एक साल में चिह्नित हुए देहरादून में कैमरा रहित क्षेत्र
पुलिस विभाग ने एक साल की मशक्कत के बाद दून शहर में बिना कैमरे वाले स्थानों को चिह्नित कर लिए गए हैं। हलांकि, यह कहना मुशिकल है कि इन क्षेत्रों में कब तक कैमरे लगेंगे।
देहरादून, [जेएनएन]: एक साल तक चली जद्दोजहद के बाद पुलिस महकमे ने दून के बगैर सीसीटीवी कैमरे वाले इलाके तो चिह्नित कर लिए। मगर अब सवाल यह है कि जब स्थान चिह्नित करने में ही एक साल गुजर गया तो कैमरे इंस्टाल करने में कितना समय लगेगा। हालांकि अफसरों का दावा है कि तीन माह में कैमरा रहित क्षेत्रों को कवर कर लिया जाएगा।
हाल के महीनों में हुई अधिकांश वारदातों के खुलासे में सीसीटीवी कैमरों ने अहम भूमिका निभाई। मगर पुलिस महकमे को खुद के कैमरों की संख्या बेहद सीमित होने के कारण अक्सर निजी स्थलों में लगे कैमरों की मदद लेनी पड़ती है। बीते दो-तीन वर्षों में कई ऐसे मौके आए जब वारदात वाले क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरा न होने से खुलासे के लिए पुलिस को नाकों चने चबाने पड़ गए। इसे देखते हुए पिछले साल जून में तत्कालीन डीआइजी संजय कुमार गुंज्याल ने दून पुलिस को कैमरे रहित इलाके चिह्नित करने का निर्देश दिया था। पुलिस को यह टास्क पूरा करने में एक साल लग गया।
वहीं, सीसीटीवी कैमरों की भूमिका पर गौर करें तो ऐसे मामलों की सूची बेहद लंबी है, जिन्हें पुलिस सिर्फ खुफिया कैमरों की मदद से सुलझा सकी। बीती तीन अगस्त को ओरियंट चौक पर गारमेंट व्यवसायी से हुई 2.43 लाख रुपये की टप्पेबाजी में भी इलाके के सीसीटीवी कैमरे दगा दे गए थे। यहां लगे सभी तीन कैमरे रात में स्पष्ट तस्वीर लेने में सक्षम नहीं थे। लिहाजा, पुलिस ने शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में लगे कैमरों की स्थिति जांचना शुरू किया तो पता चला कि शहर में अभी 162 और ग्रामीण क्षेत्र में 57 स्थान कैमरा विहीन हैं।
सक्रिय हैं 1572 कैमरे
पुलिस विभाग के सर्वे में दून में मौजूदा समय में 1572 सीसीटीवी कैमरे लगे होने की बात सामने आई है। इसमें से 1024 कैमरे शहर क्षेत्र में तथा 548 कैमरे ग्रामीण क्षेत्र में स्थित हैं।
एसएसपी निवेदिता कुकरेती का कहना है कि सीसीटीवी कैमरे रहित इलाके चिह्नित कर लिए गए हैं। इन इलाकों में जन प्रतिनिधियों व आम नागरिकों के सहयोग से कैमरे लगाने की योजना है। अगले तीन महीने में इन स्थानों पर कैमरे इंस्टाल कर दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
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