आखिर आबकारी महकमे को छोड़नी पड़ी जिद
आबकारी विभाग को मदिरा की दुकानों को नीलामी पर न्यूनतम दरों पर आवंटन करने का हठ आखिरकार छोड़ना पड़ा है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: आबकारी विभाग को मदिरा की दुकानों को नीलामी पर न्यूनतम दरों पर आवंटन करने का हठ आखिरकार छोड़ना पड़ा है। नीलामी से शेष रह गई तकरीबन 1000 करोड़ के राजस्व वाली 234 दुकानों का आवंटन अब लॉटरी के आधार पर किया जाएगा। ये दुकानें केवल नौ महीने के लिए आवंटित होंगी और इतने ही समय के लिए इन्हें अधिभार जमा करना होगा। दुकानों के आवंटन न होने से विभागीय राजस्व में सीधे तीन माह के अधिभार का आर्थिक नुकसान हुआ है।
प्रदेश में देशी, विदेशी मदिरा और बियर की कुल 619 दुकानें हैं। इस बार आबकारी नीति में विभाग ने यह प्रावधान किया था कि मुनाफे वाली दुकानों को 20 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क देकर पूर्व आवंटियों को ही लाइसेंस जारी कर दिए थे। शेष दुकानों के लिए बीते वर्ष मिले राजस्व को न्यूनतम मानते हुए इन पर बोली की व्यवस्था की गई, जबकि बीते वर्ष समूह में दुकानें लेने के फेर में इस व्यवसाय से जुड़े लोगों ने दुकानों की कीमत बढ़ा दी थी। वित्तीय वर्ष समाप्त होते-होते स्थिति यह पहुंची कि अधिकांश ने इनसे हाथ खड़े कर दिया। नतीजतन इन दुकानों के लिए किसी ने बोली ही नहीं लगाई। नीति के अनुसार दो बार इनके लिए आवेदन आमंत्रित किए गए बावजूद इसके 234 दुकानों के लिए कोई बोलीदाता सामने नहीं आया। इसी दौरान यह माना भी जा रहा था कि इन दुकानों के आवंटन के लिए नीति में थोड़ा परिवर्तन करने की जरूरत है। वहीं, विभाग इन दुकानों को शेष अवधि के लिए बंद करने की जिद पर अड़ा हुआ था। इनके बंद होने से राजस्व के लगातार हो रहे नुकसान को देखते हुए आखिरकार संशोधित नीति कैबिनेट के सम्मुख लानी पड़ी। इसमें स्पष्ट किया गया है कि इन दुकानों के लिए प्रदेश का कोई भी नागरिक एक से अधिक आवेदन कर सकता है। प्रत्येक आवेदक को राज्य में अधिकतम दो ही दुकानें आवंटित की जाएंगी। कैबिनेट के निर्णय के बाद अब जल्द ही इन दुकानों को लॉटरी द्वारा आवंटन किए जाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी।
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