य सरकार के स्तर से हुई कोशिशों के बाद केंद्र ने पिछले साल 30 सितंबर तक यह राशि राज्य के खाते में देने पर सहमति जताई थी, लेकिन उत्तराखंड की झोली अभी रीती ही है। हालांकि, अब सरकार ने इस मामले में फिर से केंद्र में दस्तक दी है, ताकि राज्य को उसका हक मिल सके।

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विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में प्रति वर्ष विभिन्न योजनाओं के निर्माण के अलावा अवैध पातन, आपदा जैसे कारणों से बड़ी संख्या में पेड़ों को नुकसान पहुंचता है। हालांकि, इसकी भरपाई के लिए कैंपा से हर साल बजट जारी होता है, मगर यह बेहद कम है। इस सबके मद्देनजर ही मौजूदा सरकार ने केंद्र में कैंपा निधि में जमा उत्तराखंड के हिस्से की 2113 करोड़ की राशि लेने के लिए कोशिशें की। ये तब परवान चढ़ती दिखीं, जब वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री और महानिदेशक वन से इस बावत बात की।

पिछले साल हुई इस बातचीत के बाद दावा किया गया था कि केंद्र द्वारा कैंपा निधि में जमा 2113 करोड़ की राशि 30 सितंबर तक राज्य के खाते में दे दी जाएगी। जाहिर है कि इससे उम्मीद बंधी कि उत्तराखंड में हरियाली पर ग्रहण नहीं लगेगा। तब यह ख्वाब भी बुना गया कि यह राशि राज्य को मिलने के बाद उसे सालाना 130 करोड़ की राशि ब्याज के रूप में मिलेगी। यही नहीं, कैंपा से प्रतिवर्ष 150 करोड़ के करीब बजट भी अलग से मिलेगा। 

प्रदेश की इन उम्मीदों को तब झटका लगा, जब तय समयावधि बीतने के बाद भी कैंपा फंड से यह राशि राज्य को नहीं मिली। हालांकि, राज्य की ओर से केंद्र से इस बारे में लगातार आग्रह किया जा रहा है, मगर मसला अभी तक लटका हुआ है। ये स्थिति भी साफ नहीं की जा रही इसमें देरी की वजह क्या है। अब राज्य सरकार इस अहम मसले को फिर गंभीरता से केंद्र के समक्ष रखने जा रही है।

वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के अनुसार शनिवार को दिल्ली में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हर्षव‌र्द्धन से मुलाकात के दौरान उन्होंने यह मुद्दा रखा। अवकाश होने के कारण प्रकरण पर संबंधित संयुक्त सचिव से वार्ता नहीं हो पाई। उन्होंने बताया एक-दिन में वह फिर से केंद्रीय मंत्री और संबंधित अधिकारी से वार्ता करेंगे।

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