कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत बोले, राजनीति में न कोई दुश्मन होता है और न कोई दोस्त
कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत इन दिनों सुर्खियों में हैं। हालांकि मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद उनके तेवर कुछ नरम हुए हैं लेकिन शनिवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि राजनीति में हर तरह के व्यक्ति हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद नाराज चल रहे कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत इन दिनों सुर्खियों में हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद उनके तेवर कुछ नरम हुए हैं, लेकिन शनिवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि राजनीति में हर तरह के व्यक्ति हैं। वह राजनीति के विद्यार्थी तो नहीं रहे, लेकिन प्रैक्टिकल रूप से राजनीति करते आए हैं। राजनीति में न कोई दुश्मन होता है और न कोई मित्र। किसी भी मसले पर कभी गांठ नहीं बनानी चाहिए। उधर, डॉ. रावत के इस वक्तव्य के बाद सियासी गलियारों में इसके तमाम तरह के निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं।
डॉ. रावत अपने जन्म दिवस पर शनिवार को यमुना कॉलोनी स्थित आवास पर मीडिया से भी रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं कि जो व्यक्ति मेरे लिए इस चुनाव में काम करे, वह अगले चुनाव में भी ऐसा करेगा। परिस्थितियां बदलती रहती हैं। परिवार में सभी को खुश नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा, 'मैं सबसे ज्यादा ये कहना चाहता हूं कि गांठ नहीं बनानी चाहिए। नेकी करो खड्ड में डाल। आपका व्यवहार अच्छा होना चाहिए। आप किसी के लिए अच्छा सोचो। दूसरा क्या सोचता है, ये उस पर छोड़ दो।'
उन्होंने कहा कि अच्छी बात ये है कि दूसरे प्रदेशों की भांति उत्तराखंड की राजनीति में षडयंत्र जैसी चीजें नहीं है। जैसे राजनीति में होता है कि एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए व्यक्ति किसी भी हद तक चले जाते हैं। ईश्वर की कृपा है कि यहां राजनीति का स्तर इतना नहीं गिरा है। पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हाल में कुछ व्यक्तियों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ षड्यंत्र किया, मगर वे राजनीतिक लोग नहीं रहे होंगे।
सीएम पहले बात कर लेते तो बोर्ड के अध्यक्ष पद से दे देता इस्तीफा
कैबिनेट मंत्री डॉ. रावत ने उनकी मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है। उन्होंने कहा कि 29 अक्टूबर को उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई थी। तब वन विभाग, आयुर्वेदिक विवि, श्रम विभाग से जुड़े मसलों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने सभी प्रस्तावों को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में गैर तरीके से हुए आदेशों के बारे में भी अवगत कराया। इस पर मुख्यमंत्री ने इसे दिखवाने की बात कही है।
डॉ. रावत के अनुसार मुख्यमंत्री से बातचीत में उन्होंने ये भी कहा कि यदि उनसे पहले बातचीत कर ली जाती तो वे खुद ही बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देते। इससे मीडिया में ये बात नहीं जाती कि हरक को झटका लगा है। उन्होंने कहा कि बोर्ड की नियमावली के अनुसार तीन साल का कार्यकाल गैर सरकारी सदस्यों के लिए होता है। श्रम मंत्री के नाते बोर्ड के अध्यक्ष पद पर उनकी नियुक्ति हुई थी। अध्यक्ष को हटाना या रखना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है।
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हम हरदा का इंतजार करते रह गए
एक सवाल पर डॉ. रावत ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत वरिष्ठ नेता हैं और वे जो कहें वह आशीर्वाद है। उनकी बात पर टिप्पणी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि हरदा ने पिछले चुनाव में कहा था कि बागियों को जनता विस में नहीं भेजेगी। उन्होंने कहा कि हम विधानसभा पहुंचकर हरदा का इंतजार करते रह गए।