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Coronavirus Outbreak: उत्तराखंड में अब मास्क न पहनने वालों की खैर नहीं, जल्द बनेगा एक्ट

Coronavirus Outbreak उत्तराखंड में सार्वजनिक स्थानों संस्थानों परिसरों में मास्क पहनने की अनिवार्यता सुनिश्चित करने को अब अधिनियम लाया जाएगा।

By Edited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 10:41 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 09:22 PM (IST)
Coronavirus Outbreak: उत्तराखंड में अब मास्क न पहनने वालों की खैर नहीं, जल्द बनेगा एक्ट
Coronavirus Outbreak: उत्तराखंड में अब मास्क न पहनने वालों की खैर नहीं, जल्द बनेगा एक्ट

देहरादून, राज्य ब्यूरो। Coronavirus Outbreak सार्वजनिक स्थानों, संस्थानों, परिसरों में मास्क पहनने की अनिवार्यता सुनिश्चित करने को अब अधिनियम लाया जाएगा। इस संबंध में लाए गए अध्यादेश को महामारी संशोधन अधिनियम के रूप में विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने और बचाव के लिए राज्य सरकार ने सार्वजनिक स्थानों के साथ ही संस्थानों और परिसरों में मास्क पहनना आवश्यक किया है। महामारी रोक अधिनियम, 1897 की धारा-तीन के तहत मास्क नहीं पहनने पर दंड की व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार इस संबंध में महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश लागू कर चुकी है। अब विधानसभा सत्र के दौरान इस अध्यादेश को अधिनियम के रूप में लागू करने का निर्णय मंत्रिमंडल ने लिया है। 

