देहरादून आरटीओ में दिखा सन्नाटा, दलाल रहे गायब; राजस्व ग्राफ भी गिरा
आरटीओ में दलालों का नेटवर्क यूं तो किसी से छुपा नहीं है मगर अधिकारी भी हैरत में पड़ गए जब उन्हें कार्यालय में एक भी दलाल नहीं मिला।
देहरादून, जेएनएन। इसे कहते हैं नेटवर्क। आरटीओ में दलालों का नेटवर्क यूं तो किसी से छुपा नहीं है, मगर अधिकारी भी हैरत में पड़ गए जब उन्हें कार्यालय में एक भी दलाल नहीं मिला। दलालों को एक खौफ तो विजिलेंस की ओर से हुई कार्रवाई का था और दूसरा उन्हें पहले ही पता चल गया कि अधिकारी उनका प्रवेश रोकने के लिए धरपकड़ अभियान चलाने वाले हैं। इस अभियान की सूचना लीक ही नहीं हुई, बल्कि टैक्स के जरिये होने वाला लाखों का राजस्व ग्राफ भी गिर गया। सामान्य दिनों में लाइसेंस, परमिट, फिटनेस व रजिस्ट्रेशन के काम में औसत जो राजस्व मिलता था, वह 50 फीसद से भी कम रहा। भीड़ से घिरे रहने वाले कार्यालय में सन्नाटे जैसा माहौल रहा।
दून के संभागीय परिवहन कार्यालय में करीब तीन सौ दलाल सक्रिया बताए जाते हैं। इनकी कर्मचारियों से सांठगांठ बताई जाती है और इसके चलते रोजाना सैकड़ों की संख्या में फिटनेस, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहनों का रजिस्ट्रेशन, परमिट आदि मामले दलालों के जरिये ही पूरे किए जाते हैं। ऐसे मामलों में कर्मचारियों का दलालों के साथ कमीशन बंधा रहता है। हालांकि, ये अलग बात है कि अधिकारिक तौर पर अधिकारी दलालों की मौजूदगी को हमेशा नकारते रहे हैं, जबकि हकीकत ये है कि दलाल बगैर आरटीओ में कोई काम आसानी से कराना मुमकिन नहीं होता। लोगों को रोजाना कई चक्कर कटाए जाते हैं, लेकिन काम नहीं हो पाता। गुजरे पांच साल में ऐसे कई प्रकरण सामने आ चुके हैं, जिसमें दलालों ने कुछ कर्मचारियों के संग सांठगांठ कर लाखों के घोटालों को अंजाम दिया। इनमें कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस घोटाला और दूसरे राज्यों से चोरी वाहनों को फर्जी एनओसी पर दून में रजिस्टर्ड कराने और पेनाल्टी घोटाला के मामले प्रमुख हैं।
सूत्रों ने बताया कि, दफ्तर में ऑनलाइन व्यवस्था करने के बावजूद 'जुगाड़बाजी' से अपने काम करा लेते हैं। यह दलाल सर्वर कक्ष में जाकर व्यवधान पैदा करते हैं। यही नहीं किसी भी अधिकारी या कर्मी की कुर्सी पर बैठ जाना भी इनके लिए बेहद आसान है। विजिलेंस के छापे के दौरान यही मामला सामने आया था, जब दलाल बेखौफ होकर मुख्य सहायक की कुर्सी पर बैठकर आराम से कंप्यूटर पर काम निबटा रहा था। कार्यालय में दलाल व्यवस्था को रोकने के लिए सुबह अधिकारियों की टीम ने दलालों को पकड़ने का विशेष अभियान चलाया। इस दौरान टीम के हाथ एक भी दलाल नहीं आया, जबकि अमूमन पूरे दफ्तर और दफ्तर के बाहर दलालों का 'राज' देखने को मिलता है। विभाग के इस अभियान से कामकाज भी प्रभावित हुआ।
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी अरविंद कुमार पांडेय ने बताया कि दफ्तर में दलालों का प्रवेश बंद करने को लेकर बड़ी कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को लोगों के काम में किसी भी तरह की अड़चन नहीं अड़ाने के निर्देश दिए गए हैं। यदि कोई कर्मचारी सामान्य काम में बेवजह की अड़चन पैदा करेगा तो संबंधित कर्मचारी के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि वाहन स्वामी से कोई भी अनावश्यक रकम मांगता है तो वह उसकी शिकायत सीधे अधिकारियों से करें।
लॉग-इन आइडी पर काम कर रहा था दलाल
विजिलेंस ने जिस दलाल मोनू को मुख्य सहायक की कुर्सी पर बैठे गिरफ्तार किया था, बताया जा रहा कि वह मुख्य सहायक की सरकारी लॉग-इन आइडी का इस्तेमाल कंप्यूटर पर कर रहा था। यह आईडी सिर्फ आला अधिकारियों या चुनिंदा कर्मचारियों को ही मिलती है। इस आइडी से वाहनों के डाटा में काफी हेराफेरी की जा सकती है।
टैक्स कलेक्शन कई गुना कम
आरटीओ कार्यालय में सामान्य दिनों में लाइसेंस, परमिट, फिटनेस और रजिस्ट्रेशन समेत अन्य कार्यों का टैक्स औसतन बीस लाख रुपये जमा होता है। इन सभी कामों में बेहद कमी रही। जिस वजह से टैक्स कलेक्शन महज सात लाख रुपये के आसपास रहा।
आमजन के काम हुए सामान्य
