देहरादून, राज्य ब्यूरो। कैबिनेट ने महिलाओं के यौन उत्पीड़न, एसिड अटैक या जलने के मामलों में मुआवजा (प्रतिकर) देने के लिए नई योजना को मंजूरी दे दी है। इसके तहत महिलाओं को 10 लाख रुपये तक का मुआवजा दिए जाने का प्रविधान किया गया है। नाबालिग पीड़ितों को कुल स्वीकृत राशि का 50 प्रतिशत अधिक दिया जाएगा। हालांकि, कोर्ट अगर चाहे तो इससे अधिक मुआवजा भी निर्धारित कर सकता है। इसके लिए कैबिनेट ने 'उत्तराखंड यौन अपराध और अन्य अपराधों से पीड़ित/उत्तरजीवी महिलाओं के लिए प्रतिकर योजना 2020' पर मुहर लगा दी। विशेष यह कि योजना दो अक्टूबर 2018 से लागू मानी जाएगी। यानी इस अवधि के बाद कोई भी पीड़ित इसके मानकों को पूरा करेगा, तो उसे भी मुआवजा दिया जाएगा।
यह योजना उत्तराखंड के पीड़ितों और उनके आश्रितों पर ही लागू होगी। पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए पीड़ित महिला प्रतिकर निधि का गठन किया जाएगा। इस निधि से राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित प्रतिकर राशि का भुगतान किया जाएगा। इस निधि में केंद्रीय निधि से प्राप्त अंशदान भी शामिल होगा। मुआवजे के लिए पीड़ित को राज्य या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समक्ष आवेदन करना होगा। इस तरह के मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआइआर) मिलने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक, क्षेत्राधिकारी या थानाध्यक्ष इसकी हार्ड या सॉफ्ट कॉपी विधिक प्राधिकरण के साथ साझा करेंगे।
मकसद यह कि प्राधिकरण गंभीर प्रकृति के मामलों में अंतरिम मुआवजा देने के लिए स्वयं तथ्यों का सत्यापन कर सके। मुआवजा तय करते समय अपराध की गंभीरता के साथ ही मानसिक और शारीरिक क्षति का आकलन किया जाएगा। इसमें पुलिस की भूमिका भी निर्धारित की गई है। इस तरह के प्रकरणों में जांच 60 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। एसिड अटैक के मामले को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संज्ञान में लाए जाने पर पीड़ित को 15 दिनों के भीतर एक लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
इसके बाद पीड़ित को दो लाख का भुगतान दो माह की अवधि में किया जाएगा। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण उचित मामलों में क्षति के लिए जिम्मेदार व्यक्ति से पीड़ित या आश्रितों के लिए स्वीकृत मुआवजा राशि के लिए सक्षम न्यायालय के समक्ष मामला उठा सकता है। पीड़ित के अनाथ नाबालिग होने की स्थिति में अंतरिम मुआवजा उसके बैंक खाते या उपजिलाधिकारी के पास रखा जाएगा। अगर पीड़ित सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे से संतुष्ट नहीं है, तो वह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समक्ष अपील कर सकता है। यदि आरोप गलत पाए जाते हैं तो आरोपी से मुआवजा वसूलने के साथ ही उस पर मुकदमा भी चलाया जाएगा।
यह है मुआवजे की राशि (रुपये में)
हानि या चोट का विवरण
(न्यूनतम मुआवजा-अधिकतम मुआवजा)
मृत्यु होने पर- पांच लाख- 10 लाख।
सामूहिक दुष्कर्म- पांच लाख- 10 लाख।
दुष्कर्म- चार लाख- सात लाख।
अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न-चार लाख- सात लाख।
80 फीसद दिव्यांग- दो लाख- पांच लाख।
40 फीसद दिव्यांग- एक लाख- तीन लाख।
20 फीसद तक स्थायी दिव्यांग- एक लाख-दो लाख।
शारीरिक क्षति या मानसिक क्षति, जिसमें पुनर्वास की आवश्यकता हो-एक लाख- दो लाख।
हिंसा के फलस्वरूप गर्भपात- दो लाख-तीन लाख।
दुष्कर्म के कारण गर्भ धारण करने पर- तीन लाख-चार लाख।
जलने से पीड़ित - विरूपता के मामले में- सात लाख-10 लाख।
50 फीसद से अधिक जलने पर- पांच लाख- सात लाख।
20 से 50 फीसद तक जलने पर- तीन लाख-सात लाख।
20 फीसद से कम जलने पर- दो लाख- तीन लाख।
एसिड अटैक से पीड़ित- चेहरे की विरूपता- सात लाख- 10 लाख।
50 फीसद से अधिक शारीरिक नुकसान पर- पांच लाख- आठ लाख।
20 से 50 फीसद नुकसान पर- तीन लाख- पांच लाख।
20 फीसद से कम नुकसान पर तीन लाख- चार लाख।