सरकार ने माना, मृत्युंजय कुमार मिश्रा की नियुक्ति हुई नियम विरुद्ध
आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद पर मृत्युंजय कुमार मिश्रा की नियुक्ति नियमविरुद्ध तरीके से की गई थी। आखिरकार सरकार ने मिश्रा की नियुक्ति को नियमविरुद्ध मान लिया।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। वर्ष 2016 में आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद पर मृत्युंजय कुमार मिश्रा की नियुक्ति नियमविरुद्ध तरीके से की गई थी। मिश्रा को 6600 ग्रेड पे से सीधे 10 हजार ग्रेड पे के रूप में वेतनवृद्धि दी गई। वहीं इस नियुक्ति पर कैबिनेट की मुहर भी नहीं लगी थी। आखिरकार तीन साल बाद सरकार ने मिश्रा की नियुक्ति को नियमविरुद्ध मान लिया। मंत्रिमंडल ने बुधवार को मिश्रा की कुलसचिव पद पर नियुक्ति निरस्त करने पर मुहर लगा दी।
उच्च शिक्षा विभाग में कार्यरत मृत्युंजय कुमार मिश्रा को नियमों को ताक पर रखकर 13 जून, 2016 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव पद पर नियुक्ति दी थी। उक्त नियुक्ति को तत्कालीन कैबिनेट से भी मंजूरी नहीं मिल पाई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने विचलन से ही उक्त नियुक्ति की। मिश्रा का उच्च शिक्षा विभाग में लिएन समाप्त कर आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद पर तैनात किए जाने के प्रस्ताव पर कार्मिक, वित्त, न्याय, गोपन समेत तमाम प्रशासकीय विभागों का मशविरा लेने की जरूरत महसूस नहीं की गई।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइन को ताक पर रखकर की गई उक्त नियुक्ति पर राजभवन लगातार सवाल खड़े करता रहा। राजभवन की ओर से भेजे गए कई रिमाइंडर पर भी सरकार ने चुप्पी साधे रखना बेहतर समझा।
18 मार्च, 2017 में गठित नई भाजपा सरकार ने भी दो साल से ज्यादा अरसा बीतने पर आखिरकार मृत्युंजय कुमार मिश्रा की कुलसचिव पद पर नियुक्ति को अवैध माना। आयुर्वेद विश्वविद्यालय अधिनियम-2009 में वर्ष 2013 और वर्ष 2014 में किए गए संशोधन की धारा-16 (1) के मुताबिक मिश्रा की कुलसचिव पद पर नियुक्ति निरस्त की गई है। मंत्रिमंडल ने मिश्रा की मूल विभाग उच्च शिक्षा में वापसी कर दी। आयुर्वेद विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार मामलों की विजिलेंस जांच के चलते मृत्युंजय मिश्रा जेल में बंद हैं।
नए रोस्टर के बाद नई भर्तियां
प्रदेश में आरक्षण रोस्टर नए सिरे से तय होने के बाद ही सरकारी महकमों में नई भर्तियों के लिए राज्य लोक सेवा आयोग और राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को अधियाचन भेजे जाएंगे। अलबत्ता, जिन भर्ती अधियाचनों को भेजा जा चुका है, उनमें पुरानी व्यवस्था के तहत ही भर्ती प्रक्रिया चलेगी। सरकार ने राजकीय सेवाओं, सार्वजनिक निगमों-उपक्रमों व शिक्षण संस्थाओं में सीधी भर्ती के लिए आरक्षण व्यवस्था रोस्टर नए सिरे से तय करने का निर्णय लिया है। इसके लिए मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित की गई है। यह उप समिति जब तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और सरकार आरक्षण रोस्टर की नई व्यवस्था लागू करती है, नई भर्तियों का आयोगों को अधियाचन उसके बाद ही भेजा जाएगा। सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि नए आरक्षण रोस्टर में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ ही आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 फीसद आरक्षण के साथ ही क्षैतिज आरक्षण के प्रावधानों को ध्यान में रखकर नया आरक्षण रोस्टर तय किया जाएगा। उक्त दोनों आयोगों को अब तक भेजे गए भर्ती अधियाचनों के लिए पुरानी रोस्टर व्यवस्था प्रभावी रहेगी।
कैबिनेट फैसले
- तीन साल बाद मृत्युंजय कुमार मिश्रा की आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव पद पर नियुक्ति निरस्त
- नया आरक्षण रोस्टर तय होने के बाद ही सरकारी महकमों में होंगी नई भर्तियां
- उत्तराखंड मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम-2003 में संशोधन के जरिए अधिक सवारी पर प्रति सीट 25 रुपये और वातानुकूलित के लिए 40 रुपये जुर्माने की व्यवस्था समाप्त, संशोधन वापस लेने का फैसला, अधिनियम की पूर्व व्यवस्था के अनुसार अधिक सवारी पाए जाने पर पांच गुना जुर्माने लगेगा, ठेका गाड़ी में ड्राइवर-कंडक्टर की सीट को सीट की गणना में नहीं किया जाएगा शामिल
- शासन स्तर पर योजनाओं-परियोजनाओं के लिए गठित व्यय वित्त समिति के अध्यक्ष अब मुख्य सचिव से नामित प्रमुख सचिव भी होंगे, अन्य विभागीय सचिव भी शामिल रहेंगे
- सचिवालय स्तर पर चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग का एकीकरण, निचले स्तर पर मूल विभाग यथावत
- सचिवालय स्तर पर सूचना प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी दो अलग-अलग विभागों का एकीकरण, सूचना व विज्ञान प्रौद्योगिकी होगा नया अनुभाग, निचले स्तर पर यथावत रहेंगे मूल विभाग
- उत्तराखंड लोक सेवा अभिकरण अब सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के तहत करेगा कार्य
- उत्तराखंड लेखा परीक्षा अधीनस्थ सेवा नियमावली को मंजूरी
- हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के मुताबिक सेवारत न्यायाधीश के समान चिकित्सा प्रतिपूर्ति
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