आमजन के काम सामान्य ढंग से हुए। हर्रावाला से वाहन की आरसी लेने के लिए आए सुमित कुमार ने बताया कि पहले ऐसे काम के लिए चक्कर कटाए जाते थे लेकिन आज काम बेहद आसानी से हुआ। वाहन का पुराना टैक्स जमा कराने आए बंसीलाल ने बताया कि वह तीन दिन से चक्कर लगा रहे थे, लेकिन कभी यहां तो कभी वहां पर भेज दिया जाता। आज पहली बार में तुरंत काम हो गया।
आरटीओ के मुख्य सहायक के घर से मिले प्रॉपर्टी के दस्तावेज
विजिलेंस टीम को आरटीओ के मुख्य सहायक के घर से लक्जरी कार, प्रॉपर्टी के दस्तावेज, बैंक-डाकघर की पासबुकें, जेवरात व नकदी बरामद हुई है। विजिलेंस ने सभी चल-अचल संपत्ति के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है। साथ ही दोनों दलालों के घर से कई गाडिय़ों के पंजीयन कॉपी, नकदी, बैंक पासबुक बरामद हुई हैं। टीम इनकी भी जांच कर रही है।
विजिलेंस की टीम ने आरटीओ में रिश्वत लेने के आरोपित मुख्य सहायक यशवीर बिष्ट के डी-7 ज्योति विहार स्थित आवास की तलाशी ली। विजिलेंस टीम को यहां एक टोयोटा फॉर्च्यूनर कार, दून और दून से बाहर प्रॉपर्टी के दस्तावेज, बैंक की तीन पासबुक, एक डाकघर की पासबुक, एलआइसी पॉलिसी, जेवरात और 16 हजार की नकदी बरामद हुई। टोयोटा कार यशवीर के पिता जयपाल बिष्ट की बताई जा रही है। विजिलेंस अब यह जांच कर रही है कि कार कब खरीदी गई है, इसका भुगतान कब, किसके बैंक खाते से किया गया है।
खरीदने के समय पिता की आय कितनी है, इन सभी पहलुओं पर भी जांच की जाएगी। वहीं प्रॉपर्टी कब, कैसे, कितने में खरीदी गई है, इसकी भी जांच हो रही है। सूत्रों की माने तो कर्मचारी पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज हो सकता है। विजिलेंस टीम ने दलाल एवं रिश्वत के दूसरे आरोपित संदीप कुमार उर्फ मोनू मलिक पुत्र सेवा सिंह निवासी साईं मंदिर के समीप मोहब्बेवाला केघर की भी तलाशी ली। यहां से कई गाड़ियों की पंजीयन कॉपी, पैन कार्ड, एनओसी, आधार कार्ड आदि बरामद हुए हैं। रिश्वत लेने के तीसरे आरोपित प्रदीप पुत्र घनश्याम सिंह निवासी विकास लोक सहस्रधारा रोड के घर की भी तलाशी ली। उसके यहां से साठ हजार नकद और दो बैंकों की पासबुक मिली हैं।
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आरटीओ के मुख्य सहायक समेत दोनों दलाल गए जेल
विजिलेंस ने रिश्वत लेने के आरोपित आरटीओ के मुख्य सहायक समेत दो दलालों को विजिलेंस कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। विजिलेंस की टीम ने गुरुवार को संभागीय परिवहन अधिकारी के कार्यालय से कृषि में पंजीकृत ट्रैक्टर को कमर्शियल में तब्दील करने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में मुख्य सहायक यशवीर बिष्ट निवासी ज्योति विहार, दो दलाल संदीप कुमार उर्फ मोनू मलिक निवासी मोहब्बेवाला, प्रदीप निवासी विकास लोक सहस्त्रधारा रोड को गिरफ्तार किया था। इधर विजिलेंस टीम ने तीनों आरोपितों को विजिलेंस कोर्ट अपर जिला जज तृतीय श्रीकांत पांडे की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
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दलालों से मिलने वाले अधिकारी कर्मी विजिलेंस के राडार पर
विजिलेंस ने रिश्वत लेने के आरोप में मुख्य सहायक यशवीर बिष्ट समेत दो दलालों को गिरफ्तार किया है, लेकिन विजिलेंस के राडार पर अन्य अधिकारी कर्मचारी भी हैं, जिनकी पकड़े गए दोनों दलालों से मुलाकात होती है। इसके लिए विजिलेंस आरटीओ कार्यालय में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच करेगी। विजिलेंस डीआइजी कृष्ण कुमार वीके ने बताया कि विजिलेंस आरटीओ ऑफिस में लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालेगी। इस फुटेज में देखा जाएगा कि रिश्वत लेने के आरोपित दलाल प्रदीप कुमार और मोनू मलिक उर्फ संदीप कुमार जिन-जिन अधिकारी कर्मियों से मिलते हैं, उनकी भी जांच की जाएगी। यदि उनकी भी रिश्वत के खेल में संलिप्तता मिलती है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि विजिलेंस टीम को इस पहलू पर भी जांच करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि परिवहन विभाग में चल रहे दलाली के खेल पर अंकुश लगाया जा सके।
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