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श्रम सुधार के छह अध्यादेश बने 
विधेयक राज्य में श्रम सुधारों के अंतर्गत कारखाना अधिनियम 1948 (उत्तराखंड संशोधन) अध्यादेश को विधेयक को मंजूरी दी गई। इसके तहत कोई भी न्यायालय उक्त अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराध का संज्ञान नहीं लेगा, जब तक उसके संबंध में परिवाद उस तारीख से छह महीने के भीतर नहीं किया जाता है। साथ ही कारखाने के मुख्य निरीक्षक या श्रम आयुक्त की जानकारी में ये अपराध आना चाहिए और उसकी ओर से परिवाद दायर होना चाहिए। औद्योगिक विवाद (उत्तराखंड संशोधन) अध्यादेश, बोनस संदाय अधिनियम (संशोधन) अध्यादेश, कारखाना (उत्तराखंड संशोधन) अध्यादेश, उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947) (संशोधन) अध्यादेश, व्यवसाय संघ अधिनियम 1926 (संशोधन अध्यादेश) को अब विधेयक के रूप में विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। 
जिला योजना समिति के संबंध में अब बनेगा अधिनियम 
उत्तराखंड जिला योजना समिति (संशोधन) विधेयक पर भी मंत्रिमंडल ने मुहर लगाई। दरअसल कोविड-19 महामारी के चलते जिलों में जिला नियोजन समितियों के चुनाव नहीं होने की वजह से विकास कार्यों पर विपरीत असर न पड़े, इसे देखते हुए सरकार ये अध्यादेश लाई थी। इसे अब विधेयक के रूप में विधानसभा में पेश किया जाएगा। इसके बाद यह अधिनियम की शक्ल लेगा। 
मेडिकल कॉलेजों को बनी नर्सिंग सेवा नियमावली 
मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा (मेडिकल कॉलेज) नर्सिंग संवर्ग (अराजपत्रित) (संशोधन) सेवा नियमावली को स्वीकृति दी है। श्रीनगर, हल्द्वानी व देहरादून के मेडिकल कॉलेजों के साथ ही भविष्य में सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान और शोध संस्थान अल्मोड़ा के लिए ये नियमावली लागू होगी। वर्तमान में नर्सिंग संवर्ग (अराजपत्रित) के तहत सिस्टर नर्सिंग के 160 और स्टाफ नर्स के 1091 पद सृजित हैं। नर्सिंग संवर्ग की सेवाएं राज्य के सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरणीय होंगी। इस नियमावली के नर्सिग संवर्ग के पद समूह-ग श्रेणी के हैं। इन पदों पर नियुक्तियां उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से होंगी। इसमें 80 फीसद महिला और 20 फीसद पुरुष संवर्ग के कार्मिक हो सकते हैं। 
संस्कृति विभाग का मुखिया डीजी 
अब संस्कृति निदेशालय में महानिदेशक का पद भी होगा। मंत्रिमंडल ने इस पद को सृजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इससे पहले अपर सचिव संस्कृति को पदेन निदेशक संस्कृति रखने की व्यवस्था थी। 26 फरवरी, 2010 के बाद विभागीय अधिकारी से इस पद को भरने का निर्णय लिया गया, लेकिन इसके वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हो सके। वेतन समिति ने संस्कृति विभाग के ढांचे को तार्किक बनाने की अपेक्षा की है। मंत्रिमंडल ने संस्कृति विभाग के तहत विभागाध्यक्ष के रूप में महानिदेशक पद सृजित करने और इस पद पर शासन में तैनात अपर सचिव स्तर के अधिकारी को कार्यभार देने पर सहमति जताई है। 
वीर माधो सिंह भंडारी के नाम पर तकनीकी विवि 
मंत्रिमडल ने उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय, देहरादून का नाम बदलकर वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, देहरादून करने को स्वीकृति दी। इसके लिए उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2005 में संशोधन विधेयक को मंजूरी दी गई है। 
मंत्रिमंडल ने देहरादून जिले की विकासनगर तहसील के शीशमबाड़ा गांव में 1.67 हेक्टेयर भूमि का भू उपयोग कृषि से सार्वजनिक और अर्द्धसार्वजनिक (शैक्षिक) करने पर मुहर लगाई। पहले भी मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसमें रह गई लिपिकीय त्रुटि को दूर कर इस प्रस्ताव को दोबारा मंजूरी दी गई। 
आठ साल बाद बढ़ा कनिष्ठ अभियंताओं का मानदेय 
मंत्रिमंडल ने लोक निर्माण विभाग में संविदा पर कार्यरत कनिष्ठ अभियंताओं का मानदेय 15 हजार से बढ़ाकर 24 हजार करने का निर्णय लिया। करीब आठ वर्ष बाद यह कदम उठाया गया है। संविदा के आधार पर विभाग में वर्ष 2008, 2009, 2013, 2014, 2015 और 2018 में कनिष्ठ अभियंताओं की आवश्यकतानुसार तैनाती की गई। बीती 24 अगस्त को कुल 307 कनिष्ठ अभियंताओं की संविदा अवधि बढ़ाई गई। इसमें 290 सिविल और नौ प्राविधिक, तीन विद्युत और पांच यांत्रिक कनिष्ठ अभियंता शामिल हैं। इससे पहले चार दिसंबर 2012 को इन अभियंताओं के मानदेय को 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 15 हजार रुपये किया गया था।
कैबिनेट के अन्य फैसले
-लोक निर्माण विभाग में संविदा पर कार्यरत कनिष्ठ अभियंताओं का मानदेय 15 हजार से बढ़ाकर 24 हजार रुपये करने का निर्णय 
-संस्कृति विभाग में महानिदेशक पद की स्वीकृति, विभागीय होगा यह पद 
-पेयजल निगम सलाहकार और प्रबंध निदेशक पद चयन भर्ती नियमावली। 
-उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग (मेडिकल कॉलेज) नर्सिंग संवर्ग (अराजपत्रित) (संशोधन) सेवा नियमावली को हरी झंडी
-मसूरी स्थित राधा भवन स्टेट की भूमि को क्रय नहीं करने का निर्णय 
-उत्तराखंड राज्य कृषि उपज और पशु धन संविदा खेती और सेवाएं प्रोत्साहन सुविधा अध्यादेश के स्थान पर लाएंगे विधेयक 
-पछवादून विकास नगर भू उपयोग महायोजना-2021 के लिए कृषि से सार्वजनिक उद्यम में परिवर्तन करने के 
-माल और सेवा कर अधिनियम में कठिनाइयों के निवारण के लिए केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेशों को राज्य में लागू करने को मंजूरी, विधानसभा के पटल पर रखे जाएंगे ये आदेश

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