आवंटन निरस्त कराने पर बिल्डर आधा फीसद ही राशि काटेंगे, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड रियल एस्टेटर रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने नियम स्पष्ट कर दिए हैं। निवेशकों के साथ डील करने के लिए तीन अलग-अलग प्रपत्र तैयार किए हैं।
देहरादून, सुमन सेमवाल। बिल्डरों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए उत्तराखंड रियल एस्टेटर रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने नियम स्पष्ट कर दिए हैं। निवेशकों के साथ डील करने के लिए तीन अलग-अलग प्रपत्र तैयार किए हैं। इन्हीं के आधार पर बिल्डर निवेशकों के साथ एलॉटमेंट लेटर, एग्रीमेंट और सेल डीड करेंगे। अब तक बिल्डर एलॉटमेंट लेटर के बाद ही आवंटन निरस्त कराने पर निवेशकों से फ्लैट की राशि पर 10 फीसद की कटौती कर देते थे, जबकि नए नियमों में इसमें आधा फीसद कर दिया गया है।
रेरा के अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि मंगलवार को तीनों प्रपत्र तैयार कर दिए गए हैं, जिन्हें शासन को भेजा जा रहा है। शासन की मुहर के बाद नए नियमों को लागू करा दिया जाएगा। रेरा अध्यक्ष ने बताया कि वर्तमान में बिल्डर लोगों के साथ मनमर्जी से डीलिंग कर करते हैं और जब आवंटन निरस्त कराने की बात आती है तो बुकिंग राशि या अन्य राशि से भारी-भरकम कटौती कर देते हैं। यह प्रपत्र रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट और रेरा नियमों के अनुरूप ही तैयार किए गए हैं। लिहाजा, इन्हें मानना बाध्यकारी होगा।
आवंटन निरस्त कराने पर इतनी होगी कटौती
एलॉटमेंट लेटर जारी करने के बाद और अनुबंध करने से पहले महज 0.5 फीसद। उदाहरण के लिए यदि कोई फ्लैट 50 लाख रुपये का है और बुकिंग राशि दो लाख रुपये जमा है तो उस पर सिर्फ 25 हजार रुपये की कटौती की जाएगी। अब तक 10 फीसद के हिसाब से बिल्डर पांच लाख रुपये मांग लेते हैं और इससे कम राशि होने पर पूरी रकम जब्त कर लेते हैं।
अनुबंध होने के बाद ही कटौती
यदि किसी निवेश में अनुबंध करा लिया गया है तो ऐसी स्थिति में बिल्डर निर्माण की प्रगति के हिसाब से धनराशि काट सकता है, इसके लिए भी अलग-अलग फीसद में धनराशि तय कर दी गई है। इससे अधिक राशि काटने का अधिकार बिल्डर को नहीं होगा।
- 50 फीसद तक निर्माण पूरा होने पर, दो फीसद की कटौती
- 50 फीसद से अधिक होने पर, 04 फीसद की कटौती
- 75 फीसद से अधिक निर्माण होने पर, 06 फीसद की कटौती
निर्माण के हिसाब से ही किया जाएगा भुगतान
रेरा के प्रपत्रों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि बिल्डर मानकों के हिसाब से ही निवेशकों से किश्तों में राशि प्राप्त करेंगे। इस समय बिल्डर निवेशकों से शुरुआत में ही भारी-भरकम राशि वसूल करने लगते हैं। जब निर्माण की प्रगति अपेक्षित नहीं रहती तो लोगों की खून पसीने की गाढ़ी कमाई लंबे समय के लिए फंस जाती है।
इस तरह किया जाएगा भुगतान
- बुकिंग के समय, 02 फीसद
- अनुबंध के समय, 08 फीसद
- 20 फीसद निर्माण होने पर, 15 फीसद
- 40 फीसद निर्माण होने पर, 15 फीसद
- 60 फीसद निर्माण होने पर, 15 फीसद
- 80 फीसद निर्माण होने पर, 20 फीसद
- 10 फीसद निर्माण होने पर, 25 फीसद
नोट: 60 फीसद से अधिक निर्माण होने पर तय धनराशि में आंशिक बदलाव संभव है।
प्रपत्र से इतर के अनुबंध होंगे अमान्य
यदि बिल्डर रेरा की ओर से जारी प्रपत्रों से हटकर किसी अन्य प्रपत्र पर अनुबंध करते हैं तो उन्हें अमान्य करार दे दिया जाएगा। इस तरह किसी भी विवाद का न्याय क्षेत्र रेरा ही होगा।
भू-स्वामी बिल्डर के साथ करेंगे पंजीकृत अनुबंध
रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि बिल्डर भू-स्वामी के साथ कच्चा अनुबंध कर उस पर फ्लैट आदि खड़े कर देते हैं। इसके बाद निवेशकों के साथ अपने स्तर पर ही अनुबंध करते हैं। ऐसी स्थिति में भू-स्वामी जवाबदेही से बच जाते हैं। हालांकि, अब भू-स्वामी भी बिल्डर के बराबर ही प्रमोटर माने जाएंगे। उनकी भी बराबर की जवाबदेही होगी और इसके लिए उन्हें बिल्डर के साथ रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत अनुबंध कराना होगा। इसके बिना बिल्डर किसी अन्य की भूमि पर परियोजना का निर्माण नहीं कर सकेंगे।
स्मार्ट सिटी के कार्यों में गुणवत्ता का पालन जरूरी
देहरादून स्मार्ट सिटी लि. की सिटी लेवल एडवाइजरी फोरम की बैठक में विभिन्न कार्यों पर चर्चा की गई। फोरम के सभी सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि स्मार्ट सिटी के कार्यों का गुणवत्ता से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
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मंगलवार को हुई बैठक में कंपनी के सीईओ डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने फोरम को जानकारी दी कि वाटर एटीएम, स्मार्ट शौचालय, स्मार्ट स्कूल, स्मार्ट रोड, पलटन बाजार विकास, परेड ग्राउंड का जीर्णोंद्धार, आइसीसीसी परियोजना पर काम शुरू किया जा चुका है। वहीं, पेयजल संवद्र्धन, स्मार्ट पेयजल मीटर, ग्रीन बिल्डिंग, दून लाइब्रेरी, इलेक्ट्रिक बस, वर्षा जल निकासी, सीवरेज आदि कार्यों पर जल्द काम शुरू कर दिया जाएगा। इस दौरान महापौर सुनील उनियाल गामा ने कचरे से ऊर्जा संरक्षण के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर भी काम करने का सुझाव दिया।
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धर्मपुर क्षेत्र के विधायक विनोद चमोली ने कहा कि स्मार्ट सिटी के तहत जो क्षेत्र आ रहे हैं, उनका नियंत्रण परियोजना अवधि तक स्मार्ट सिटी कंपनी को दे देना चाहिए। ताकि काम में किसी तरह का व्यवधान पैदा न हो। बैठक में कैंट क्षेत्र के विधायक हरबंस कपूर, राजपुर क्षेत्र के विधायक खजान दास, कंपनी के महाप्रबंधक बीसी बिनवाल, इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता, टेक्निकल एक्सपर्ट लोकेश ओहरी आदि उपस्थित रहे।