52 हजार पशुधन का होगा बीमा
जैविक खेती की ओर से कदम बढ़ा रहे उत्तराखंड के पशुपालकों के लिए राहतभरी खबर। राज्य सेक्टर योजना के तहत 52 हजार पशुधन का बीमा करने का निर्णय मंत्रिमंडल ने लिया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
जैविक खेती की ओर से कदम बढ़ा रहे उत्तराखंड के पशुपालकों के लिए राहतभरी खबर। राज्य सेक्टर योजना के तहत 52 हजार पशुधन का बीमा करने का निर्णय मंत्रिमंडल ने लिया है। इससे पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी। केंद्र से धन मिलने की उम्मीद में उक्त योजना के लिए गैप फंडिंग राज्य सरकार करेगी।
मंत्रिमंडल के इस फैसले से पशुओं की असामयिक मृत्यु होने पर पशुपालकों को आर्थिक क्षति से बचाने में मदद मिलेगी। पशुधन बीमा योजना केंद्र सहायतित नेशनल लाइवस्टाक मिशन योजना के तहत संचालित की जा रही है। इस योजना में एक पशुपालक के पांच बड़े पशुओं में गाय, भैंस, घोड़ा, खच्चर या ऊंट और पांच छोटे पशुओं में भेड़, बकरी, सूकर, खरगोश आदि के बीमा का प्रावधान है। उक्त योजना के तहत 57737 पशुओं का बीमा हो चुका है। जुलाई, 2019 तक कुल 4518 दावों में से बीमा कंपनी 4333 का निस्तारण कर 1325.73 लाख की राशि पशुपालकों को बांट चुकी है। केंद्र सरकार ने 26261 पशु इकाइयों के प्रस्तावित प्रोजेक्ट के आधार पर 2019-20 में 355.20 लाख की राशि जारी की है। मंत्रिमंडल ने अब राज्य सेक्टर में उक्त योजना संचालित कर 52000 पशुधन के बीमा का लक्ष्य रखा है।
पशुपालन महकमे की दिक्कत दूर
मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड पशुपालन विभाग लिपिक वर्ग सेवा नियमावली को मंजूरी दी। अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद लिपिक संवर्ग के पदनामों में बदलाव होने से विभागीय कार्मिकों के सेवा संबंधी प्रकरणों, रिक्त पदों पर नियुक्तियों में दिक्कतें पेश आ रही थीं। पशुपालन विभाग के तीन संवर्ग कुमाऊं, गढ़वाल एवं पशुलोक थे। अब पशुलोक संवर्ग को समाप्त कर गढ़वाल संवर्ग में शामिल किया गया। नियमावली में लेखा एवं आशुलिपिक के पृथक संवर्ग के पद शामिल नहीं किए गए हैं।