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15 अक्टूबर तक आसन झील में नहीं होगी बोटिंग

जागरण संवाददाता विकासनगर मानसून सीजन को देखते हुए आसन झील में जीएमवीएन ने बोटिग का संचाल

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 07:35 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2019 07:35 PM (IST)
15 अक्टूबर तक आसन झील में नहीं होगी बोटिंग
15 अक्टूबर तक आसन झील में नहीं होगी बोटिंग

जागरण संवाददाता, विकासनगर: मानसून सीजन को देखते हुए आसन झील में जीएमवीएन ने बोटिग का संचालन 15 अक्टूबर तक बंद कर दिया है। बोटिग बंद होने पर जीएमवीएन के आसन पर्यटन स्थल की आय अब नब्बे प्रतिशत कम हो गयी है।

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आसन झील में प्रवासी परिदों के आने पर जीएमवीएन के आसन पर्यटन स्थल की सबसे ज्यादा आय होती है। भारी संख्या में पक्षी प्रेमियों व पर्यटकों के आने पर भारी भीड़ रहती है। आसन झील में डाकपत्थर से यमुना व आसन नदी के एकत्र पानी से कुल्हाल पावर हाउस में बिजली उत्पादन होता है। इसके अलावा झील का पानी हथिनीकुंड व खारा पावर हाउस में भी बिजली उत्पादन में सहायक है। बरसात में जल विद्युत निगम को आसन बैराज में बीच बीच में फ्लशिंग करनी पड़ती है। जिसके चलते आसन झील में 15 अक्टूबर तक बोटिग नहीं होगी। आसन झील में बोटिग बंद होने पर पर्यटकों का आना बंद हो गया है। जिससे आय घटी है। जीएमवीएन के आसन पर्यटन स्थल प्रभारी अमित रावत के अनुसार बोटिग बंद होने से आय नब्बे प्रतिशत तक कम हो गयी है। आसन वेटलैंड: घोसलों से झांकने लगे नन्हे परिदे

विकासनगर: पक्षियों का संसार भी निराला है। बरसात में एक तरफ नवश्रृंगार किए प्रकृति, दूसरी तरफ नए पक्षियों की चह चह, अदभुत नजारा पेश कर रहे हैं। देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड में इस बार देशी प्रजातियों के परिदों ने भारी संख्या में नेस्टिग की। जिसके चलते वर्तमान में विभिन्न प्रजातियों के करीब पांच सौ चूजे पक्षी प्रेमियों को आकर्षित कर रहे हैं। सबसे ज्यादा मनमोहक नजारा स्पाट बिल्ड डक के पीछे चलते छोटे छोटे चूजे पेश कर रहे हैं, साथ ही नन्हें उल्लू भी काफी आकर्षक लग रहे हैं। विदेशी परिदों के प्रवास से अपने देश को लौटने के बाद आसन झील में पसरा सन्नाटा भी अब टूट चुका है। चारों तरफ घोंसलों व पटेरा घास के झुरमुटों में नन्हें पक्षियों की चहचहाहट सन्नाटे को तोड़ रही है। बता दें कि आसन वेटलैंड में अक्टूबर से मार्च अंत तक विदेशी परिदे पक्षी प्रेमियों को लुभाते हैं, लेकिन प्रवासी परिदों के लौटने के बाद आसन नमभूमि क्षेत्र में भारतीय प्रजातियों के परिदे ही रह जाते हैं। इस बार आसन नमभूमि क्षेत्र में स्थानीय प्रजातियों इंडियन कोरमोरेंट, ईग्रेट, नाइट हेरोन, पिनटेड स्टार्क, किगफिशर, व्हाइड थ्रोटेड किगफिशर, कामन मोरहेन, लिटिल ग्रेब, स्पाट बिल्ड डक, कामन पोचार्ड, इंडियन रोलर, स्पोटेड ओलेक, राबिन आदि प्रवासी परिदों ने नेस्टिग की है। आधुनिक विश्वकर्मा कहलाने वाले बया वीवर पक्षियों ने अपने आकर्षक घोसलों में नेस्टिग की है। नर व मादा पक्षी जुलाई माह तक परिदों की परवरिश करते हैं, उसके बाद उड़ने लायक होते ही पक्षी अपनी खुद ही राह पकड़ लेते हैं और अंडे देने वाली मादा व परवरिश करने वाले नर पक्षी की पारिवारिक जिम्मेदारी पूरी हो जाती है। पक्षी विशेषज्ञ व वन बीट अधिकारी प्रदीप सक्सेना के अनुसार भारतीय प्रजातियों के परिदों ने आसन वेटलैंड क्षेत्र में नेस्टिग की है, वर्तमान में विभिन्न प्रजातियों के चूजे घोसलों से झांक रहे हैं।


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